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[TODAY छत्तीसगढ़] /  गुरुवार की सुबह सड़क हादसे में एक इंजीनियर छात्र की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य छात्र घायल हो गए हैं। घायल छात्रों में से एक की हालत नाजुक बनी हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हादसे के शिकार चारों जगदलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र हैं। छात्रों ने बुधवार की रात में पहले तो जमकर शराब पी और फिर सिगरेट पीने के लिए शहर की तरफ निकल पड़े। चारों छात्र गुरुवार की सुबह करीब 3 बजे हॉस्टल से एक ही बाइक में सवार होकर बस स्टैंड की ओर सिगरेट पीने जा रहे थे। तभी इनकी तेज रफ्तार बाइक अनियंत्रित हो गई और जगदलपुर के अनुपमा चौक के पास ट्रैफिक सिग्नल से जा टकराई। इस दुर्घटना में एक छात्र के सिर में गहरी चोट आने की वजह से मौके पर ही मौत हो गई। बाकी तीन छात्र घायल हो गए। सभी घायल छात्रों को जगदलपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां एक छात्र की हालत नाजुक होने की वजह से रायपुर रेफर कर दिया गया है। 
[TODAY छत्तीसगढ़] /  दंतेवाड़ा में नक्सली उन्मूलन अभियान के तहत् किरंदुल थाना क्षेत्र अंतर्गत मड़कामीरास से बुधवार को जनमिलिशिया कमांडर गिरफ्तार किया गया।प्रभारी नक्सली उन्मूलन अभियान गोरखनाथ बघेल नें जानकारी देते हुये बताया कि किरंदुल पुलिस और जिला आरक्षी बल की संयुक्त टीम गश्त पर निकली थी। इसी दौरान अतिसम्वेदनशील मड़कामीरास निवासी लच्छू मड़कामी,उम्र,35 वर्ष निवासी मड़कामीरास,सरपंचपारा से हिरासत में लिया गया।उक्त नक्सली जनमिलिशिया कमांडर के रूप में नक्सली संगठन से जुड़ा हुआ था।उल्लेखनीय है कि पुलिस अधीक्षक डॉक्टर अभिषेक पल्लव के मार्गदर्शन में किरंदुल पुलिस अमले द्वारा नक्सलियों अभियान में तेजी लाई गई है।जिससे नक्सलियों की गिरफ्तारी सम्भव हो सकी है।गिरफ्तार नक्सली पर राज्य शासन द्वारा एक लाख रूपये का पुरस्कार घोषित किया गया था।जनमिलिशिया कमांडर नक्सलियों की बैठकें करवानें,संतरी ड्यूटी करवानें,सड़क खोद कर आवागमन बाधित करनें में भागीदार रहा है।उक्त नक्सली गुमियापाल, हिरोली,समलवार और मड़कामीरास में दहशत फैलानें में लिप्त था।इस कमांडर की गिरफ्तारी से नक्सली गतिविधियों में कमी आनें की उम्मीद जताई गई है। 
[TODAY छत्तीसगढ़] / बिलासपुर के सिविल लाइन थाना में गुरूवार की दोपहर एक टायर दूकान के बाहर रखे पुराने टायरों में आग लगने से अफरा-तफरी मच गई। आगजनी की घटना तिफरा ओवरब्रिज के नीचे की है जहां एक टायर दूकान के बाहर रखे टायर अचानक जलने लगे। मौके पर मौजूद लोगों की सुचना पर तत्काल फायर ब्रिगेड की टीम पहुंचीं और आग की लपटों में धु-धु जलते टायरों को बुझाने की कोशिश शुरू हुई। 
इस संबंध में हासिल जानकारी के मुताबिक बिलासपुर के तिफरा ओवरब्रिज के ठीक नीचे एक टायर दूकान है जहां पुराने टायर खरीदे-बेचे जाते हैं। इस दूकान में अच्छी खासी संख्या में पुराने टायर थे, आज दोपहर अचानक उन टायरों के बीच आग सुलगती दिखाई पडी जो कुछ ही मिनटों में भयावह हो गई। टायर दूकान के संचालक ने प्रारंभिक कोशिश की लेकिन आग की लपटों की भयावहता देखकर तत्काल दमकल कर्मियों को सूचित किया गया। आगजनी की इस वारदात की सुचना पुलिस को भी दी गई। मौके पर पुलिस तस्दीक के लिए पहुंची और फायर ब्रिगेड आग पर काबू पाने के लिए। दमकल कर्मियों की तत्तपरता से आग पर करीब घंटे भर की मशक्त के बाद काबू पा लिया गया लेकिन इस घटना में सैकड़ों पुराने टायर जलकर खाक हो गए जिनकी कीमत का आंकलन फिलहाल नहीं किया जा सका है। 
