TODAY छत्तीसगढ़ / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की कोशिशों के बाद भी अर्थव्यवस्था नरमी के दलदल में फंसी है। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन घटने और निजी निवेश कमजोर होने से आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई। यह आर्थिक वृद्धि का छह साल का न्यूनतम आंकड़ा है। इसी बीच, आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन अक्टूबर में 5.8 प्रतिशत घटा। यह कम-से-कम 2005 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है।
ताजा आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी थी। वहीं, चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह पांच प्रतिशत थी। जीडीपी वृद्धि में गिरावट की बड़ी पजह विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन में एक प्रतिशत की गिरावट का आना है।
वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़ा 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद से सबसे कम है। उस समय यह 4.3 प्रतिशत रही थी। यह लगातार छठी तिमाही तिमाही है जब आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ी है। वर्ष 2012 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है।पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार निवेश माहौल में सुधार लाने और जीडीपी वृद्धि को गति देने के लिये कंपनी कर में कटौती, रीयल एस्टेट के लिये अलग कोष, बैंकों के विलय और बड़े पैमाने पर निजीकरण जैसे सुधार के कदम उठा रही है लेकिन इसके बावजूद आर्थिक स्थिति सुधर नहीं रही है।
यही नहीं, RBI ने सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के लिये 2019 में अब तक पांच बार नीतिगत दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। ऐसी संभावना है कि केंद्रीय बैंक अगले सपताह मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती कर सकती है। कुछ सर्वे में व्यापार भरोसा के कई साल के न्यूनतम स्तर पर जाने की बात कही गयी है।
छमाही आधार पर (अप्रैल-सितंबर 2019) में जीडीपी वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी अवधि में 7.5 प्रतिशत थी। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक सेमिनार ने कहा कि 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक है। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें -
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमारे देश की वृद्धि दर की आकांक्षा 8-9 प्रतिशत है। जीडीपी वृद्धि दर पहली तिमाही में 5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत चिंताजनक है। केवल आर्थिक नीतियों में बदलाव से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद नहीं मिलेगी।’’
ताजा आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी थी। वहीं, चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह पांच प्रतिशत थी। जीडीपी वृद्धि में गिरावट की बड़ी पजह विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन में एक प्रतिशत की गिरावट का आना है।
वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़ा 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद से सबसे कम है। उस समय यह 4.3 प्रतिशत रही थी। यह लगातार छठी तिमाही तिमाही है जब आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ी है। वर्ष 2012 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है।पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार निवेश माहौल में सुधार लाने और जीडीपी वृद्धि को गति देने के लिये कंपनी कर में कटौती, रीयल एस्टेट के लिये अलग कोष, बैंकों के विलय और बड़े पैमाने पर निजीकरण जैसे सुधार के कदम उठा रही है लेकिन इसके बावजूद आर्थिक स्थिति सुधर नहीं रही है।
यही नहीं, RBI ने सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के लिये 2019 में अब तक पांच बार नीतिगत दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। ऐसी संभावना है कि केंद्रीय बैंक अगले सपताह मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती कर सकती है। कुछ सर्वे में व्यापार भरोसा के कई साल के न्यूनतम स्तर पर जाने की बात कही गयी है।
छमाही आधार पर (अप्रैल-सितंबर 2019) में जीडीपी वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी अवधि में 7.5 प्रतिशत थी। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक सेमिनार ने कहा कि 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक है। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें -
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमारे देश की वृद्धि दर की आकांक्षा 8-9 प्रतिशत है। जीडीपी वृद्धि दर पहली तिमाही में 5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत चिंताजनक है। केवल आर्थिक नीतियों में बदलाव से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद नहीं मिलेगी।’’