अरपा भैंसाझार बैराज- काम दिखा, नहरें अधूरी
[TODAY छत्तीसगढ़ ] / प्राण चढ्ढा / अरपा भैंसाझार परियोजना का बैराज का काम पूरा हो गया है। बिलासपुर से कोई तीस किमी दूर रतनपुर-कोटा सड़क मार्ग पर इस योजना के साथ अविभाजित मध्यप्रदेश के सीए वीरेन्द्र सखलेचा, उनके मंत्री मनहरण लाल पाण्डेय,का नाम क़रीब चार दशक पूर्व इस प्रोजेक्ट के शिलान्यास के साथ जुड़ा, पर कोई काम नहीं हुआ। फिर सीएम श्यामाचरण शुक्ल ने विधान सभा चुनाव के कुछ माह पहले एक और शिलान्यास कर दिया। पहले के शिलान्यास को हटा दिया गया। इस योजना का महत्व देखते हुए रतनपुर और बिलासपुर के कृषक नेताओ ने जोरदार पैदल मार्च किया, जिसे आनंद मिश्रा,केदार जायसवाल ने लीड किया।लेकिन अंगेजों की बनी इस परियोजना के काम का श्रीगणेश नहीं हो सका। छतीसगढ़ राज्योदय बाद अरपा को बचाने मंत्री अमर अग्रवाल और सीएम रमनसिंह ने रुचि ली, योजना को फिर से रूप देकर, बैराज की ऊंचाई और डूबान इलाके में कमी की गईं। बीते मास तीन बार इस बैराज तक गया, अरपा का पानी अभी रोका नहीं गया है फिर भी बैराज में काफी भराव हो गया है। कई बड़े ट्रक बैराज के करीब खड़े है। काम लगभग यहाँ पूरा हो गया है।
इस तरह बैराज का काम पूरा होने से कईं हजार एकड़ भूमि में लगने वाली फसल की सूखे से सुरक्षा का प्रबंध होता नजर आ रहा है। लेंकिन नहरों का काम अपूर्ण है। अरपा परियोजना से नदी की सदानीरा बनने का सपना अभी बाकी है, इसे साबरमती या लन्दन की टेम्स नदी से बनाये जाने का सपना संजोया गया है।
आज जब देश की नदियों में बाढ़ है अरपा नदी का धार सेंदरी से बिलासपुर शहर में मात्र 40 फीसद नहीं है। प्रोजेक्ट एरिया में नदी के दोनों किनारे की जमीन के खरीद फरोख्त के लिए अनुमति का पंगा लगा है। दूसरी तरफ नदी से इस बुरी तरह रेत निकली गयी कि, कई जगह चम्बल के बीहड़ यहां नजर आते हैं। नदी में झाड़ियों की हरियाली मीलों दूर तक है।
सम्भावनाओं और आशंका के बीच काम चलेगा,क्या पहाड़ी नदी अरपा में इतना जल प्रवाह होगा कि बिलासपुर के जल में उसका सौंदर्य टेम्स सा दिखे। किसानों के खेतों की प्यास बुझ सकेगी? इस सबके लिए भविष्य के झरोखे का खुलना अभी बाकी है।
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पैदल चले वृक्ष मित्र, बोले नहीं कटने देंगे पेड़
[TODAY छत्तीसगढ़ ] / सरकारें लगातार विकास के नाम पर प्रकृति और उससे जुड़े संसाधनों को नुकसान पहुंचा रहीं हैं वहीँ दूसरी तरफ उससे होते नुक्सान और इंसानी कहर की अनदेखी कर कॉन्क्रीट का जाल बिछाया जा रहा है। विकास की इबारत को अमलीजामा पहनाने वाले ये मानते हैं की ये सालों से होता चला आ रहा है, आगे भी होगा। पर्यावरण और उसके आस-पास रहने वालों को भविष्य में उसका क्या खामियाजा उठाना होगा ये सरकार बहादुर और उसके नौकरशाह नहीं सोचते। साल दर साल बिलासपुर और उसके आस-पास का वातावरण बदलता जा रहा है। करीब डेढ़ साल पहले सकरी से कोटा की सड़क को चौड़ा करने के नाम पर सैकड़ों हरे भरे वृक्ष बलिदान कर दिए गए। उस समय भी खूब शोर-शराबा हुआ, सैकड़ों वृक्ष मित्रों ने विरोध के स्वर बुलंद किये लेकिन प्रशासनिक क्षमता के आगे हजारों वृक्ष मौत के घाट उतार दिए गए।
एक बार फिर सराहनीय पहल का शोर कानों में सुनाई पड़ रहा है। इस बार बिलासपुर से रतनपुर फिर आगे बगदेवा तक सड़क चौड़ीकरण होना है लिहाजा पेड़ों पर कर्मठ अधिकारीयों की नज़रे तिरछी हैं। हालांकि इस बार वृक्ष मित्रों ने ये प्रण किया है की हर हाल में हजारों पेड़ों को बलि से बचाएंगे। वृक्ष हर हाल में बचना चाहिए, पर्यावरण के दुश्मनों का हर कदम विरोध होगा तभी हमारा कल सुरक्षित रह पायेगा। रविवार को आयोजित इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एवं वन्यजीव-पर्यावरण जानकार प्राण चढ्ढा भी पहुंचें। आयोजन का विस्तार उनके सोशल वाल से ..
