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'कोपरा कॉलिंग', पक्षी संरक्षण के प्रयास शुरू, CCF - DFO पहुंचें मौके पर

[TODAY छत्तीसगढ़] / देश-विदेश से आने वाले मेहमान पक्षियों समेत 150 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों को पनाह देने वाला "कोपरा' जलाशय, गांव और उसके आसपास का हिस्सा जल्द ही छत्तीसगढ़ के नक़्शे में अलग पहचान बनाने जा रहा है। जिले,  खासकर बिलासपुर के पक्षी प्रेमियों और छायाकारों की कोशिशों को कोपरा से नई उम्मीदें हैं।  आज शनिवार सुबह मुख्य वन संरक्षक, डीएफओ समेत वन अमले के कई अफसर कर्मचारी और WWF, नेचर क्लब के पदाधिकारियों समेत कई बर्ड वाचर कोपरा पहुंचें। मुख्य वन संरक्षक अरुण पांडेय ने कोपरा जलाशय का बारीकी से मुआयना करने के बाद पक्षी जानकारों से आवश्यक जानकारी जुटाई। उन्होंने कोपरा पहुँचने वाले प्रवासी-अप्रवासी पक्षियों के संबंध में विस्तार से जाना उसके बाद कोपरा के संरक्षण को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश मौके पर ही मातहत अधिकारीयों, कर्मचारियों को दिए। 
    आज 2 फ़रवरी को विश्व नमभूमि दिवस के अवसर पर बिलासपुर के निकट कोपरा जलाशय में पक्षी दर्शन एवं उनके संरक्षण संवर्धन की दिशा में सार्थक प्रयास शुरू हुआ । शनिवार को कोपरा जलाशय के लिए नई उम्मीदों की किरण लेकर सूर्योदय हुआ। सुबह करीब-करीब 6 बजे ही WWF के सीनियर प्रोजेक्ट ऑफिसर उपेन्द्र दुबे, अनुराग शुक्ला, नेचर क्लब के पदाधिकारी सौरभ तिवारी,   पक्षी विशेषज्ञ विवेक यशवंत जोगलेकर, शुभदा जोगलेकर, वन्यजीव छायाकार सत्यप्रकाश पांडेय के अलावा गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के वानिकी विभाग के छात्र कोपरा पहुंचें। दरअसल आज सुबह मुख्य वन संरक्षक अरुण पांडेय, डीएफओ संदीप बल्गा कोपरा पहुंचकर जलाशय की भौगोलिक स्थिति के साथ-साथ वहां आने वाले मेहमान और स्थाई पक्षियों के संबंध में जानकारी चाह रहे थे ताकि कोपरा जलाशय के संरक्षण और उसे पक्षी विहार के रूप में विकसित किये जाने की दिशा में काम किया जा सके। सीसीएफ ने कोपरा जलाशय को हर छोर से देखा, उसके बाद उसे व्यवस्थित तरीके से विकसित करने की दिशा में विधिवत कार्ययोजना बनाकर जल्द से जल्द काम शुरू करने के निर्देश मातहत अधिकारीयों को दिए। कोपरा जलाशय का मुआयना करने के बाद वन अफसर ने राजस्थान के भरतपुर बर्ड सेंचुरी की तुलना करते हुए कहा की कोपरा में पक्षी संरक्षण को लेकर अनेक सम्भावनाये हैं जिसे गंभीरता से पूरा किया जाएगा। 
मौके पर यह निर्णय लिया गया की कोपरा जलाशय को व्यवस्थित पक्षी विहार बनाने और जलाशय को संरक्षित करने को लेकर जल्द ही ग्रामीणों और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ पक्षी प्रेमियों के साथ एक बैठक करके और भी सुझाव लिए जाएंगे। सीसीएफ अरुण पांडेय के मुताबिक़ आने वाले एक सप्ताह के भीतर आवश्यक काम शुरू कर दिया जाएगा, साथ ही कोपरा में आने वाले पक्षियों के संबंध में प्रचार-प्रसार भी शुरू होगा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कोपरा पहुंचें। 
एक नज़र कोपरा पर -
बिलासपुर जिला मुख्यालय से करीब 13 किलोमीटर दूर सकरी-पेंड्रीडीह बाईपास पर स्थित 'कोपरा' जलाशय एक बार फिर देश-विदेश के पक्षियों की अस्थाई शरणस्थली बन चुका है। मौसम के बदलते ही जलाशय में प्रवासी-अप्रवासी पक्षी जुटने लगे हैं जबकि सिंचाई के लिए छोड़े गए पानी के बाद जलाशय में अब केवल 40 फीसदी ही पानी बचा है। शीतकालीन पक्षियों के पहुँचने का सिलसिला वैसे तो नवम्बर प्रारम्भ होते ही शुरू हो गया था लेकिन अभी बड़ी संख्या और विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का कोपरा में आना बाकी है। उम्मीद है कोपरा जल्द ही एक बार फिर असंख्य और विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों के कलरव से आबाद होगा। कोपरा में फिलहाल प्रवासी पक्षियों में नार्दन पिनटेल जो अपने आप में बेहद खूबसूरत, खासकर नर पक्षी है वो सैकड़ों की संख्या में आ चुके हैं। वहीँ हिंदी साहित्य में वर्णित सुरखाब जिसे पक्षी प्रेमी रूडी सेल्ङ्ग के नाम से जानते हैं वो भी अच्छी-खासी तादात में पहुँच चुकी है। पक्षी प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बने सुरख़ाब के बारे में किवदंती है की वे जोड़े में रहते हैं और किसी एक की मृत्यु के बाद अकेले ही रहना पसंद करते हैं। इसके अलावा रेड क्रस्टेड पोचर्ड, ओस्प्रे, गढ़वाल, यूरेशियन कूट, ग्रे और परपल हेरॉन, ब्लेक हेडेड आइबिस, ग्रेट कारमोरेंट, लिटिल ग्रेब, प्लोवर  समेत अन्य प्रजाति के सैकड़ों पक्षी स्थानीय प्रवास पर कोपरा पहुंचे है।  ओस्प्रे  [Osprey] एक ऐसा बाज जो मछली का शिकार करता है, मछली पकड़ने में माहिर ये बाज पिछले साल से कोपरा में देखा जा रहा है।







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