यहां ये बताना लाजिमी होगा की आज जिस दूकान में आग लगी उससे कुछ दुरी पर स्थित एक मोटरसाइकिल शो रुम में दिवाली के दूसरे दिन आग लगी थी। आस-पास रहने वालों की बात पर यकीं करें तो इस इलाके में कुछ असमाजिक और नशाखोर युवकों की वजह से इस तरह की घटना होती है। हालांकि पुलिस इस मामले में जांच कर रही है। 
   
ह जनता के जश्न मनाने का समय है। खुद की ताकत पर इतराने का समय है। यह देखकर आनंद लेने का समय है, कि दिग्गज, कद्दावर, बाहुबली, अजेय और ना जाने क्या क्या विशेषण लगाने वाले नेता कैसे थरथर कांप रहे हैं। मतदाताओं ने नेताओं को छठी का दूध याद दिला दिया है। चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल मुखर थे, मतदाता मौन था। एक मेले के मैदान सा दृश्य था जिसमें अलग-अलग राजनीतिक दल अपने-अपने स्टाल लगाए खेल-तमाशे दिखा रहे थे। ये खेल-तमाशे भी बेहद लाउड, भड़कीले और अश्लील थे। प्रचार अभियान नहीं प्रचार युद्ध में उतरे इन दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए स्ट्रीपटीज (एक एसा विदेशी नृत्य जिसमें नर्तकी अपने वस्त्र उतारती है) नुमा हरकतों से भी परहेज नहीं किया। ये तमाशा दिखा रहे थे और मतदाता तमाशबीन था। प्रदेश की प्रमुख दोनों राजनीतिक पार्टियों के विज्ञापनों में सतरंगी भविष्य का जिक्र था, वर्तमान की ब्लैक एंड व्हाइट स्थिति को राजनेता अपने भाषणों में इग्नोर करने का आग्रह कर रहे थे, लेकिन मंचों के सामने खड़ा वोटर इस बार मैच्योर था। रैलियों, सभाओं, रोड-शो में भीड़ बनकर जा रहा मतदाता दरअसल भीड़ नहीं था वह अपना बुरा-भला समझने वाला जिम्मेदार व्यक्ति था। सालों से सत्ता के खुमार में गाफिल नेता ये समझ नहीं पाए कि जनता, मतदाता शब्द में लगे दाता का अर्थ समझ गई है । वो जान गई है कि असल में देने वाली वो खुद है और याचक राजगद्दी पर चढ़े लोग। इस ताकत के अहसास ने छत्तीसगढ़ के 1 करोड़ 86 लाख मतदाताओं को अच्छे-बुरे में फर्क करने की तार्किक क्षमता दे दी। अपनी इस क्षमता का उपयोग वोटर्स ने इस बार दोनों चरणों के मतदान में किया। 
पहले चरण की 18 सीटों के मतदान के बाद एसे संकेत मिल रहे थे, कि मतदाता कन्फ्यूज नहीं है, लेकिन 20 नवंबर को 72 सीटों पर मतदान ने यह प्रमाणित कर दिया कि मतदाता इस बार खुद नहीं प्रत्याशियों को कन्फ्यूज करेंगे। अब वोटिंग पूरी होने के बाद प्रदेश की सभी 90 सीटों से जो रुझान हैं चौंकाने वाले हैं। संकेत, सत्ता परिवर्तन का है। 15 साल की सरकार के बहुमत की नींव में दरार दिख रही है। अभी परिणाम को 19 दिन बचे हैं, लेकिन मतदान पूर्ण होने के बाद जो आभास हो रहा है वो नए शपथ ग्रहण में चेहरे बदले होने का है। इसके साथ ही एक और सकारात्मक संकेत मिल रहा है, वह है 18 साल के छत्तीसगढ़ के वोटर्स के “युवा” होने का। युवा से आशय परिपक्व होने का है। अब मतदाता वोट करने से पहले सोचने लगा है। वह सरकार, उसके मंत्रीमंडल, उसकी नीतियों, उसकी घोषणाओं और सबसे बड़ी बात कि उसके वादों की विश्वसनीयता पर विचार कर रहा है। मतदाता यह सोच रहा है कि मेरा प्रतिनिधित्व करने वाला विधायक बतौर लीडर कैसा है और बतौर इंसान कैसा है। उसकी राजनीतिक पार्टी पर विचार बाद में करता है। इसी का उदाहरण है कि मतदान के बाद मुख्यमंत्री, एसे विधायक और मंत्री सेफ जोन में दिख रहे हैं जिनकी छबि अच्छे इंसान के बतौर है। जो जमीन पर रहे हैं, जिनका जनता से संपर्क रहा है। एसे विधायक, मंत्री सांसत में हैं जिन्होंने जनता को सत्ता की सीढ़ी समझा और सिंहासन पर जम गए। जनता नीचे से इन्हें ताकती रही। पिछले 15 सालों में एसे लोगों की तादात बढ़ती भी रही। हालात राजा और प्रजा जैसे हो गए और जैसा हमेशा होता रहा है, राजा, राजधानी में रम गए और सेनापति, मंत्रियों ने बचे राज्य को चारागाह बना लिया।