'पेड़ बचाओ और पेड़ लगाओ' के नाम पर कुछ प्रकृति प्रेमियों का सन्डे रहा। बिलासपुर से रतनपुर और उससे आगे बगदेवा तक सड़क चौड़ीकरण के नाम पर साढ़े चार हजार से अधिक पेड़ों की कटाई के खिलाफ, शहरवासी एकजुट होकर नेहरूप्रतिमा चौक से करीब 11किमी दूर ग्राम सेंदरी तक पदयात्रा की गई ।
सबका मत है कि सड़क बनने के लिए जगह काफी है पर दोनों किनारे के पेड़ों पर गैरजरूरी कुल्हाड़ी चलाई जा रही है। पेड़ बचाने इस पद यात्रा में छात्र,युवा,महिलाएं, WWF, कृषि, और इंजीनियरिंग कालेज के छात्र-छात्राओं के अलावा बड़ी संख्या में ग्रामीण व प्रबुद्धजन मौजूद थे। सेंदरी पहुंचने पर गायत्री परिवार और सरपंच राजेन्द्र साहू ने पदयात्रियों का स्वागत किया।
सेंदरी के ग्राम सभा भवन में आयोजित सभा में पेड़ों को बचाने सब ने संकल्प लिया औऱ इस बात पर चिन्ता व्यक्त की हरा भरा ये इलाका और साथ बहती अरपा नदी, अविवेकपूर्ण काम के कारण चिंतनीय दशा में पहुंच गई है। सभा में प्रथमेश मिश्रा, शिवा मिश्रा,बीआर कौशिक,सत्यकाम आर्य,अखिलेश चन्द्र वाजेपयी, श्री दीवान, शैलेश शुक्ला,मनीष राय,भी शामिल रहे। अरपा नदी के किनारे अरपा अर्पण अभियान के सदस्य सुबह से लगाए पेड़ों से खरपतवार निकलने औऱ नए पौधों लगाते हुए भी दिखे जो प्रत्येक रविवार यहां पहुंच रहे है और चरणबद्ध तरीके से हरियाली लाने में जुटे हैं। इनमें श्याम मनोहर दुबे,जगजीत, बसन्त जायसवाल, जय पाठक और काफी युवजन शामिल रहे।
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'जोगी को सीट नहीं, भीख मिलेगी ' - हीरासिंह
[TODAY छत्तीसगढ़ ] / गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम ने आज कोरिया में साफ़ कर दिया की उनकी पार्टी छत्तीसगढ़ की 45 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी । उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि पार्टी राज्य की 45 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने के साथ-साथ पडोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी 68 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। उन्होंने बताया कि पार्टी ने अब तक कई प्रत्याशी तय कर लिए हैं । छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की २ विधानसभा सीट से नाम लगभय तय हो चुका है। गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी गठबंधन नहीं करती हिस्सेदारी मांगती है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के अध्यक्ष अजित जोगी से जुड़े एक सवाल पर गोंगपा नेता श्री मरकाम तल्ख़ अंदाज में बोले 'पहली बार जोगी को गोंगपा की वजह से ही जीत हासिल हुई थे लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने हमारी पार्टी को नुक्सान पहुँचाया ' . आगामी चुनाव में जोगी कांग्रेस की स्थिति पर आदिवासी नेता साफ़ बोले इस बार 'जोगी को सीट नहीं, भीख मिलेगी ' .
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आपको बता दे ये वही सरगुजा हैं जहाँ 3 वर्षों तक पूरे जिले में धारा 144 पिछले वर्ष मई महीने तक लगी रही । आजकल यहां अदानी कंपनी के इशारे पर कार्य होता हैं। जमीन छिनने के लिए गांव की फर्जी ग्रामसभा खुद एसडीएम आकर करवाते हैं ऐसे गंभीर आरोप भी मंच के पदाधिकारियों ने लगाए हैं।
वन अधिकार सिर्फ कागजों में
[TODAY छत्तीसगढ़ ] / छत्तीसगढ़ में न तो वनाधिकारों को मान्यता दी जा रही हैं और न ही उसके खिलाफ आंदोलन करने दिया जा रहा हैं। पिछले महीने से धरने पर बैठे आदिवासी प्रशासनिक उत्पीड़न का शिकार हैं। सरगुजा में वनाधिकार मान्यता कानून के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक वन संसाधनों के अधिकारों को मान्यता देने की मांग पर शुरू हर अनिश्चित कालीन क्रमिक भूख हड़ताल कर रहे आदिवासियों के पंडाल को जिला प्रशासन ने उखाड़ दिया। धमकाते हुए आंदोलन की अनुमति नही होने का हवाला देकर आंदोलन को जबरन बंद करवाया।आपको बता दे ये वही सरगुजा हैं जहाँ 3 वर्षों तक पूरे जिले में धारा 144 पिछले वर्ष मई महीने तक लगी रही । आजकल यहां अदानी कंपनी के इशारे पर कार्य होता हैं। जमीन छिनने के लिए गांव की फर्जी ग्रामसभा खुद एसडीएम आकर करवाते हैं ऐसे गंभीर आरोप भी मंच के पदाधिकारियों ने लगाए हैं।
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