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खूबसूरत और ख़ास परिंदे इस साल समय से पहले वतन लौट गए


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 छत्तीसगढ़  /  बिलासपुर।  छत्तीसगढ़ में इस साल फरवरी के अंत में ही मौसम एकाएक गर्म हो जाने से ठंडे देशों से आने वाले प्रवासी परिंदे समय से पहले ही अपने वतन लौटने लगे है  । अमूमन इन परिंदों की वापसी मार्च के पहले सप्ताह में शुरू होती है लेकिन इस बार आधी फरवरी से प्रवासी पक्षियों का लौटना शुरू हो गया था। प्रवासी पक्षियों के चले जाने से बिलासपुर जिले का कोपरा जलाशय और घोंघा जलाशय [कोटा] अब सूना-सूना सा दिखाई दे रहा है। हालाँकि इस माह के मध्य तक इक्का-दुक्का प्रवासी परिंदों के दिखाई पड़ जाने की उम्मीद जताई जा रही है। आपको बता दें कि सर्दी शुरू होते ही छत्तीसगढ़ के कुछ जिले प्रवासी परिंदों की मेज़बानी के लिए आतुर नज़र आते हैं। बिलासपुर और दूसरे अन्य ज़िलों के अधिकाँश जलाशय रंग बिरंगे प्रवासी परिंदों से गुलजार हो जाते हैं। दूर देशों से हजारों किलोमीटर की लंबी उड़ान भर कर हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी यहां हर साल आते हैं। इन पक्षियों में बार हेडेड गूज सबसे खूबसूरत और ख़ास है। इन पक्षियों के आने का सिलसिला नवंबर के मध्य से शुरू होता है। करीब तीन महीने तक यहां प्रवास करने के बाद मार्च में ये परिंदे अपने वतन लौट जाते हैं। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें -


- सबसे खूबसूरत और ख़ास 

धरती से करीब 29 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ सकने की क्षमता रखने वाले बार हेडेड गूज [Bar-headed goose] की वापसी का समय है। यह एक प्रवासी पक्षी है जो सर्दियों के मौसम में भारत के लगभग सभी हिस्सों में देखा जा सकता है। भारत में अपने प्रवास के दौरान दलदली क्षेत्रों में, खेती के आस-पास वाली जगहों, पानी व घास के नजदीक, झीलों, जोहड़ों व पानी के टैंकों में देखे जा सकते है। ये एक समूह में रहते है। यह रिकार्ड 29 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर कर तिब्बत, कजाकिस्तान, रूस, मंगोलिया से छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचे बार हेडेड गूज अब वापसी की उड़ान भर रहें हैं। ये पक्षी एक दिन में 1600 किमी की उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं। बार हेडेड गूज के सिर और गर्दन पर काले निशान के साथ इनका रंग पीला ग्रे होता है। सिर पर दो काली सलाखों के आधार पर सफेद पंख होते हैं। इनके पैर मजबूत और नारंगी रंग के होते हैं। इनकी लंबाई 68 से 78 सेमी, पंखों का फैलाव 140 से 160 सेमी, वजन दो से तीन किलोग्राम  होता है। मई के अंत में प्रजनन शुरू होता है। ये अपना घोंसला खेत के टीले या पेड़ पर बनाते हैं। एक बार में तीन से आठ अंडे देते हैं। 27 से 30 दिनों में अंडे से बच्चे बाहर निकलते हैं। दो महीने के बच्चे उड़ान भरने लगते हैं।  


-कैमरे में भी कैद हुए परिंदे 

छत्तीसगढ़ राज्य के मशहूर वाइल्डलाइफ फोटोजर्नलिस्ट सत्यप्रकाश पांडेय ने इस साल प्रवास पर आये विभिन्न प्रजाति के पक्षियों ख़ासकर कॉमन क्रेन और बार हेडेड गूज की सैकड़ों तस्वीरें कैमरे की नज़र से भी देखी। सत्यप्रकाश पांडेय ने रायपुर, दुर्ग के अलावा बिलासपुर संभाग के विभिन्न जलाशयों का रुख किया जहाँ स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की कइयों प्रजाति की तस्वीरें खींची हैं। राज्य के वाइल्डलाइफ़ फोटोग्राफर सत्यप्रकाश पांडेय ने बिलासपुर जिले के कोटा स्थित घोंघा जलाशय में 10 मार्च को बार हेडेड गूज का सबसे बड़ा झुण्ड न सिर्फ देखा बल्कि उन्हें वीडियो और तस्वीरों में भी समेटा। 






सत्यप्रकाश ने बार हेडेड गूज का सबसे बड़ा झुण्ड घोंघा जलाशय में देखा जिसमें संख्या 300 से अधिक बताई गई है। उन्होंने बताया कि बार हेडेड गूज के वतन वापसी की इस साल बिलासपुर जिले में सबसे पहली तस्वीर भी उन्होंने 6 मार्च को कोपरा जलाशय में खींची थी। कोपरा और घोंघा जलाशय में इस पुरे सीजन में अब तक उन्होंने अलग-अलग झुंडों के आंकड़े मिलाकर करीब 900 से अधिक राजहंस देखे हैं। 

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