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 [TODAY छत्तीसगढ़] / शौक और मौज मस्ती के लिए चोरी करना उस नाबालिग का पेशा बन चुका था जो इस वक्त बिलासपुर पुलिस की गिरफ्त में हैं। सरकंडा पुलिस की जरायम पंजी में पिछले दिनों एक इलेक्ट्रानिक्स दुकान में लाखों की चोरी होने का मामला दर्ज हुआ। अपराध दर्ज करने से पहले पुलिस ने मौक़ा-मुआयना किया। चोरी के तरीके और सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस को मामले का खुलासा करने में ज्यादा मशक्त नहीं करनी पड़ी। पुलिस ने पकडे गए आरोपी से चोरी का सामान बरामद कर लिया है। पुलिस का अनुमान है की पूछताछ में चोरी के और भी कुछ मामलों का खुलासा हो सकता है।   
जरा वीडियो फुटेज को गौर से देखिये, बिंदास-बेबाक चोर को इस बात का इल्म नहीं है की उसकी सारी करतूत सीसीटीवी के जरिये कम्प्यूटर में रिकार्ड हो रही है। सरकंडा थाना क्षेत्र के वालिया कांपलेक्स में मुस्कान कंप्युटर एवं इलेक्ट्रानिंक दूकान में  27 नवंबर की दरमियानी रात ये चोर घुसा, दूकान का शटर लोहे की रॉड से मोड़कर भीतर घुसे 17 साल के इस शातिर लड़के ने नगद रकम समेत कई मोबाइल फोन और अन्य सामान चुरा लिए। चोरी की वारदात को अंजाम दे रहे इस नाबालिग की नज़र अचानक दूकान में लगे कैमरे पर पड़ी, उसने अपने कपडे से चेहरा छिपाया लेकिन तब तक उसके कारनामों का सारा सच रिकार्ड हो चुका था । चोरी की सुचना पर सरकंडा पुलिस ने तफ्तीश शुरू की, दूकान से मिले सीसीटीवी फुटेज से पुलिस को आरोपी तक पहुँचने में जरा भी मुश्किल नहीं हुई। चूँकि आरोपी पहले भी चोरी के मामले में पकड़ा जा चुका था लिहाजा पुलिस के पास उसके हाल-मुकाम की खबर थी। मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने बताया की नाबालिग चोर पहले भी इसी तरह की चोरी की वारदात करने के मामले में जेल जा चुका है। 17 साल का आरोपी केवल शौक और मौज मस्ती के लिए चोरी किया करता है।
 उल्लेखनीय है की थाना सरकंडा बिलासपुर में प्रार्थी शरद कुमार पिता नारायण प्रसाद गुप्ता निवासी देवनंदन नगर सरकंडा ने 27 नवम्बर को रिपोर्ट की थी कि उसके बसंत विहार गेट स्थित  वालिया काम्पलेक्स में मुस्कान कम्प्युटर एवं इलेक्ट्रानिक्स दुकान है जहां अज्ञात चोर दुकान का शटर अड़ास कर भीतर घुसे और कीमती मोबाईल, लैपटॉप, एवं साउंड सिस्टम जिसकी अनुमानित कीमती लगभग 01 लाख 50 हजार रूपये चोरी कर ले गए है। 
    [TODAY छत्तीसगढ़] / मोहसिन खान _  सड़क पर बेलगाम रफ्तार अब  वन्य प्राणियों के मौत की बड़ी वजह बनती जा रहीं हैं। वन्य प्राणी विचरण क्षेत्र  से गुजरने वाले बड़े वाहन, खासकर चार पहिया वाहन चालक काफी लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हैं। सड़क हादसों में मारे जाने वाले अधिकाँश वन्य जीव-जंतु वाहन चालाक की शरारत का शिकार बनकर काल के गाल में समा जाते हैं। बीती रात भी कुछ ऐसा ही हुआ। रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वन क्षेत्र में अज्ञात वाहन की ठोकर से एक नर भालू की मौत हो गई। इसके बाद भालू का शव सुबह तक सड़क पर वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारीयों के आने के इंतज़ार में पड़ा रहा। सड़क पर पड़ी भालू की लाश देखकर सुबह ग्रामीणों ने सूचना विभागीय अमले को दी। 
 धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र के क्रोंधा मार्ग पर रविवार की रात एक भालू सड़क पार करते वक्त अज्ञात वाहन की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई। अज्ञात वाहन के चालक की लापरवाही और बेलगाम रफ्तार एक नर भालू के मौत की वजह बन गई।  इस हादसे के बाद अज्ञात वाहन चालक वाहन लेकर मौके से भाग निकला लेकिन वन्य प्राणी की लाश रात भर सड़क पर पड़े-पड़े वन कर्मियों की पंचनामा कार्रवाही का इंतज़ार करती रही। जंगल के सुरक्षा प्रहरी चैन की नींद लेते रहे और एक भालू का हत्यारा बेख़ौफ़ सैकड़ों किलोमीटर दूर बचकर निकल गया। सड़क पर सुबह करीब पांच बजे जब आसपास के ग्रामीणों की आमदरफ्त शुरू हुई तो ग्रामीणों ने भालू के शव को देखा और जानकारी विभाग के कर्मचारियों को दी गई । इसके बाद मौके पर वन कर्मचारी पहुंचे और शव का पंचनामा कर पोस्टमॉडम की ओपचारिकता पूरी कर भालू का कास्ठागार में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
