मालूम हो कि पिछले दो सालों से मूर्तिकारों का व्यवसाय पूरी तरह से कोरोनाकाल में चौपट हो गया है। महासमुंद की कुम्हारपारा की शिवानी प्रजापति ने TODAY छत्तीसगढ़ को बताया कि दो साल पहले बीमारी से पिता की मौत के बाद मूर्तियां बनाकर वह परिवार का भरण पोषण करती हैं। इस साल उसने 800 मूर्तियां बना ली हैं। फिनिशिंग, टच, कलर का काम जारी है। उसके परिवार में मां व एक भाई और बहन भी हैं। मां बीमार रहती हैं। मूर्तियां बनाने में छोटे भाई और बहन मदद करते हैं। अभी स्कूल की ऑनलाईन पढ़ाई कर चल रही हैं। कक्षा के बाद वह मूर्तियां बनाती हैं। उसने बताया कि बचपन से पिता को मूर्तियां बनाते देखती थीं, धीरे-धीरे वह भी मूर्तियां बनाने लग गई। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
महासमुंद में पिछले वर्ष कई मूर्तिकारों ने मूर्तियां ही नहीं बनाई थीं और कुछ ने जोखिम उठाकर छोटी मूर्तियां ही बनाई थीं। इस बार डेढ़ महीना पहले प्रदेश शासन व्दारा गणेश चतुर्थी को लेकर जारी कोरोना गाइडलाइन के कारण मूर्तिकार पूरी सावधानियां बरत रहे हैं। क्योंकि 4 फीट से ज्यादा ऊंची प्रतिमा बिठाने पर जिला प्रशासन ने मनाही कर दी है। पहले अलग-अलग समितियां बनाकर श्रद्धालु बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं स्थापित करते थे लेकिन अब सार्वजनिक गणेश उत्सव कोरोना के नाम से लगभग बंद हो गया है।
महासमुंद के रमन चक्रधारी, अजय चक्रधारी, विजय चक्रधारी इस बार भी गणेश की मूर्तियां बना रहे हैं। कहते हैं-पहले 8 फीट से 10 फीट तक ऊंची मूर्तियां बनाते थे लेकिन इस बार छोटी मूर्तियों पर ही संतोष करना पड़ रहा है। अभी तक मूर्ति बनाने के ऑर्डर हमारे पास नहीं आए हैं जबकि 1 महीने बाद गणेश चतुर्थी है। पूर्व के वर्षों में दो महीने पहले से ऑर्डर मिल जाते थे लेकिन इस बार सार्वजनिक गणेश उत्सव के लिए उत्साह नहीं दिख रहा है। मार्च 2020 से लॉकडाउन के बाद से इनकी स्थिति दयनीय हो गई है। परिवार के लोग भी मूर्तियों को आकार देने में साथ दे रहे हैं। अभी 300 से लेकर 1000 रुपए तक कीमती मूर्तियां तैयार हैं।


