[TODAY छत्तीसगढ़] / छत्तीसगढ़ के सबसे विवादित पुलिस अधिकारी आईजी कल्लूरी को पुलिस महकमे का महत्वपूर्ण पद देकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उलझ गए हैं। इस निर्णय से उनकी सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग भूपेश बघेल के पुराने ट्वीट शेयर कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि क्या मजबूरी थी जो उस अफसर को एंटी कॅरप्शन ब्यूरो(एसीबी) का आईजी बना दिया जिसे खुद भूपेश जेल की सलाखों के पीछे देखना चाहते थे। कहते रहे कि कल्लूरी की वजह से प्रदेश की छवि देश ही नहीं दुनिया में खराब हो रही है। इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और आईजी कल्लूरी के बीच सीधा विवाद बहुत पुराना नहीं है। कल्लूरी बस्तर में आईजी रहे तो उनपर फर्जी मुठभेड़, हत्या, आगजनी, बलात्कार, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों को जेल भेजने आदि के आरोप लगते रहे। कल्लूरी खुद बयान दे चुके हैं कि ताड़मेटला में आग मैंने लगवाई। 2011 में ताड़मेटला, तिम्मापुर और मोरपल्ली गांवों को फोर्स ने कथित तौर पर जला दिया। वहां तीन लोगों की हत्या की गई और तीन महिलाओं ने बलात्कार का आरोप लगाया। इस घटना के बाद स्वामी अग्निवेश वहां राहत सामग्री लेकर जाने लगे तो दोरनापाल में जुड़ूम के कार्यकर्ताओं ने उनपर जानलेवा हमला कर दिया। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई की टीम पर भी दोरनापाल में हमला हुआ जिसकी सूचना सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दी।
इन घटनाओं के समय कल्लूरी दंतेवाड़ा के एसएसपी थे। बाद में उन्हें वहां से हटा दिया गया। 2014 में तत्कालीन रमन सरकार ने कल्लूरी को बस्तर का आईजी बनाकर भेजा। इसके बाद उनपर आरोप लगे कि उन्होंने अपराधी तत्वों का गिरोह बनाकर लोगों को डराने धमकाने की खुली छूट दे दी। बस्तर में काम कर रही महिला पत्रकार पर हमला किया गया, लीगल एड के नाम से आदिवासियों को विधिक सहायता देने वाले संगठन के सदस्यों को बस्तर से भगाया गया और दिल्ली की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हत्या का मुकदमा तक दर्ज कर लिया गया।
माओवादी हिंसा पर शोध कर रही सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया पर हमले के बाद फरवरी 2017 में सरकार ने कल्लूरी को बस्तर से हटा दिया। तब कल्लूरी ने ट्वीट किया-बेला विन्स। इसी दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बीजापुर में आदिवासी महिलाओं से बलात्कार के मामले में कल्लूरी को नोटिस जारी किया पर वे उपस्थित नहीं हुए। सरकार ने कहा कि वे बीमार हैं और उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है। बाद में सरकार ने उन्हें राजधानी बुलाकर आईजी पुलिस ट्रेनिंग नियुक्त कर दिया। कल्लूरी ने सरकार की बहुत किरकिरी कराई। व्हाट्सअप पर सवाल पूछने वाली महिला पत्रकारों को वे एफ-यू लिखकर जवाब देते रहे। लगभग दो साल लूप लाइन में रहने के बाद कल्लूरी अब एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो), ईओडब्ल्यू (इकानॉमिक आफेंस विंग) के आईजी नियुक्त हो गए हैं।
भूपेश कहते रहे सरकार अपराधी को शह दे रही
विपक्ष में रहते हुए कल्लूरी की सभी कारगुजारियों पर भूपेश बघेल सवाल उठाते रहे। उनका बयान था कि ऐसे अपराधी को तो जेल के सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए। उन्होंने विधानसभा में भी कल्लूरी पर सवाल उठाया, कहा कल्लूरी जैसे अधिकारी को सरकार की शह से शक पैदा होता है। उधर आईजी रहते हुए कल्लूरी भी चुप नहीं रहे। वे भी बराबरी से भूपेश को जवाब देते रहे। अब जबकि भूपेश मुख्यमंत्री हैं कल्लूरी फिर पावरफुल पोस्ट पर आ गए हैं।
सीबीआई की लीक रिपोर्ट से मचा था बवाल
ताड़मेटला अग्निकांड की जांच कर रही सीबीआई ने साल भर पहले क्लोजर रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट के कुछ अंश मीडिया में लीक हुए तो बवाल मच गया। रिपोर्ट में कहा गया था कि जब गांवों को जलाया गया तो कल्लूरी वहीं नजदीक के एक पुलिस कैंप में मौजूद थे। इन तथ्यों को नजरअंदाज कर सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट डाल दी।
कल्लूरी को चीफ नहीं बनाया गया- भूपेश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि एसआरपी कल्लूरी को एसीबी या ईओडब्ल्यू का चीफ नहीं बनाया गया है। एसीबी और ईओडब्ल्यू के मुखिया डीजीपी डीएम अवस्थी हैं। उनके मातहत कल्लूरी की नियुक्ति की गई है। कल्लूरी के विवाद को देखते हुए उनकी नियुक्ति नक्सल क्षेत्र में नहीं की गई है। कल्लूरी अधिकारी हैं तो उनकी नियुक्ति तो कहीं न कहीं करनी ही पड़ेगी।