[TODAY छत्तीसगढ़] / आज डेढ़ दशक से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी देव दर्शन से पहले घर के आँगन में तिरंगा फहरा कर उसे सलामी देना बिलासपुर शहर का श्रीवास्तव परिवार नहीं भूलता, वक्त बदला-बच्चों ने स्कूली शिक्षा की दहलीज पार कर उच्च शिक्षा में वाजिब मुकाम हासिल कर लिया लेकिन तिरंगा फहराकर राष्ट्र के प्रति प्रेम का भाव जस का तस बना रहा। सोलह बरस से जारी देश प्रेम की साधना को 'गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड' रिकार्ड में जगह मिली है। आईटीआई बिलासपुर में कार्यरत रहे सेवानिवृत के के श्रीवास्तव और उनका परिवार देश भक्ति की अनूठी मिसाल रचने वाला बिलासपुर शहर का एक मात्र परिवार है, जिसने हर वक्त-मौसम में पूरे सम्मान के साथ देश की आन-बान-शान तिरंगे को घर में फहराया। ये सिलसिला बदस्तूर जारी है, आगे भी रहेगा।
बिलासा की माटी में एक परिवार ऐसा भी है जिनके आंगन में प्रतिदिन तिरंगा शान से लहराता है और सुबह-सुबह घर में आरती व घंटियों की गूंज नहीं बल्कि राष्ट्रगान 'जण गण मन' के स्वर गूंजते हैं। परिवार का प्रत्येक सदस्य मंदिर में जाने से पहले तिरंगे को सलामी देता है। के के श्रीवास्तव ने अपने कार्य क्षेत्र कोनी में प्रशिक्षण अधिकारी के रूप में कार्य करते समय 26 जनवरी 2002 को पहली बार अपने आंगन में तिरंगा फहराया। इसके बाद से देशभक्ति और तिरंगे के प्रति मन में ऐसी आस्था जगी कि वे सेवानिवृत होने के बाद अब अपने निज निवास नेहरू नगर में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। उनके घर के आंगन में तिरंगे के लिए विशेष रूप से जगह बनी हुई है। प्रतिदिन सुबह पूरा परिवार तिरंगे का वंदन और राष्ट्रगान के साथ दिन की शुरुआत करता है। उनके साथ ही आसपास के लोग भी धीरे-धीरे इस परंपरा से जुड़ने लगे हैं। जैसे ही उनके घर से राष्ट्रगान के स्वर गूंजते हैं, वैसे ही उनके आसपास रहने वालों के जीवन में भी कुछ पलों के लिए स्थिरता आ जाती है और सभी देशभक्ति के रंग से रंग जाते हैं।
श्रीवास्तव ने बताया कि पहले कोनी में मिले शासकीय आवास में 10 सालों तक और उसके बाद अपने निज निवास में पिछले 6 साल से ये सिलसिला जारी है। इन 16 सालों में बहुत कुछ बदला, नहीं बदला तो सिर्फ तिरंगे के प्रति आदर-सम्मान का जज्बा। श्रीवास्तव की माने तो उनकी पत्नी और तीनों बच्चे भी इस कार्य में पूर्ण सहयोग देते हैं। फिलहाल उनकी बड़ी बेटी डॉ.श्वेता बेंगलुरु में, छोटी बेटी नीलम दिल्ली में एचआर और बेटा प्रखर आईआईटी गुवाहाटी में अध्यनरत हैं।
पिछले दिनों 'गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड' रिकार्ड की अधिकृत संवाददाता सोनल राजेश शर्मा ने श्रीवास्तव परिवार के नाम को 'गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड' रिकार्ड में शामिल होने की खबर दी। परिवार बेहद खुश है, उन्हें ख़ुशी इस बात की है इस देश में प्रत्येक नागरिक को अपने घर में तिरंगा फहराने की आजादी है, बशर्ते उसका पूरा सम्मान हो। उन्होंने TODAY छत्तीसगढ़ को बताया की सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में देश के हर नागरिक को अपने घर, दफ्तर समेत हर परिसर में राष्ट्र ध्वज फहराने की अनुमति दी। उसके बाद उन्होंने पहली बार राष्ट्र ध्वज फहराया।
तिरंगे के इतिहास में 2002 -
आजाद भारत में तिरंगे का एक खास मुकाम है और तिरंगे के इतिहास में 26 जनवरी, 2002 का अपना अलग स्थान है। यही वह दिन है जब भारत के आम नागरिकों को भी अपनी मर्जी के हिसाब से किसी भी दिन झंडा फहराने की अनुमति मिली। ऐसी बात नहीं है कि उनको इससे पहले झंडा फहराने का अधिकार नहीं था। अधिकार तो था लेकिन सिर्फ कुछ खास राष्ट्रीय दिवसों जैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने का। 26 जनवरी, 2002 को इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया गया और आम नागरिकों को कहीं भी कभी भी गर्व के साथ राष्ट्रीय झंडा फहराने का मौका मिला। अब वे गर्व के साथ अपने घरों, कार्यालयों और फैक्ट्रियों में झंडा फहरा सकते हैं।
फ्लैग कोड को जानें -
O इंडियन फ्लैग कोड को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहले हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के आकार और निर्माण के बारे में नियमों का उल्लेख है।
O दूसरे हिस्से में आम लोग, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों द्वारा झंडा फहराने और रखरखाव आदि से संबंधित नियमों का उल्लेख है।
O तीसरे हिस्से में केंद्र एवं राज्य सरकार और उनके संगठन एवं एजेंसियों द्वारा झंडा फहराने एवं इसके रखरखाव से जुड़े नियमों का उल्लेख किया गया है।
ध्वज के अनादर पर सजा -
झंडे का किसी तरह से अनादर करने की स्थिति में प्रीवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नैशनल ओनर ऐक्ट, 1971 (Prevention of Insults to National Honour Act, 1971) के तहत सजा का प्रावधान है। इस कानून में 2003 में संशोधन किया गया। इसके तहत पहली बार जुर्म करने पर 3 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। दोबारा जुर्म करने पर कम से कम एक साल सजा का प्रावधान है।
रात में भी फहरा सकते हैं झंडा -
भारतीय नागरिक अब रात में भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा सकते हैं। इसके लिए शर्त होगी कि झंडे का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमके। गृह मंत्रालय ने उद्योगपति सांसद नवीन जिंदल द्वारा इस संबंध में रखे गए प्रस्ताव के बाद यह फैसला किया। इससे पहले जिंदल ने हर नागरिक के मूलभूत अधिकार के तौर पर तिरंगा फहराने के लिहाज से अदालती लड़ाई जीती थी। कांग्रेस नेता जिंदल को दिए गए संदेश में मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव की पड़ताल की गई है और कई स्थानों पर दिन और रात में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के लिए झंडे के बड़े पोल लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है। जिंदल ने जून 2009 में मंत्रालय को दिए गए प्रस्ताव में बड़े आकार के राष्ट्रीय ध्वज को स्मारकों के पोलों पर रात में भी फहराए जाने की अनुमति मांगी थी। जिंदल ने कहा था कि भारत की झंडा संहिता के आधार पर राष्ट्रीय ध्वज जहां तक संभव है सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच फहराया जाना चाहिए, लेकिन दुनियाभर में यह सामान्य है कि बड़े राष्ट्रीय ध्वज 100 फुट या इससे उंचे पोल पर स्मारकों पर दिन और रात फहराए गए होते हैं।