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हाईकोर्ट ने पूछा - किस अधिकार के तहत SIT का गठन किया, शपथ पत्र पेश करें

[TODAY छत्तीसगढ़] / छत्तीसगढ़ उच्चन्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी और न्यायाधीश पीपी साहू की डबल बैंच ने राज्य शासन से पूछा है कि नान घोटने की जांच के लिए किस अधिकार के तहत एसआइटी का गठन किया गया है। इस पर शपथ पत्र पेश करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की जांच पर रोक लगाने की मांग को अस्वीकार कर दिया है, साथ ही शासन को किसी व्यक्ति को बड़ा नुकसान न हो इसे ध्यान में रखते हुए जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई अब एक मार्च को होगी। 
राज्य शासन ने वर्ष 2013-2014 में छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम में हुए 1200 करोड़ के घोटाले की नए सिरे से जांच करने के लिए एसआइटी का गठन किया है। इसके खिलाफ नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अधिवक्ता प्रवीण दास के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने सीजे अजय कुमार त्रिपाठी व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच में याचिकाकर्ता की ओर से तर्क प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि ईओडब्ल्यू व एसीबी ने नान में हुए घोटाले की जांच पूरी कर आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया है। मामले की सुनवाई चल रही है। एसीबी ने इस मामले में आइएएस अनिल टुटेजा के खिलाफ न्यायालय में पूरक चालान पेश किया है। न्यायालय ने उसके खिलाफ स्थाई गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। ऐसे व्यक्ति जिसके खिलाफ अपराध दर्ज होने के साथ न्यायालय से स्थाई गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है, उसकी शिकायत पर सरकार मामले की नए सिरे से जांच कैसे कर सकती है। कोई प्रकरण अदालत में चल रहा है तो उसकी जांच कैसे हो सकती है। बहस के दौरान कोर्ट ने महाधिवक्ता कनक तिवारी से पूछा कि राज्य शासन ने किस पावर के तहत मामले की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया है। इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य शासन को सीआरपीसी में किसी मामले की पुनः जांच के लिए एसआइटी गठित करने का अधिकार है। 45 मिनट तक चली बहस के दौरान शासन की ओर से कहा गया कि एसआइटी जांच के खिलाफ हाईकोर्ट में और भी मामले लंबित हैं। साथ ही कहा गया कि याचिकागुरुवार को ही प्रस्तुत की गई थी। इसे देखते हुए याचिका को पढ़ने और जवाब पेश करने समय देने की मांग की। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने एसआइटी जांच पर रोक लगाने की मांग की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने एसआइटी का गठन किस पावर के तहत किया गय, इस पर शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने जांच में सीधे तौर पर रोक नहीं लगाते हुए शासन को किसी व्यक्ति के संवैधानिक अधिकार का हनन न हो और उसे कोई बड़ा नुकसान होने वाले कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए हैं। 
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