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कोविड-19 की जानलेवा पहली और उससे अधिक खतरनाक दूसरी लहर के दौरान 1 दिन भी घर पर बैठकर नहीं रहने वाले शैलेश पांडेय ने बिलासपुर शहर में अरपा नदी पर प्रस्तावित एक जोड़ा एनीकट सहित विकास और निर्माण से जुड़े हर कार्य पर अपनी पूरी नजर बनाए रखी। इसका ही परिणाम है कि कोविड-19 की खतरनाक काली छाया के बावजूद बिलासपुर में विकास और निर्माण कार्यों की गति जरा-बहुत, धीमी जरूर हुई होगी मगर ऐसे सभी कार्यों की निरंतरता बनाए रखकर उन्हें बंद नहीं होने दिया। स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन, लोक निर्माण, नगर निगम और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने भी एक टीम की तरह विधायक की मंशा और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चाहत को जमीन पर साकार करने में कोई कसर नहीं रखी।
बिलासपुर कि यह बेहद खतरनाक तासीर रही है कि यहां के बड़े लोगों को या कहें कृमी लेयर वाले लोगों को "दूसरों की कमीज अपनी कमीज से अधिक उजली" देखते ही पेट दर्द शुरू हो जाता है। जाहिर तौर पर शहर विधायक पर एक के बाद एक लगातार चलाए जा रहे तीर, इसका ही दुष्परिणाम है।
चंद दिनों पूर्व श्रीकांत वर्मा मार्ग पर ब्लॉक के कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा कथित रूप से ट्रैफिक पुलिस के एक सिपाही के साथ किया गया दुर्व्यवहार और बदसलूकी का जिक्र किए बिना हमारी बात, अधूरी ही रहेगी। यह ठीक है कि पार्टी के एक नेता होने के नाते शहर विधायक को अपने समर्थक ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष के बचाव में सामने आना ही था। खासकर उस परिस्थिति में जब उनके विरोधी इस घटना को लेकर, पीठ पीछे ही सही उनके खिलाफ आक्रामक होने का एक अवसर मानकर खुश हो रहे हों। लेकिन यहां शहर विधायक को बिलासपुर पुलिस पर भरोसा कर उनसे पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का आग्रह करना था और साथ ही ट्रैफिक पुलिस के जवान से कथित बदसलूकी करने वाले अपने समर्थक को कड़े शब्दों में तिरस्कृत भी करना था। लेकिन ऐसा नहीं होने के कारण उनके विरोधियों को इस मामले की आग में घी डालने का मौका मिलता रहा।
बहरहाल, सार्वजनिक जीवन की इन सारी अनिवार्य झंझंटों के बावजूद उन्हें बिलासपुर की जनता और यहां के मसलों के लिए ठीक वैसे ही सक्रिय रहना चाहिए जैसा बीते ढाई साल में वे रहे हैं। लेकिन आने वाले समय के लिए उन्हें अपने समर्थकों और पार्टी जनों को स्पष्ट ताकीद करनी चाहिए कि वे ऐसा कुछ भी ना करें, जिससे प्रशासन और वे (विधायक) एक दूसरे के सामने खड़े होने को मजबूर हो जांए। वही अपनी पार्टी में "अति उत्साह सर्वत्र वर्जयेत" वाला अनुशासन ही हर स्तर पर लागू करने पर विचार करना होगा। यह बिलासपुर का सौभाग्य है कि इस समय शहर के लोगों को ऐसा विधायक और प्रशासन तथा पुलिस के अफसर मिले हैं,जो जनता की सेवा, सुरक्षा, विकास और कल्याण में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। अंत में बस इतना ही की शैलेष पाण्डेय ने ये जरूरी ऐतिहात नहीं बरते तो बिलासपुर शहर में खुद उनके लिए और पार्टी के लिए भी मुश्किलें खड़ी होती जाएंगी।