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कोई नहीं चलाता, पर तीर चल रहे हैं ..!

 TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर / अति सक्रियता कभी-कभी कैसे, खुद के खिलाफ ही मुश्किलें खड़ी कर देती है,  बिलासपुर में शहर विधायक  शैलेश पांडेय की सियासी दिनचर्या देखकर इसका अनुमान लगाया जा सकता है। बिलासपुर की जनता और बिलासपुर के मसलों को लेकर बीते ढाई सालों में उनकी अति सक्रियता ही उनके खुले और छिपे राजनीतिक विरोधियों के लिए लाइलाज पेट दर्द की वजह बनते जा रही है। अपने निर्वाचन के तत्काल बाद से बिलासपुर के मसलों को लेकर अपने ढाई साल की विधायकी के दौरान उन्होंने जैसा जुझारूपन दिखाया है उसे देखते हुए कोई और शहर होता तो लोग उन्हें हाथों हाथ उठा लेते। 

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कोविड-19 के संक्रमण की शुरुआत से लेकर पहली और दूसरी लहर के दौरान बिलासपुर शहर में अगर कोई जनप्रतिनिधि बिना एक दिन भी घर में बैठे आम जनता से निरंतर संपर्क में रहकर उनके दुख दर्द में सहभागी होता रहा है तो बिलासपुर में ऐसी दो शख्सियतें ही निरंतर सक्रिय दिखाई देती रही हैं। जिनमें एक बिलासपुर विधायक  शैलेश पांडेय और दूसरे नगर निगम के महापौर रामशरण यादव। श्री पांडेय पहली लहर में खुद भी कोरोना की चपेट में आकर 15 दिनों का पृथकवास झेल चुके हैं। लगभग ऐसा ही हाल महापौर रामशरण यादव का रहा है। जहां तक विधायक शैलेष पाण्डेय की बात है, बावजूद इसके वे स्वयं और उनकी पूरी टीम भी कोरोना संक्रमण से जार जार हो रही बिलासपुर की जनता की सेवा में पूरे समर्पित ढंग से लगी रही। नियमित रूप से कोविड-19 अस्पताल और सिम्स जाना, वहां मरीजों के साथ ही चिकित्सकों की दिक्कतों को भी समझना, विस्तरों और ऑक्सीजन की कमी की जानकारी लेना और प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग के साथ कदम से कदम मिलाकर उन्हें दूर करने की ईमानदार कोशिश करना। बिलासपुर विधायक की दिनचर्या का एक अंग बन चुका था। कोविड व सिम्स अस्पताल के निरंतर निरीक्षण तथा कोविड-19 के मरीजों, उनके उपचार में लगे बिलासपुर के सभी चिकित्सकों और चिकित्सालयों से निरंतर संपर्क बनाए रखने का काम श्री पांडेय करते रहे है। कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान अपवाद स्वरूप चंद दिनों को छोड़कर आईजी कार्यालय के पास स्थित उनका शासकीय निवास एक दिन भी बंद नहीं रहा है। वे स्वयं और उनके कार्यकर्ता तथा स्टाफ वहां पहुंचने वालों के दुख दर्द को सुनने और उसका निराकरण करने का काम किसी परिजन की तरह लो प्रोफाइल में रहकर करते रहे। प्रथम लहर में श्री पांडेय ने ऐसे लोगों की भी जमकर चिंता की, जिनके घर में कोविड-19 के कारण थोपे गए लॉक डाउन की वजह से दो वक्त की रोटी का जुगाड़ तक मुश्किल हो गया था। ऐसे सभी लोगों को शासकीय मशीनरी की मदद से और अपनी ओर से भी राशन पानी की व्यवस्था करते हूए पूरे शहर ने अपने विधायक को लगातार देखा है। उनकी यह सक्रियता भी लोगों को पची नहीं और उनके घर राशन पानी के लिए जमी भीड़ को संक्रमण फैलाने का कारण मानकर विधायक के खिलाफ पुलिस कार्यवाही करने तक की कोशिशें की गई।

