TODAY छत्तीसगढ़ / [अमर उजाला ] लोदी कॉलोनी निवासी 42 वर्षीय दिनेश नारायण इन दिनों लिवर की बीमारी से लड़ रहे हैं। अपोलो में भर्ती दिनेश को पांच यूनिट रक्त की आवश्यकता है। लेकिन उनके तीमारदार इसका इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि वे बाहर से रक्त नहीं लेंगे, दाता को वहां आकर ही रक्त दान करना होगा। लेकिन दिक्कत यह है कि ज्यादातर लोग अभी अस्पताल जाने के नाम से भी घबरा रहे हैं। वहीं वैक्सीन लेने के कारण भी रक्तदान न करना एक वजह है।दिनेश की तरह मैक्स पटपड़गंज में भर्ती लक्ष्मीनगर की सुनीता और सफदरजंग अस्पताल में भर्ती चार वर्षीय अहद को रक्त की जरूरत है। बुधवार तक इनके परिजन सोशल मीडिया पर रक्तदान की अपील करते रहे लेकिन उन्हे मदद नहीं मिल पाई। राजधानी के दूसरे अस्पतालों में भी यही स्थिति है। कोरोना महामारी के बीच एक और संकट पैदा होने लगा है कि सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के ब्लड बैंक में पर्याप्त मात्रा में रक्त ही नहीं है। इस कारण लोगों को रक्त नहीं मिल पा रहा। इस कारण संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
O नियमों की भिन्नता बनी मुसीबत -
इस स्थिति का एक कारण नियमों में भिन्नता भी है। पहले कहा जा रहा था कि वैक्सीन लेने के तीन माह बाद ही रक्तदान किया जा सकता है लेकिन अब स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि 14 दिन बाद रक्तदान कर सकते हैं।
O बी पॉजिटिव में भी दिक्कत -
पड़ताल में एक बात और सामने आई है कि पहले बी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप को लेकर अस्पतालों में आम तौर पर कोई समस्या नहीं होती थी लेकिन अब इस ग्रुप के लिए भी दिक्कत आ रही है। पड़ताल में पता चला है कि ज्यादातर अस्पतालों में इस ब्लड ग्रुप को लेकर भी कमी होने लगी है और इस करण भी मरीजों को रक्त नहीं मिल पा रहा है।