धरमजयगढ़ वन मंडल के कई ऐसे रेंज औंर सर्किल हैं, जहां रात के दौरान रेंजर, डिप्टी रेंजर व परिसर रक्षक अपने मुख्यालय पर नहीं रहते हैं। यही कारण है कि अक्सर रात के दौरान वन अपराध यहां घटित हो रहे हैं। बीती रात भी इसी तरह का मामला देखने को मिला। जब एक भालू का शव रात भर सड़क पर पड़ा रहा और विभाग के अधिकारी-कर्मचारी चैन की नींद लेते रहे। वन परिक्षेत्र में गश्त की हकीकत भी किसी से छिपी नहीं है। वन अधिकारीयों-कर्मचारियों की लापरवाही और उदासीनता से जहां मूक वन्य प्राणी हादसों का शिकार हो रहे वहीँ जंगल माफिया बेख़ौफ़ वन सम्पत्ति को लूटकर जंगल उजाड़ रहे। इस पुरे मामले में विभागीय अधिकारियों को उन कर्मियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है जो दिन ढलते ही मुख्यालय से बिना अनुमति गायब रहते हैं।   
  [TODAY छत्तीसगढ़] / छत्तीसगढ़ पुलिस (अपराध अनुसंधान विभाग) और युनिसेफ के संयुक्त तत्ववधान में ‘‘बाल हितैषी पुलिसिंग‘‘ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ सोमवार को पुलिस महानिदेशक ए.एन.उपाध्याय ने किया।03 से 05 दिसम्बर तक चलने वाली इस कार्यशाला में पुलिस महानिदेशक ए.एन. उपाध्याय ने कहा कि पुलिस का दायित्व बाल अपराध को रोकने के साथ-साथ यह भी पता लगाना है कि बच्चा अपराधी कैसे बना, इसके लिये कौन सी परिस्थितियां जिम्मेदार है। उन्होंने कहा है कि भारतीय समाज में जैसे-जैसे परिवर्तन होते है उसी प्रकार समय-समय पर नियम और कानून बनाये जातें है। बच्चों की देख-रेख ज्यादातर समय उनके परिवार में होती है। बच्चों के माता-पिता, अभिभावक और स्कूल जाने की स्थिति में स्कूल शिक्षक सही ढ़ंग से बच्चों के प्रति संवेदनशील हो तो बच्चा अपराध की ओर आकर्षित नहीं होगा।
पुलिस महानिदेशक उपाध्याय ने कार्यशाला आयोजन की सफलता पर आशा व्यक्त करते हुए कहा कि बाल अपराध विषय के विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों के विचार-विमर्श पश्चात् महत्वपूर्ण तथ्य हासिल  होंगे उनका समावेश पाठ्यक्रम के रूप में छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी एवं पुलिस की प्रशिक्षण संस्थाओं में लागू किया जाएगा। कार्यशाला में विशेष पुलिस महानिदेशक आर.के.विज ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सभी जिले के पुलिस अधिकारियों को पुलिस अकादमी में 15-15 दिनों का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण विशेष तौर पर बाल अपराध की रोकथाम, पॉस्को एक्ट और जे.जे. एक्ट में किये गये प्रावधानों को समझने और उसके क्रियान्वन विषय पर था।
सरकार द्वारा बच्चों से संबंधित मामलों की विवचेना के लिए एक्ट में सभी प्रावधान किये गये हैं, जिससे मालुम होता है की पुलिस अधिकारियों को क्या करना है और क्या नहीं करना है। उन्होंने कहा कि एक पुलिस अधिकारी को यह भी जानना आवश्यक है कि बाल संरक्षण गृह में समय व्यतीत करने के बाद बच्चा फिर अपने समाज में जायेगा तब वह कैसा अनुभव करेंगा। कहीं उसका मानसिक विकास बाधित न हो इसलिए प्रत्येक पुलिस अधिकारियों को बच्चों के प्रति विवेचना करते समय कई बातों का ख्याल रखना चाहिए। कार्यशाला में कर्नाटक राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राघवेन्द्र ने कर्नाटक राज्य में पुलिस को बाल हितेषी क्षेत्र में प्रशिक्षित करने के संबंध में किये गये कार्याें को विस्तार पूर्वक बताया । इस ख़ास मौके पर महासुमन्द जिला पुलिस द्वारा प्रकाशित एक पुस्तिका का विमोचन किया गया।