 जब अवाम के जिस्म की चमड़ी जरूरत के कोड़े उधेड़ने लगे तो खलबली मची। जनता ने इस बात को भी समझा, कि ये लोकतंत्र है। यहां बगावत नहीं होगी, क्रांति नहीं होगी, विद्रोह नहीं होगा। यहां सही समय का इंतजार करना होगा। जनता ने किया और वोट से चोट की। जो दृश्य दिखाई दे रहा है, उससे लगता तो है कि चोट सही जगह पर हुई है। प्रदेश के 13 मंत्रियों में से 8 की जीत पर संशय है। प्रदेश के कई सिटिंग एमएलए की हार तय होने की खबरें हैं। ये फैसला वही अवाम सुना रही है जिसने तीन बार लगातार यहां एक ही पार्टी को राजतिलक लगाया है। छत्तीसगढ़ 18 साल का हो गया है। इन 18 साल में वोटर्स की एक पीढ़ी तैयार हो गई है जो लोकतंत्र का अर्थ ज्यादा बेहतर समझती है, संविधान समझती है और सेवा और सत्ता का अर्थ समझती है। यह पीढ़ी अंग्रेजी के “मोनोपाली” शब्द का अर्थ और उसके नुकसान भी समझती है। यह प्रमाणित थ्योरी है कि सत्ता का एकाधिकार, तानाशाही में बदल जाता है। 11 दिसंबर को आने वाला रिजल्ट जो भी हो, इस बात का संदेश और चेतावनी तो जरूर देगा कि छत्तीसगढ़ के शहर स्मार्ट हुए ना हुए वोटर जरूर स्मार्ट हो गया है।
भारतीय और विश्व इतिहास में 22 नवंबर की प्रमुख घटनाएं -
 1517- सिकंदर लोधी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इब्राहीम लोदी दिल्ली का शासक बना। 1675- अंग्रेज राजा चार्ल्स द्वितीय ने संसद को स्थगित किया।
 1707- राजकुमार जोहान विलेम फ्रिसो ने फ्रीसलैंड के वायसराय के रूप में शपथ ली।
 1830- चार्ल्स ग्रे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने।
 1842- अमेरिका में सेंट हेलेंस पर्वत पर ज्वालामुखी विस्फोट
 1899- स्वतंत्रता सेनानी ,राजनीतिज्ञ, लेखक एवं उद्योगपति हरेकृष्ण मेहताब का उडीसा(अब ओडिशा) के बालासोर में जन्म।
1905- ब्रिटिश ,इतावली,रूसी,प्रांसीसी और आस्ट्रो-हंगेरियन सेनाओं ने लेसबास पर हमला किया।
1968- लोक सभा ने मद्रास का नाम तमिलनाडु बदलने पर स्वीकृति दी।
 1992- असम में बोडो उग्रवादियों द्वारा एक बस पर किये गये बम विस्फोट में 27 लोगों की मौत।
1997- डायना हेडन ने विश्व सुंदरी का खिताब जीता।
1808 - दुनिया की मशहूर ट्रेवल कंपनी थॉमस कुक एंड संस के संस्‍थापक थॉमस कुक का जन्‍म हुआ था.
1830 - अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की जंग छेड़ने वाली रानी लक्ष्‍मीबाई की सेना की मुख्‍य सदस्‍य झलकारी बाई का जन्‍म हुआ था.
1986 - ब्‍लेड रनर ऑस्‍कर पिस्‍टोरियस का जन्‍म आज ही के दिन हुआ था.
1963 -  अमेरिका के 35वें राष्‍ट्रपति जॉन एफ केनेडी की हत्‍या आज ही के दिन हुई थी.
1990 - ब्रितानी प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को दूसरी बार पार्टी नेता बनने के चुनाव में कैबिनेट ने समर्थन देने से इनकार कर दिया. इस तरह थैचर को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा.
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