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ऋषिकुमार CBI प्रमुख बनाये गए, MP कैडर के IPS है

[TODAY छत्तीसगढ़] / मध्यप्रदेश कैडर के 1983 बैच के आईपीएस ऋषिकुमार शुक्ला को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का प्रमुख बनाया गया है। वे अगस्त 2020 में सेवानिवृत्त होंगे। शुक्ला मध्यप्रदेश कैडर के पहले पुलिस अफसर हैं जिन्हें सीबीआई डायरेक्टर के रूप में पदस्थापना मिली है। अधीनस्थों में लोकप्रिय पूर्व डीजीपी और मप्र पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के अध्यक्ष शुक्ला खुफिया जांच एजेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) में लंबे समय रह चुके हैं।
मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारियों में सीबीआई के अलावा रॉ में अनिल धस्माना और आईबी में आसिफ इब्राहिम प्रमुख रह चुके हैं। मगर सीबीआई में अब तक मप्र कैडर का कोई भी अधिकारी प्रमुख की हैसियत से नहीं रहा है। इधर, मप्र में शुक्ला के कार्यकाल में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू होने की पहल में तेजी आई थी तो पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश दिए जाने का विचार मूर्त रूप ले सका।
मप्र के मौजूदा अधिकारियों में वरिष्ठतम अधिकारी ऋषिकुमार शुक्ला तीन दिन पहले डीजीपी से हटाए गए थे। ग्वालियर के रहने वाले शुक्ला को 1983 में आईपीएस में आने के बाद सबसे पहली पदस्थापना अविभाजित मध्यप्रदेश में रायपुर में मिली थी। सेवाकाल के दौरान वे देश की खुफिया एजेंसी आईबी में एसपी से लेकर संयुक्त निदेशक स्तर तक के पदों पर रहे। यहीं नहीं उन्होंने मध्यप्रदेश में इंटेलीजेंस शाखा के प्रमुख के रूप में करीब सवा तीन साल काम करने के साथ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में भी दो साल सेवा दी। शुक्ला का नाम सीबीआई चीफ बनाए जाने वाले अधिकारियों की पैनल में काफी समय से था और डीजीपी से हटने के बाद उन्हें डायरेक्टर सीबीआई बनाए जाने की संभावना ज्यादा बन गई थीं।
शुक्ला के कार्यकाल में मप्र में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू करने की कवायद कैबिनेट तक पहुंची थी लेकिन सरकार के कार्यकाल का अंतिम समय होने से राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना फिर पुलिस कमिश्नर व्यवस्था फाइलों में कैद हो गई। शुक्ला ने करीब एक साल पहले पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू करने की कवायद शुरू की थी। मुख्यमंत्री ने पुलिस अधिकारियों की बैठक में इसका प्रारूप भी तैयार कराया था और कैबिनेट तक यह प्रस्ताव पहुंचा लेकिन आईएएस-आईपीएस लॉबी की खींचतान में पूर्व की भांति फाइल दब गई है। वहीं, सिमी जेल ब्रेक जैसी घटना भी उनके कार्यकाल में हुई जिसमें सिमी के कार्यकर्ताओं का एनकाउंटर हुआ था।
पुलिस कल्याण के लिए शुक्ला ने काफी काम किया। काम के दबाव के कारण पुलिसकर्मियों की आत्महत्या की घटनाएं बढ़ने के कारण शुक्ला काफी चिंतित रहे। इसके चलते उन्होंने साप्ताहिक अवकाश व्यवस्था को लेकर शिवराज सरकार के समय मुख्यमंत्री से लेकर गृह मंत्रियों तक को अपनी बात पहुंचाई। सरकार ने साप्ताहिक अवकाश लागू करने का ऐलान भी किया जिसे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में शामिल कर अब उसे लागू किया है। शुक्ला के साथ काम करने वाले अफसरों ने बताया कि वे पुलिस के व्यावसायिक स्तर को बहुत ऊपर ले जाते थे। अधीनस्थों को इस तरह काम देते थे कि उनमें काम के प्रति रुचि बनी रहे। जानकारियां बनवाने में ही नहीं लगे रहते बल्कि उनमें भी वे कुछ अलग हटकर बिंदु शामिल करते थे जिससे अधिकारी को काम अरुचिकर नहीं लगे। वे अधीनस्थों को परिवार की तरह मानकर काम करते थे जिसका उदाहरण हाल ही में उनके संदेश में भी झलका। डीजीपी पद छोड़ने के बाद उन्होंने पहले सभी सिपाही से लेकर निरीक्षक स्तर तक के अधिकारियों को लिखित संदेश भेजा और फिर एक फरवरी को वंदेमातरम गायन के दौरान प्रत्यक्ष रूप से पीएचक्यू में उनके साथ किए गए काम की सराहना की और उनके साथ काम करने को गौरव बताया था।
रायपुर-सहायक पुलिस अधीक्षक व सीएसपी, भिलाई- अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, दमोह, शिवपुरी व मंदसौर- पुलिस अधीक्षक, पीटीएस इंदौर- एसपी, पीएचक्यू भोपाल- एआईजी प्रशासन, गृह विभाग भोपाल- अपर सचिव, महानिरीक्षक- ईओडब्ल्यू, एसएएफ, कानून व्यवस्था व एसटीएफ, एडीजी- रेल व नारकोटिक्स, गुप्तवार्ता, एसएएफ व होमगार्ड, डीजी- होमगार्ड, अध्यक्ष पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन, पुलिस मुख्यालय- ओएसडी और डीजीपी।
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