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हाथी अब वनों के स्थाई सदस्य हैं, इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक करेंगे - डॉ. यादव


शहडोल / 
 TODAY छत्तीसगढ़  /  बांधवगढ़ से लौटे जांच दल के साथ समीक्षा के दौरान रविवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि पहले हाथी छत्तीसगढ़ से आकर लौट जाते थे, पर अब वो यहां स्थाई रूप से बस गए हैं। ऐसे में हाथियों की आवाजाही को देखते हुए स्वाभाविक रूप से स्थाई प्रबंधन के लिए शासन के स्तर पर हाथी टास्क फोर्स बनाने का निर्णय लिया जा रहा है।

हाथियों को अन्य वन्य प्राणियों के साथ किस तरह रखा जाए, इसके लिए योजना बनाई जा रही है। इसमें कर्नाटक, केरल और असम जैसे राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिसेस को शामिल किया जाएगा। इन राज्यों में मध्यप्रदेश के अधिकारियों को भेजा जाएगा ताकि सहअस्तित्व की भावना के आधार पर हाथियों के साथ बफर एरिया, कोर एरिया में बाकी का जन जीवन प्रभावित न हो, इसका अध्ययन किया जाएगा।

टाइगर रिजर्व के बफर एरिया के बाहर के जो मैदानी इलाके हैं वहां की फसलें उसमें सोलर फेंसिंग या सोलर पैनल द्वारा व्यवस्था कर फसलों को सुरक्षित किया जाएगा। यह मनुष्यों के लिए भी सुरक्षा का साधन होगा। वन विभाग को कहा गया है ऐसे क्षेत्रों में कहां कहां कृषि हो रही है, उसे कैसे बचा सकते हैं। हाथी फसल नष्ट न कर पाएं, यह सुनिश्चित करना होगा।

डॉ मोहन यादव ने कहा कि वन क्षेत्र में जो अकेले हाथी घूमते हैं और अपने दल से अलग हो जाते हैं इनको रेडियो टेगिंग का निर्णय लिया गया है। ट्रेकिंग कर उन पर नजर रखी जा सकेगी। आने वाले समय में ऐसी घटना न हो, भविष्य में इसका ध्यान रखा जा सकेगा। यह इस दिशा में ठोस कार्यवाही होगी।

ऐसे अन्य महत्वपूर्ण उपायों को लागू करने के लिए विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा। भविष्य में ऐसी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के प्रयास किए जाएंगे। हाथी अब वनों के स्थाई सदस्य हैं, इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक किया जायेगा। लोगों को बताया जाये कि प्रदेश में टाइगर और अन्य वन्य प्राणी जिस तरह स्थाई निवास करते हैं, अब हाथी भी हमारे वनों का हिस्सा बन गए हैं।

मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने उमरिया में पिछले दिनों 10 हाथियों की अलग-अलग दिन हुई मृत्यु की घटना दुखद एवं दर्दनाक बताते हुए वन अमले को सतर्क रहने के निर्देश दिए। उमरिया और सीधी जिले में बड़ी संख्या में हाथियों की मौजूदगी दिख रही है। ऐसे में फील्ड डायरेक्टर एवं अन्य अधिकारियों को सतर्क और सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में हाथी वन क्षेत्रों में रह रहे हैं वहां हाथी मित्र जन जागरूकता के लिए कार्य करेंगे। भविष्य में ऐसे वन क्षेत्र विकसित किए जाएंगे, जिसमें हाथियों की बसाहट के साथ सह अस्तित्व की भावना मजबूत हो सके।

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