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पुलिस मैदान में शैलेष नहीं रश्मि करेंगी ध्वजारोहण, सियासत गर्म

[TODAY छत्तीसगढ़] / छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार के क्विक एक्शन की चर्चा जहां इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं वहीँ उनके कई निर्णयों को लेकर सरकार की मनः स्थिति पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। राज्य की जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का दावा करने वाली राज्य की भूपेश सरकार कई मामलों में जनमत का अपमान करती भी दिखाई पड़ रही है। मामला है बिलासपुर नगर विधायक शैलेष पांडेय के लगातार होते अपमान का, हालांकि उन्होंने सभी मामलों की जानकारी पार्टी आलाकमान तक पहुंचाने की बात कही है साथ ही लगातार होते अपमान को बिलासपुर की जनता का अपमान बताया है। उन्होंने फैसला बिलासपुर की जनता पर छोड़ दिया है कि वो इसे किस नज़रिये से देखती है। सर्द मौसम में गर्म होती सियासत को भले ही सत्ता के नशे में चूर कुछ लोग ना समझ पा रहे हों लेकिन जनता के दरबार में इस बात की चर्चा तेज है कि आखिर कौन सी ऐसी परिस्थितियां हैं जिसके चलते 26 जनवरी को राज्य सरकार ने बिलासपुर पुलिस मैदान में मुख्य समारोह के ध्वजारोहण का जिम्मा स्थानीय विधायक शैलेष पांडेय की बजाय तखतपुर विधायक रश्मि सिंह को सौपा है।  आपको बता दें कि राज्य शासन ने 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर जिला मुख्यालयों में ध्वजारोहण करने के लिए जिन विधायकों व मंत्रियों की सूची जारी की गई है उसमें बिलासपुर जिला मुख्यालय के विधायक शैलेष पांडेय का नाम गायब है।
राज्य शासन द्वारा 26 जनवरी को ध्वजारोहण के लिए जारी विधायकों व मंत्रियों की सूची के बाद जिले के साथ ही जिला मुख्यालय की राजनीति गरमा गई है। विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही कांग्रेस की राजनीति में खलबली मची हुई है। नगर विधायक शैलेष पांडेय की जीत को कांग्रेस का ही एक धड़ा पचा नहीं पा रहा है। यही कारण है कि सीएम के कार्यक्रम से लेकर पार्टी के कार्यक्रम के दौरान सीएम के करीबी धड़े के इशारे पर लगातार उनका अपमान किया जा रहा है। अपमानित होने के बाद भी विधायक शैलेष पांडेय बेहद शालीनता के साथ कांग्रेस के अलावा मंत्रियों के कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं और प्रोटोकॉल का लगातार ख्याल रख रहे हैं। टिकट वितरण के बाद उपजी सियासी कटुता उनके चुनाव जीतने के बाद अब खुलकर सामने आ गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेहद करीबी माने जाने वाले एक दिग्गज पदाधिकारी और समर्थकों द्वारा विधायक पांडेय को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने का कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ध्वजारोहण के लिए शासन द्वारा जारी वीआईपी की सूची से विधायक पांडेय के नाम को गायब करने के बाद यह लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है।
आपको बता दें की मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल पहली बार 31 दिसंबर को बिलासपुर प्रवास पर आए। सीएम के साथ मंच पर नगर विधायक शैलेष पांडेय भी मौजूद थे। इस दौरान कांग्रेस संगठन ने उन्हें मंच से बोलने तक का मौक़ा नहीं दिया। इतना ही नहीं स्वागत की औपचारिकताओं के बीच शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने उनका हाथ तक पकड़ लिया। अपनी ही पार्टी के विधायक शैलेष पांडेय को अपमानित करने का क्रम यहीं नहीं थमा। पिछले दिनों जब प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल बिलासपुर प्रवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे तब विधायक को बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं दी गई।   
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