[TODAY छत्तीसगढ़] / अचानकमार टाईगर रिजर्व, कभी बिलासपुर जिले का हिस्सा था अब मुंगेली जिले की पहचान है। छत्तीसगढ़ राज्य का यह टाईगर रिजर्व अक्सर चर्चा और सुर्ख़ियों में रहा है। कभी बाघों की संख्या तो कभी रसूखदारों की करतूत, कभी लकड़ी की अवैध कटाई तो कभी अधिकारीयों के जंगल राज के कइयों फ़साने एटीआर को सुर्खियां दिलाते रहें हैं। इन सबके बीच एटीआर आज बर्बादी की कगार पर खड़ा है। वन्य जीवों की जगह पालतू मवेशियों का चारागाह बना एटीआर ना जाने कितने ही तरह के अवैध कार्यों की कारगुजारियों का गवाह है। एटीआर के जिम्मेदार अधिकारियों की बेरुखी कहें या उनकी मिलीभगत, हकीकत दोनों में से एक तो है तभी तो खुले आम टाइगर रिजर्व के भीतर कोर क्षेत्र में इन दिनों ईंट भठ्ठे संचालित हो रहें हैं। रिजर्व फारेस्ट के बीच ईंट बनाने का काम बिंदावल, छपरवा, अचानकमार के अलावा लमनी तक के जंगल में जगह-जगह देखा जा सकता है। आलम और बेखौफियत देखिये की कई जगहों पर सड़क किनारे ही धड़ल्ले से ईंटें बनाई जा रहीं हैं और कर्तव्य पथ पर ईमानदारी और निष्ठा की शपथ लेने वाले नज़र घुमाये उन रास्तों से गुजर जाते हैं।
ये तस्वीरें अचानकमार टाईगर रिजर्व प्रबंधन के जिम्मेदार अफसरों की कर्तव्यनिष्ठा पर संदेह और सवाल खड़े करने के लिए काफी है। रिजर्व फारेस्ट के कोर क्षेत्र में इन दिनों धड़ल्ले से ईंट बनाने का काम चल रहा है। एटीआर के ग्राम बिंदावल में सड़क किनारे खुलेआम ग्रामीण ईंटें बना रहें हैं। बात सिर्फ एक गाँव की होती तो भी गनीमत समझिये, टाइगर रिजर्व में सड़क किनारे के अधिकाँश गाँवों में नियम-कायदों को मिटटी में सानकर ईंट का आकार दिया जा रहा है। जानकारों से इस संबंध में जब बात की गई तो उन्होंने एनटीसीए के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए बताया की किसी भी टाइगर रिजर्व में इस तरह के काम, निर्माण और अन्य गतिविधियों को गैर कानूनी माना गया है।
ऐसा नहीं है की अचानकमार टाईगर रिजर्व में पहली बार किसी तरह का गैर कानूनी काम हो रहा है, सालों बीत गए। जंगल के मूल निवासी धीरे-धीरे जंगल से बेदखल कर दिए गए, कुछ बाहरी लोग सालों पहले एटीआर में आये फिर धीरे-धीरे परिवार बढ़ता गया। दैहान वालों की बढ़ी आबादी और पालतू मवेशियों का चारागाह बना एटीआर कुछ वन अफसरों, कर्मचारियों के मुंह पर दूध, मलाई और घी मलता रहा। आलम अब ये है की एटीआर में खुलेआम जंगलराज देखा जा सकता है। रेंज के कई अफसर मुख्यालय में रहते नहीं, चंद वन कर्मियों के भरोसे अचानकमार टाइगर रिजर्व के जंगल में बाघों की गुर्राहट के किस्से शहरों में सुनाये जा रहें हैं। एटीआर में कइयों बार रेत उत्खनन, मुरुम, मिटटी खनन के दृश्य भी सामने आये हैं जिसकी शिकायत करने पर अधिकारी अक्सर पता लगाने की बात कहकर मामले को दबाते रहें हैं। लकड़ी की अवैध कटाई के सबूत की शायद किसी को दरकार नहीं होनी चाहिए क्यूंकि कुछ साल पहले का एटीआर अब बदला-बदला सा दिखाई पड़ता है। शिकार के मामले अब सामने आ रहें हैं जबकि एटीआर को कुछ अफसरों और रसूखदारों के साथ-साथ सियासतदारों के लिए शिकारगाह के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है।
अचानकमार टाइगर रिजर्व में चल रहे ईंट भठ्ठे और अन्य गैर जरूरी मामलों के संबंध में एटीआर के फील्ड डायरेक्टर से बात करनी चाही लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो सका, चूँकि रिजर्व जंगल खासकर एटीआर में खुलेआम ईंट भठ्ठे के संचालन की तस्वीरें थीं लिहाजा TODAY छत्तीसगढ़ ने एआईजी सेन्ट्रल जोन NTCA हेमंत कामड़ी से बातचीत की और उन्हें पुरे मामले की जानकारी दी गई। उन्होंने इस संबंध में आवश्यक कारवाही हेतु संबंधित अधिकारी से बातचीत करने की बात कही है।
