[TODAY छत्तीसगढ़] / स्कूल शिक्षा विभाग ने मिड डे मील की जांच कराने के बाद प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने का निर्देश दिया है। मीनू में सप्ताह में कम कम से कम दो दिन अंडा और दूध या फिर न्यूट्रिशन का खाद्य पदार्थ देने का निर्णय लिया गया है। स्कूल शिक्षा के सचिव गौरव द्विवेदी ने आदेश जारी करते हुए कहा कि प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए बच्चों को सोया उत्पाद दिया जाये। इसके लिए सुंगधित सोयादूध, सुगंधित एनिमल मिल्क, प्रोटीन क्रंच, फोर्टिफाइड बिस्किट, सोया बड़ी, मूंगफली चिकी, सोया पापड़, फोर्टिफाइड दाल आदि दिया जा सकता है। गौरतलब है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने साल 2017-18 में 27 जिलों में से 19 जिले में 58 स्कूलों से रैंडम सैंपल लेकर जांच कराई थी। इसमें पाया गया था कि कुछ स्कूलों में प्रोटीन की मात्रा कम है। बच्चों को कम कैलोरी मिल पा रही है। गौरतलब है कि राज्य के 146 विकासखंडों में 31 हजार 278 प्राइमरी और 13 हजार 559 मिडिल स्कूलों में करीब 32 लाख बच्चों को मिड डे मील दिया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार 250 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
बच्चों को कम कैलोरी और प्रोटीन वाला मिड डे मील दिया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में शाला त्यागी बच्चों की दर कम करके उन्हें सही पोषण आहार देने के लिए मिड डे मील योजना चलाई जा रही है। राज्य सरकार ने पहली बार मिड डे मील की सैंपलिंग कर कोलकाता लैब में जांच कराई तो सारे सैंपल फेल हो गए। प्राइमरी स्कूलों में प्रोटीन न्यूनतम 8.14 ग्राम तक मिला, जबकि मापदंडों के अनुसार 20 ग्राम होना चाहिए। इसी तरह प्राइमरी स्तर पर एनर्जी 450 कैलोरी होनी चाहिए, लेकिन जांच में 320.305 कैलोरी मिली। इसी तरह मिडिल स्तर पर प्रोटीन 20 ग्राम की जगह 11.895 ग्राम तक और एनर्जी 700 कैलोरी की जगह 424.11 कैलोरी मिली। अब जिन जगहों पर स्व सहायता समूह या अन्य एजेंसियों के जरिए भोजन पकाया जा रहा है, उन्हें नोटिस देकर जवाब मांगा जाएगा।
मिड डे मील का प्राइमरी का बजट 4.42 रुपये और मिडिल के लिए प्रति बच्चा 5.78 रुपये था। इसे बढ़ाकर प्राइमरी के लिए 4.58 रुपये कर दिया गया है। यदि स्व सहायता समूह एलपीजी गैस सिलेंडर से भोजन पकाएगा तो उसे सरकार बतौर प्रोत्साहन 4.78 रुपये प्रति छात्र बजट देगी। मिडिल स्कूल में प्रति बच्चा बजट 5.78 रुपए के बजाय 6.18 रुपए कर दिया गया है। यदि स्व सहायता समूह सिलेंडर का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें 6.48 रुपये मिलेंगे।
