कोर्ट ने गुरुवार को राज्यों को आदेश दिया है कि सीबीएसई की तर्ज पर राज्य 10 दिन के भीतर इंटर्नल असेसटमेंट पॉलिसी जारी करें और 31 जुलाई तक नतीजे घोषित करें। उधर 12वीं बोर्ड परीक्षा आयोजित कराने को लेकर अड़ी आंध्र सरकार को कोर्ट ने कहा कि वह तब तक परीक्षा आयोजित करने की अनुमति नहीं देगा, जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाए कि इन परीक्षाओं की वजह से 5.2 लाख छात्रों की जान को खतरा नही होगा।
जस्टिस एम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने आंध्र सरकार से पूछा कि जब कोरोना का इतना खतरनाक वेरियंट फैल रहा है और अन्य राज्य परीक्षाएं रद्द कर चुके हैं तो फिर वो फिजिकल परीक्षाएं क्यों करना चाहती है ? कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर परीक्षा आयोजित होने की वजह से 1 भी मौत होती है तो वह राज्य को 1 करोड़ के मुआवजे का आदेश देगा। आंध्र प्रदेश सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि वह बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं सफलतापूर्वक करा लेगी क्योंकि राज्य बोर्ड के विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए और कोई भरोसेमंद विकल्प नहीं हैं।
राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा है कि वह संभावित रूप से जुलाई के अंतिम सप्ताह में 12वीं कक्षा की परीक्षा कराएगी और इस संबंध में परीक्षा का कार्यक्रम जल्द जारी किया जाएगा। राज्य के स्थायी वकील महफूज ए नाजकी के माध्यम से दाखिल हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि प्रदेश में कोविड-19 के मामले तेजी से घट रहे हैं। राज्य सरकार ने बताया कि 20 जून को प्रदेश में कोविड-19 के 5,646 मामले थे। 21 जून के संक्रमण के मामलों की संख्या 5,541 और 22 जून को 4,169 थी। और पिछले माह की इन तारीखों से तुलना करें तो 20 मई को संक्रमण के 22,610, 21 मई को 20,937 और 22 मई को 19,981 मामले थे।
आंध्र सरकार ने कहा कि विशेषज्ञों से सलाह ली गई है और उनका मानना है कि परीक्षा कराना व्यावहारिक होगा। राज्य सरकार उसी के अनुसार जुलाई के अंतिम सप्ताह में परीक्षाएं कराने का प्रयास करेगी। शीर्ष अदालत कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बोर्ड परीक्षाएं नहीं कराने का राज्य सरकारों को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। न्यायालय ने मंगलवार को कहा था कि अगर किसी की मौत हुई तो हम राज्य को जिम्मेदार ठहरायेंगे। - एनबीटी