ATR का रास्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर फिर खुला -
भारत सरकार, केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय एवं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण अधिकरण द्वारा वन्य जीव संरक्षण एक्ट 1972 के तहत 24 सितंबर 2015 को अचानकमार टाइगर रिजर्व फारेस्ट के अंदर के मार्ग का यातायात के लिए बंद करने का निर्देश जारी किया था। कलेक्टर सह जिला मजिस्ट्रेट बिलासपुर ने अधिसूचना जारी कर कोटा-अचानकमार-केंवची राजमार्ग 19 जनवरी 2017 को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए पूर्णतः बंद कर दिया। इसके अलावा रिजर्व फारेस्ट के अंदर बसे गांव में रहने वालों को भी पास बनाने के बाद ही आने-जाने का आदेश दिया। मार्ग को बंद करने के खिलाफ पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष धर्मजीत सिंह, सज्जाद खान, अविश कुमार यादव सहित अन्य ने अधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया कि कोटा-अचानकमार-केंवची मार्ग को बंद करना नागरिकों को संविधान धारा 19 (1) बी के तहत मिले मूलभूत अधिकार का उल्लंघन है। एटीआर के अंदर 24 गांव में रहने वालों को उनके मूलभूत अधिकार से वंचित किया जा रहा है। याचिका पर शासन की ओर से जवाब पेश कर कहा गया कि केंद्र सरकार, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण अधिकरण ने अचानकमार को नेशनल टाइगर रिजर्व फारेस्ट घोषित किया है। इस मार्ग से प्रतिदिन एक हजार से अधिक गाड़ियां गुजरती थीं। इसके कारण वन्य जीवों का प्राकृतिक रहवास प्रभावित हो रहा है। तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आने से प्रतिवर्ष कई वन्य जीवों की मौत होती है। वन्य जीवों को संरक्षण देने इस मार्ग को बंद किया गया है। याचिका में जस्टिस संजय के. अग्रवाल के कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कलेक्टर सह जिला मजिस्ट्रेट को मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 115 के अंतर्गत कोटा-अचानकमार-केंवची राजमार्ग 8 को बंद करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने प्रशासन को इस मार्ग को यातायात के लिए खोलने का आदेश दिया। अब यह मार्ग आमजन के आने-जाने के लिए उपयोग किया जा रहा है। कोटा-अचानकमार-केंवची राजमार्ग 8 को यातायात के लिए खोलने का आदेश 7 मार्च 2018 को दिया गया।
सिंघवी ने NTCA को लिखा पत्र -
छत्तीसगढ़ के वन्यजीव जानकार और प्रर्यावरण संरक्षण की दिशा में महती भूमिका निभाने वाले रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने एटीआर का रास्ता पुनः खोले जाने के बाद एनटीसीए के सदस्य सचिव को एक पत्र लिखकर मांग की है की शिवतराई से केंवची [एटीआर] होकर गुजरने वाली सड़क पीडब्लूडी की है जिसके निर्माण, मरम्मत, संधारण या फिर नवीनीकरण के लिए आदेश न करें। पत्र में उन्होंने WL [P] एक्ट 1972 के प्रावधानों का भी उल्लेख किया है। सिंघवी ने NTCA के सदस्य सचिव को यह पत्र कोटा-अचानकमार-केंवची राजमार्ग 8 को यातायात के लिए खोलने का आदेश 7 मार्च 2018 को हाईकोर्ट द्वारा देने के बाद 16 जुलाई 2018 को लिखा गया ।
कोर एरिया में 19 और बफर एरिया में 5 गांव - अचानकमार टाइगर रिजर्व फारेस्ट का कुल क्षेत्रफल 914.017 वर्ग किलो मीटर है। इसमें 626.195 वर्ग किलो मीटर एरिया कोर जोन एवं 287.822 वर्ग किलो मीटर एरिया बफर जोन है। इसमें कोर एरिया में 19 गांव व बफर एरिया में 5 गांव बसे हैं।