एफआईआर में उल्लेखित है कि प्रार्थी कांट्रैक्टर का लेनदेन का विवाद था, साझेदार ने बड़ी रकम डकार ली थी, तब रायपुर रेंज आईजी जीपी सिंह थे, कथित तौर पर जीपी सिंह का साझेदार को सपोर्ट था, जिसकी वजह से उसे पैसे तो नहीं मिले मगर फर्जी केस में फँसा दिया गया। इस दौरान प्रार्थी की पत्नी और परिजनों से केस कमजोर करने के एवज में एक करोड़ रुपए की डिमांड की गयी और बीस लाख रुपए एडवांस के तौर पर वसूले गये।
हाल ही में एसीबी की कार्रवाई के दौरान जहां जीपी सिंह की काली कमाई की परत दर परत खुलासा होता गया, वहीं सरकार की सख्त रुख को देख कार्रवाई का भरोसा कर पुराने पीडि़त लोग भी सामने आने लगे हैं, इनमें से एक भिलाई फर्जी केस में फंसाने की धमकी देकर रुपए ऐेंठने की भी शिकायत है।