बिलासपुर । TODAY छत्तीसगढ़ / छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में हाल ही में एक बाघ की मौत की घटना को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए वन विभाग से सख्त जवाब मांगा है और इस मुद्दे पर तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता बताई है। अदालत ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को नोटिस जारी कर 10 दिनों के भीतर शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
मालूम हो कि गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में 8 नवंबर को बाघ का शव मिला, जिसके पास भैंस का अधखाया शव भी पाया गया। वन विभाग की शुरुआती जांच में बाघ की मौत का कारण जहरखुरानी बताया गया है। वन अधिकारियों का कहना है कि यह घटना बदले की भावना से की गई हो सकती है। इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने सोमवार को स्वतः संज्ञान जनहित याचिका के तहत सुनवाई की। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने वन्यजीव संरक्षण में लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह छत्तीसगढ़ में बाघ की दूसरी मौत है, जबकि पूरे भारत में पहले ही टाइगर की संख्या सीमित है। उन्होंने राज्य सरकार और वन विभाग से पूछा कि क्या वन्यजीव और जंगलों की रक्षा के लिए कोई ठोस योजना है। चीफ जस्टिस ने कहा, "अगर हम जंगल और वन्यजीव नहीं बचा सके, तो भविष्य में हमारे पास क्या बचेगा।"
अदालत ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को नोटिस जारी कर 10 दिनों के भीतर शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, उन्होंने वन विभाग को निर्देशित किया कि अगली सुनवाई में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए उठाए गए ठोस कदमों की जानकारी दी जाए। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव को भी मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है।
अपने जवाब में वन विभाग की ओर से बताया गया कि घटना स्थल बीट गरनई, सर्किल रामगढ़, परिक्षेत्र सोनहत, कोरिया वन मंडल के पास है। ग्रामीणों से सूचना मिलने के बाद आला अधिकारियों और वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की। घटनास्थल के आसपास 1.5-2 किमी परिधि में तलाशी ली गई। पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा बाघ का पोस्टमार्टम किया गया, जिसमें जहरखुरानी से मौत की पुष्टि हुई। शव का नियमानुसार अंतिम संस्कार किया गया।