TODAY छत्तीसगढ़ / बिलासपुर / स्वर्गीय चंदूलाल चंद्राकर के पोते अमित चंद्राकर ने अपने दादा के नाम पर स्थापित मेडिकल कॉलेज की सरकार द्वारा खरीदी पर आपत्ति जताते हुए पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई आगामी दिनों में होने की संभावना है।
याचिका में कहा गया है कि चंदूलाल चंद्राकार मेमोरियल हॉस्पिटल को नगर निगम भिलाई की ओर से 12 हजार 25 वर्ग मीटर भूमि का आवंटन किया गया है। इसकी 30 वर्षीय लीज की अवधि 31 मार्च 2026 को समाप्त होने वाली है। उक्त हॉस्पिटल को ऋण के लिए इंडियन बैंक भिलाई शाखा ने बंधक बनाया है, पर उसने भिलाई नगर निगम से कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया। इस भूमि के एवज में लिए गए ऋण की वसूली नहीं होने पर इंडियन बैंक ने ई नीलामी की प्रक्रिया शुरू की है, जो कानून के खिलाफ है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत ही राज्य सरकार ने इस कॉलेज को क्रय करने का निर्णय लिया है। अमित चंद्राकर ने अपनी याचिका में कहा है कि लीज डीड की कंडिका 7 में यह स्पष्ट किया गया है के पट्टे दार को उक्त भूमि का विक्रय करने की अनुमति किसी भी परिस्थिति में नहीं है। विशेष परिस्थिति में उत्तराधिकारी हक का हस्तांतरण आयुक्त नगर पालिक निगम की अनुमति के बगैर नहीं किया जा सकता। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
अमित चंद्राकर ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने दिसंबर 2020 में भी नजूल अधिकारी दुर्ग को जांच कर कार्रवाई का निवेदन किया था, पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। बीते 29 जून को उन्होंने कलेक्टर को लिखे गए पत्र में कहा था कि चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल हॉस्पिटल भिलाई द्वारा मूल ऋण को अंतरित कर इंडियन बैंक से ऋण प्राप्त किया गया और नगर पालिक निगम भिलाई द्वारा आवंटित पट्टे को बिना पट्टा दाता की अनुमति के बंधक रख दिया गया। अब इंडियन बैंक द्वारा ऋण वसूली की कार्रवाई की जा रही है, जिसमें नगर पालिक निगम भिलाई को ना तो कोई जानकारी दी गई ना ही उसे पक्षकार के रूप में शामिल किया गया है। बंधक रखी गई संपत्ति बिना पट्टे दाता की अनुमति से ऋण वसूली की कार्रवाई के लिए उपयोग में नहीं लाई जा सकती।
हाईकोर्ट में दायर की गई रिट याचिका में कहा गया है कि सरफेसी एक्ट के अंतर्गत पुनर्विलोकन तथा प्रतिभूति ऋणों की वसूली के उपायों के विरुद्ध इंडियन बैंक द्वारा की जा रही करवाई पर रोक लगाई जाए।