[TODAY छत्तीसगढ़] / छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोमवार को बतौर मुख्यमंत्री पहली बार बिलासपुर पहुंचें, एसईसीएल हेलीपेड पर मुख्यमंत्री 1 बजकर 13 मिनट पर उतरे। तमाम सुरक्षा के बीच उनका स्वागत करने वालों का हुजूम हेलीपेड पर दिखाई पड़ा। कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी, आमंत्रित सदस्य और कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री बघेल का आत्मीय स्वागत किया। इसके बाद मुख्यमंत्री का काफिला हेलीपेड से निकलकर सबसे पहले अपोलो अस्पताल पहुंचा। अपोलो में भर्ती डॉक्टर प्रभुदत्त खेरा से मुलाक़ात कर मुख्यमंत्री ने उनका कुशलक्षेम पूछा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने एक बार फिर अपोलो प्रबंधन को डॉक्टर खेरा के स्वास्थ्य संबंधी दिशा-निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार बिलासपुर पहुंचे भूपेश बघेल का आत्मीय और आतिशी स्वागत कांग्रेसियों ने किया। एसईसीएल हेलीपेड से लेकर कॉंग्रेस भवन पहुँचने तक मुख्यमंत्री का कइयों जगह स्वागत-सत्कार हुआ। नूतन चौक में कांग्रेस पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री का स्वागत करने के साथ-साथ उन्हें फल-फूल से तौला । इसी तरह महामाया चौक में कांग्रेस पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं ने मुख़्यमंत्री को धान से तौलकर उनका आत्मीय स्वागत किया। भूपेश बघेल रोड शो करते हुए कांग्रेस भवन पहुंचे, इस दौरान उन्होंने बिलासपुर की जनता का हाथ जोड़कर आभार भी जताया।
... और उस बुजुर्ग को देख मुख्यमंत्री ने रुकवाया काफिला
साल के आखरी दिन बिलासपुर पहुंचे सूबे के मुख्यमंत्री का रोड शो सोमवार को बिलासपुर एसईसीएल हेलीपेड से शुरु होकर कांग्रेस भवन के लिए निकला। जगह-जगह स्वागत के लिए खड़ी भीड़ के स्नेह का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री का काफिला नूतन चौक से थोड़ा आगे ही बढ़ा था कि उनकी नज़र सड़क किनारे खड़े एक बुजुर्ग व्यक्ति पर पड़ गई। उन्होंने अपना काफिला रुकवाया और उन बुजुर्ग को अपने पास बुलाकर उनका हालचाल पूछते हुए उनसे आशीर्वाद लिया। दरअसल ये बुजुर्ग छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के संयोजक नंदकिशोर शुक्ल हैं जो मुख्यमंत्री के काफिले को देखते हुए सड़क किनारे खड़े थे।
नंदकिशोर शुक्ल छत्तीसगढ़ी भाषा को शिक्षा और सरकारी काम-काज की भाषा बनाने की कवायद में लगे हुए है. उनका मानना है कि संविधान के अनुसार मातृभाषा में पढ़ने का अधिकार सभी को है, लेकिन राजभाषा होने के बाद भी छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई-लिखाई नहीं हो रही है. इसलिए वो कड़ा संघर्ष कर महतारी भाषा छत्तीसगढ़ी को शिक्षा माध्यम बनाने में लगे है और छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने में लगातार संघर्ष कर रहे हैं.
नंदकिशोर शुक्ल छत्तीसगढ़ी भाषा को शिक्षा और सरकारी काम-काज की भाषा बनाने की कवायद में लगे हुए है. उनका मानना है कि संविधान के अनुसार मातृभाषा में पढ़ने का अधिकार सभी को है, लेकिन राजभाषा होने के बाद भी छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई-लिखाई नहीं हो रही है. इसलिए वो कड़ा संघर्ष कर महतारी भाषा छत्तीसगढ़ी को शिक्षा माध्यम बनाने में लगे है और छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने में लगातार संघर्ष कर रहे हैं.