कोविड-19 की जानलेवा पहली और उससे अधिक खतरनाक दूसरी लहर के दौरान 1 दिन भी घर पर बैठकर नहीं रहने वाले शैलेश पांडेय ने बिलासपुर शहर में अरपा नदी पर प्रस्तावित एक जोड़ा एनीकट सहित विकास और निर्माण से जुड़े हर कार्य पर अपनी पूरी नजर बनाए रखी। इसका ही परिणाम है कि कोविड-19 की खतरनाक काली छाया के बावजूद बिलासपुर में विकास और निर्माण कार्यों की गति जरा-बहुत, धीमी जरूर हुई होगी मगर ऐसे सभी कार्यों की निरंतरता बनाए रखकर उन्हें बंद नहीं होने दिया। स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन, लोक निर्माण, नगर निगम और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने भी एक टीम की तरह विधायक की मंशा और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चाहत को जमीन पर साकार करने में कोई कसर नहीं रखी।

बिलासपुर कि यह बेहद खतरनाक तासीर रही है कि यहां के बड़े लोगों को या कहें कृमी लेयर वाले लोगों को "दूसरों की कमीज अपनी कमीज से अधिक उजली" देखते ही पेट दर्द शुरू हो जाता है। जाहिर तौर पर शहर विधायक पर एक के बाद एक लगातार चलाए जा रहे तीर, इसका ही दुष्परिणाम है।

चंद दिनों पूर्व श्रीकांत वर्मा मार्ग पर  ब्लॉक के कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा कथित रूप से ट्रैफिक पुलिस के एक सिपाही के साथ किया गया दुर्व्यवहार और बदसलूकी का जिक्र किए बिना हमारी बात, अधूरी ही रहेगी। यह ठीक है कि पार्टी के एक नेता होने के नाते शहर विधायक को अपने समर्थक ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष के बचाव में सामने आना ही था। खासकर उस परिस्थिति में जब उनके विरोधी इस घटना को लेकर, पीठ पीछे ही सही उनके खिलाफ आक्रामक होने का एक अवसर मानकर खुश हो रहे हों। लेकिन यहां शहर विधायक को बिलासपुर पुलिस पर भरोसा कर उनसे पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का आग्रह करना था और साथ ही ट्रैफिक पुलिस के जवान से कथित बदसलूकी करने वाले अपने समर्थक को कड़े शब्दों में तिरस्कृत भी करना था। लेकिन ऐसा नहीं होने के कारण उनके विरोधियों को इस मामले की आग में घी डालने का मौका मिलता रहा। 

बहरहाल, सार्वजनिक जीवन की इन सारी अनिवार्य झंझंटों के बावजूद उन्हें बिलासपुर की जनता और यहां के मसलों के लिए ठीक वैसे ही सक्रिय रहना चाहिए जैसा बीते ढाई साल में वे रहे हैं। लेकिन आने वाले समय  के लिए उन्हें अपने समर्थकों और पार्टी जनों को स्पष्ट ताकीद करनी चाहिए कि वे ऐसा कुछ भी ना करें, जिससे प्रशासन और वे (विधायक) एक दूसरे के सामने खड़े होने को मजबूर हो जांए। वही अपनी पार्टी में "अति उत्साह सर्वत्र वर्जयेत" वाला अनुशासन ही हर स्तर पर लागू करने पर विचार करना होगा। यह बिलासपुर का सौभाग्य है कि इस समय शहर के लोगों को ऐसा विधायक और प्रशासन तथा पुलिस के अफसर मिले हैं,जो जनता की सेवा, सुरक्षा, विकास और कल्याण में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। अंत में बस इतना ही की शैलेष पाण्डेय ने ये जरूरी ऐतिहात नहीं बरते तो बिलासपुर शहर में खुद उनके लिए और पार्टी के लिए भी मुश्किलें खड़ी होती जाएंगी। 

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