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चिराग का चाचा पर आरोप, बोले - मेरी बीमारी के दौरान हुआ पूरा षड़यंत्र। जदयू भी पासवान निशाने पर

TODAY छत्तीसगढ़  / नई दिल्ली / राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी (LJP) पर अधिकार की लड़ाई जारी है. एक तरफ राम विलास पासवान  के बेटे चिराग पासवान हैं दूसरी तरफ भाई पशुपति कुमार पारस हैं. लोक जान शक्ति पार्टी में चाचा की बगावत के बाद आज चिराग पासवान पहली बार पत्रकारों के सामने आए. उन्होंने कहा कि पार्टी ने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिराग ने चाचा पशुपति कुमार पारस पर जमकर निशाना साधा. 

चाचा ने धोखा दिया: चिराग पासवान

चिराग पासवान ने कहा, 'मैं अभी भी पार्टी का अध्यक्ष हूं. पार्टी का संविधान मुझे इसकी इजाजत देता है. जो लोग मुझे हटाने का दावा कर रहे हैं उन्हें पार्टी के संविधान की कोई जानकारी नहीं हैं. पिता के निधन के बाद नहीं लेकिन चाचा के धोखे के बाद मैं अनाथ हो गया हूं. उन्हें (पशुपति पारस) राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाने का कोई अधिकार नहीं है. यह एक लंबी कानूनी लड़ाई है जो आगे भी जारी रहेगी.'

'...तो चाचा को बना देता संसदीय दल का नेता'

चिराग ने कहा कि कुछ जगह खबरें चल रही हैं कि मुझे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया जा चुका है. लोक जनशक्ति पार्टी का संविधान कहता है कि पार्टी अध्यक्ष का पद सिर्फ दो परिस्थितियों में खाली हो सकता है या तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का निधन हो या राष्ट्रीय अध्यक्ष इस्तीफा दें. मैं अभी भी पार्टी का अध्यक्ष हूं. उन्होंने आगे कहा कि पार्टी के संविधान के अनुसार सिर्फ संसदीय दल और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष ही संसदीय दल के नेता को चुन सकता है, अगर चाचा कहते तो उन्हें संसदीय दल का नेता बना दिया जाता. अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष की बात है तो संविधान के अनुसार अभी भी वही अध्यक्ष हैं.

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चिराग ने कहा कि मेरी पार्टी के पूरे समर्थन के साथ मैंने चुनाव लड़ा. कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए तैयार नहीं थे. मेरे चाचा ने खुद चुनाव प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई. मेरी पार्टी के कई और सांसद अपने व्यक्तिगत चुनाव में व्यस्त थे. दुख मुझे इस बात का है कि जब मैं बीमार था, उस समय मेरे पीठ पीछे जिस तरह से ये पूरा षड्यंत्र रचा गया. मैंने चुनाव के बाद अपने चाचा से संपर्क करने का, उनसे बात करने का निरंतर प्रयास किया.

JDU पर लगाया पार्टी तोड़ने का आरोप

चिराग ने कहा कि जब मेरे पिता राम विलास पासवान जिंदा थे तब भी पार्टी को तोड़ने की कोशिशें होती रहती थीं. हमने अपनी नीतियों से समझौता नहीं किया और बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. उन्होंने आगे कहा कि मैंने हमेशा परिवार और पार्टी को एक साथ रखना चाहा. LJP भले ही एक भी सीट बिहार में न जीत पाई हो, लेकिन हमने बड़ी संख्या में वोट और लोगों का समर्थन हासिल किया. हमें 24 लाख वोट मिले. हमारा वोट बढ़ा.

चिराग पासवान ने कहा कि बिहार चुनाव के दौरान, उससे पहले भी, उसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा और खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) द्वारा हमारी पार्टी को तोड़ने का प्रयास निरंतर किया जा रहा था. 

                                                  
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