  [TODAY छत्तीसगढ़] / अंबिकापुर जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र के 48 प्रत्याशियों के भाग्य के फैसले के लिए इवीएम में बंद मतों की गणना 11 दिसंबर को किया जाना है। जिला प्रशासन ने इसकी तैयारी लगभग पूरी कर ली है। विधानसभा चुनाव के लिए एक इवीएम में डाले गए मतों की गिनती में कम से कम 20 मिनट का समय लगेगा।  विधानसभावार एक राउंड में 14 टेबलों पर 14 इवीएम में डाले गए मतों की गिनती की जाएगी। इसके अलावा प्रत्याशियों के नाम के अनुसार प्राप्त मतों के टेबुलेशन में भी 20 मिनट का समय लगने का अनुमान है।विधानसभा चुनाव 2018 के द्वितीय चरण में 20 नवंबर को मतदान के बाद सभी प्रत्याशियों का भाग्य इवीएम में बंद हो गया है। मतदान के बाद प्रत्याशियों के साथ ही उनके समर्थक अब जीत-हार का दांव लगाने में जुटे हुए हैं, वहीं जिला प्रशासन मतगणना की तैयारी में जुट गया है। 11 दिसंबर को पॉलिटेक्निक कॉलेज में सरगुजा जिले के तीन विधानसभा सीट के लिए सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी। तीनों विधानसभा सीट के लिए 227 कर्मचारी व अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। जिले में सबसे पहले सीतापुर विधानसभा सीट के परिणाम आने की संभावना जताई जा रही है।
सीतापुर में सबसे कम 244 मतदान केंद्र थे। जबकि यहां चुनावी मैदान में भी सबसे कम 11  प्रत्याशी ही अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इस बार विधानसभावार एक राउंड में 14-14 टेंबलों पर 14 इवीएम में डाले गए मतों की गिनती की जाएगी। इस तरह एक राउंड की गिनती में 20 मिनट का समय लगेगा। इसके अलावा प्रत्याशियों के नाम के अनुसार प्राप्त मतों के टेबुलेशन में भी 20 मिनट का समय लगने का अनुमान है। इसके अनुसार सुबह 10 बजे तक पहले चक्र का रूझान सामने आ जाएगा। मतगणना ड्यूटी में लगे सभी कर्मचारी व अधिकारियों को इवीएम में डाले गए मतों की गणना और टेबुलेशन में लगने वाले समय से लेकर परिणाम की घोषणा किए जाने तक की सभी जानकारी दे दी गई है। सरगुजा जिले में तीन विधानसभा सीट हैं। इसमें प्रदेश की सबसे अधिक हाइप्रोफाइल सीट अंबिकापुर भी शामिल है।सीतापुर विधानसभा सीट में सबसे कम 244 बूथ हैं। इसके साथ ही यहां सबसे कम 11 प्रत्याशी हैं। यहां इवीएम के मतों की गणना 18 राउंड में खत्म हो जाएगी।
इस बार निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार एक चक्र में विधानसभा क्षेत्र के मतगणना के लिए 14-14 टेबल लगाए जाएंगे। इसके पहले विधानसभावार इवीएम की संख्या के आधार पर टेबलों की संख्या कम ज्यादा कर ली जाती थी।
निर्वाचन आयोग ने मतगणना में पारदर्शिता के लिए ऑनलाइन टेबुलेशन किया है। विशेष सॉफ्टवेयर तैयार कराया गया है। गणना के दौरान मशीनों में दर्ज मतों की आंकड़े इसमें दर्ज होते रहेंगे। इन मतों को निर्वाचन आयोग के अधिकारी सीधे देख सकेंगे। गणना के प्रत्येक चक्र के बाद अभ्यार्थियों के एजेंटों को सुपरवाइजर द्वारा हस्ताक्षरित गणना पत्रक की प्रति भी उपलब्ध कराई जाएगी। मतगणना की शुरूआत सरकारी कर्मचारियों के पोस्टल बैलेट से की जाएगी। पोस्टल बैलेट की गणना ८ बजे प्रारंभ की जाएगी। बैलेट के परिणाम गणना के साथ घोषित कर दिए जाएंगे। पोस्टल बैलेट की गणना के बाद ही स्ट्रांग रूम खोला जाएगा और इवीएम की गणना कराई जाएगी।
विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक हाइप्रोफाइल सीट अंबिकापुर है। यहां से नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जबकि भाजपा से अनुराग सिंहदेव उम्मीदवार हैं। अंबिकापुर विधानसभा में सबसे अधिक 273 मतदान केंद्र हैं। यहां से नोटा सहित २२ प्रत्याशियों के मतों की गणना की जानी है। एजेंटों को संख्या बोलकर बताने और इसके बाद टेबुलेशन के लिए इसे आदर्श समय के रूप में तय किया गया है। लेकिन जहां ज्यादा प्रत्याशी हैं, वहां एजेंटों को बताने व इसके बाद टेबुलेशन में अतिरिक्त समय लग सकता है। वहीं लुण्ड्रा विधानसभा में 254 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। यहां 15 प्रत्याशी चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। [पत्रिका]
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