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कांग्रेस अपनी सरकारों को कट्टर-धर्मान्ध बनने से रोके

राजस्थान की खबर है कि वहां कांग्रेस की प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है कि सरकारी और निजी अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों की जन्म पत्रिका सरकार बनाकर देगी। इसके लिए राज्य के संस्कृत विश्वविद्यालय को एजेंसी बनाया गया है, और जन्म कुंडली बनाने के काम में तीन हजार लोगों को रोजगार मिलने का सरकार अंदाज भी सामने आया है। यह खबर मध्यप्रदेश में पिछले हफ्ते के एक सरकारी फैसले के बाद उसी सिलसिले की अगली कड़ी है जहां गाय को मारने के जुर्म में दो मुस्लिमों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है। एक साथ जिन तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी है उनमें से छत्तीसगढ़ पहले से ही ऐसी धर्मान्धता से मुक्त राज्य है, और इस राज्य में अब प्रदेश के एक मेले को कुंभ बनाने का भाजपा सरकार का हिन्दुत्व का फैसला रद्द किया गया है, सरकार आर्थिक और प्रशासनिक मोर्चों पर काम कर रही है, दूसरी तरफ मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकारें हिन्दुत्व की अपनी लकीर को बढ़ाते दिख रही हैं।
यह सिलसिला बहुत खतरनाक है। एक तो यह कि ज्योतिष को विज्ञान मानकर उसे विज्ञान का दर्जा देना, और उससे लोगों की जिंदगी के बड़े फैसलों की भविष्यवाणी करना लोगों को कर्म की ओर से हटाकर भाग्य की ओर ले जाने की एक साजिश है जिसे भारत जैसे लोकतंत्र में किसी सरकार को सरकारी पैसे से नहीं करना चाहिए। सरकार को वैसे भी ऐसी बातों से दूर रहना चाहिए, और खासकर कांग्रेस तो ऐसी पार्टी है जिसके बुनियादी महान नेताओं में नेहरू सरीखे लोग रहे जिन्होंने तमाम किस्म के धार्मिक पाखंड और आडंबर खत्म करने का काम किया, और बड़ी मेहनत से हिन्दुस्तानी जनता के बीच एक वैज्ञानिक सोच विकसित की। ऐसे नेहरू की पार्टी आज अगर गाय के नाम पर एक नाजायज सजा का सिलसिला शुरू कर रही है, अगर वह ज्योतिष को विज्ञान मानकर सरकारी खर्च पर बढ़ावा दे रही है, तो यह भयानक नौबत है। यह सिलसिला राहुल गांधी की मंदिर-दर्शन यात्रा के साथ तो ठीक बैठता है, लेकिन अगर हिन्दुत्व आधारित पाखंड को बढ़ावा देकर, धर्मान्धता को बढ़ाकर वोट पाए जा सकते हैं, तो फिर देश की हिन्दुत्वप्रेमी जनता हिन्दुत्व की बी टीम को वोट देने के बजाय सीधे-सीधे भाजपा या शिवसेना को वोट नहीं देगी?
राजस्थान सरकार की यह योजना अभी खबरों में आई है, और इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन समय रहते कांग्रेस लीडरशिप को अपनी पार्टी की सरकारों के धार्मिक अतिउत्साह पर काबू करना होगा, वरना यह पार्टी अपना बुनियादी धर्मनिरपेक्ष चेहरा खो बैठेगी, और उसका जो नुकसान होना है वह तो होगा ही, बड़ा नुकसान देश का होगा जो कि एक बड़ी पार्टी में धर्मनिरपेक्षता की कमजोरी दर्ज करेगा, और धर्मान्धता का बढऩा। आज हिन्दुस्तान में वैसे भी वेदों के नाम पर, पुराण के नाम पर, अनदेखे-अनसुने गढ़े हुए इतिहास के नाम पर पाखंड उबाल पर है, उसे जनता के बीच खौला-खौलाकर उफनाया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को यह याद रखना चाहिए कि इस देश की बहुसंख्यक आबादी न तो वैदिक कहे जाने वाले पाखंड पर चलती है, और न ही वह गाय को मारने को राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा या हमला मानती है। मध्यप्रदेश सरकार को यह समझना चाहिए कि किसी भी जुर्म की सजा उसके अनुपात में ही हो सकती है, अनुपातहीन सजा न्यायसंगत नहीं होती। इसलिए जब गाय के नाम पर देश में जगह-जगह इंसानों की सामूहिक हत्या का दौर होकर अब ठंडा पड़ रहा है, तब अपने आपको गौ-भक्त साबित करने के लिए ऐसे आरोपों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की कार्रवाई नाजायज है। इस पर दूसरे मौजूदा कानूनों के तहत ही कार्रवाई की जानी चाहिए। कांग्रेस पार्टी को एक राष्ट्रीय नीति के तहत अपनी पार्टी की सरकारों से कट्टरता से दूर रहने को कहना चाहिए, धर्मान्धता को बढ़ाने से रोकना भी चाहिए। 
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