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फ़ाइल फोटो / TCG |
रायपुर। TODAY छत्तीसगढ़ / वैसे तो छत्तीसगढ़ में वन महकमे के कारनामों और अफसरों की कारगुजारियों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। नियम-कायदों को ताक पर रखकर राज्य में कइयों वन अफसरों ने ऐसे-ऐसे कारनामे किये जिनकी चर्चा भारतीय मीडिया ही नहीं बल्कि विदेशी अखबारों में भी सुर्ख़ियों में रही। ये मामला भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्ख़ियों में रहा। करीब 9 साल पहले 12 दिसंबर 2014 को क्लोनिंग से पैदा हुई दीपआशा के बारे में अभी तक यह पता नहीं लगाया जा सका है कि वह वन भैंसा है या मुर्रा भैंसा ? इसलिए अब वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के पास डीएनए सैंपल भेज कर पता लगाया जाएगा कि दीपआशा वन भैंसा है या मुर्रा भैंस ।
दीपआशा को सिर्फ वीवीआईपी ही देख सकते हैं; 5 साल से बंधक
अगस्त 2018 में रायपुर लाने के बाद दीपआशा सात परदे के पीछे कैद है वीवीआईपी के अलावा उसे कोई नहीं देख सकता। वन विभाग के अधिकारियों को मालूम है कि दीपआशा मुर्रा भैंस है अगर आधिकारिक रूप से घोषित हो जाए कि वह मुर्रा भैंस है, वन भैसा नहीं है, तो वन विभाग की बहुत बदनामी होगी क्योंकि करोडों रूपये खर्च होने के बाद जब वह पैदा हुई थी तो अंतर्राष्ट्रीय खबर बनवाई गई थी कि दुनिया में पहली बार छत्तीसगढ़ ने वन भैंसे की क्लोनिंग कराई। दीपआशा जिस बाड़े में रखी गई है उसकी लागत डेढ़ करोड़ बताई जाती है। बदनामी से बचने के लिए वन विभाग नहीं चाहता कि कोई टेस्ट हो जिससे पता चल जाये कि दीपआशा वन भैंसा नहीं है।
2 साल पहले CCMB हैदराबाद भेजा जा चुका है DNA सैंपल, विभागीय मिलीभगत के कारण रिपोर्ट नहीं आ रही है ?
पैदा होने के 4 साल बाद जब दीपआशा मुर्रा भैंस दिखने लग गई तब अधिकारियों को होश आया कि डीएनए टेस्ट कर लेना चाहिए। निर्णय लिया गया कि सीसीएमबी हैदराबाद और वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून को डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल भेजना चाहिए। परन्तु सैंपल सिर्फ सीसीएमबी हैदराबाद भेजा गया। जहां से आज तक रिपोर्ट नहीं आई है और ना ही अधिकारियों ने रिपोर्ट लाने में रुचि दिखाई। वन्यजीव प्रेमी और वाइल्डलाइफ संरक्षण की दिशा में लगातार आवाज उठा रहे रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने आरोप लगाया कि वन विभाग ने जानबूझ कर रिपोर्ट मंगवाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है, जब कि असम से 2020 में जब वन भैंसें लाने थे तो 10 दिन में सीसीएमबी हैदराबाद डीएनए टेस्ट करा लिया गया था, 2023 में भी असम से वन भैंसा लाते समय भी 10 दिनों में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया से डीएनए टेस्ट करवा लिया।
सिंघवी की आपत्ति के बाद वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया भेजने के लिए लिया गया सैंपल
रायपुर के वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी पिछले दो साल से प्रयत्नशील है कि वन भैंसा दीपआशा साधारण मुर्रा भैंसा है, उससे ना तो प्रजनन कराया जा रहा है, ना ही उसे जंगल में छोड़ा जा सकता है। सिंघवी ने मांग की है कि उसे अपना प्राकृतिक जीवन जीने का हक प्रदान किया जाना चाहिए, इसलिए उसे छोड़ देना चाहिए। सिंघवी ने जुलाई 2023 में मांग की कि सीसीएमबी हैदराबाद से रिपोर्ट नहीं आ रही तो वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया से डीएनए टेस्ट करवाया जाये। सिंघवी की मांग और कोशिशों के चलते गत 9 नवम्बर 2023 को दीपआशा का दुबारा सैंपल लिया गया है। सिंघवी ने आशा की कि बदनामी को दरकिनार कर अधिकारी दीपआशा के साथ न्याय करेंगें।
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