TODAY छत्तीसगढ़ / रायपुर / केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन योजना की क्रियान्वयन की धीमी रफ्तार पर गहरा असंतोष जताया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की राशि का पूरा उपयोग नहीं कर पाई है, और 19 सौ में से सिर्फ 4 सौ करोड़ रूपए खर्च हुए हैं।
श्री शेखावत ने मीडिया से चर्चा में कहा कि अन्य राज्यों का परफार्मेंस काफी बेहतर है। तेलंगाना में शत प्रतिशत योजना का क्रियान्वयन हो चुका है। छत्तीसगढ़ में पिछले साल की राशि नहीं खर्च हो पाई है। उन्होंने सीएम के साथ समीक्षा बैठक के बाद उम्मीद जताई कि आने वाले समय में परफार्मेंस बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि जितना पैसा दिया जा रहा है, उतना पर्याप्त खर्च होना चाहिए। जल शक्ति मंत्री ने कहा कि इस योजना के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ 19वें स्थान पर था। अब 30 वें स्थान पर पहुंच गया है।
शेखावत ने कहा कि कोविड की आपदा में भी केंद्र सरकार ने जल के क्षेत्र में बेहतर काम किया है, जो 70 सालों में जो नहीं हुआ था। 2024 में एक भी मां-बहन सिर पर पानी उठाने को मजबूर नहीं होंगी। उन्होंने बताया कि जल मिशन की शुरुआत 25 दिसबंर 2019 से हुई। कोविड-19 की चुनौती के बीच हमने 25 प्रतिशत ग्रोथ के साथ पानी घर-घर पहुंचाने का काम किया है। तेलंगाना सहित कुछ राज्यों ने 100 प्रतिशत के साथ काम किया है। देश भर में 74 ऐसे जिले हैं, जहां पर 100 फीसदी हर घर पानी की सुविधा है। छत्तीसगढ़ में इस दिशा में सबसे कम प्रगति है, 30वें पायदान पर मौजूद छत्तीसगढ़ ने 2023 तक का लक्ष्य रखा है। छत्तीसगढ़ में 2023 तक काम पूर्ण करने की तैयारी है। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
उन्होंने कहा कि पानी के लिए एक नई क्रांति की सूत्रपात कर रहे हैं। नियमित पानी मिले, नित पानी मिले, साफ मिले इस पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नरवा योजना की जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिली है। जल संचयन के लिए यह अच्छी योजना है। जल मिशन योजना युग परिवर्तन साबित होगी। छत्तीसगढ़ में अब पानी संबधित मौतों में कमी आई है, लेकिन अभी-अभी और काम करने की जरूरत है।
श्री शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश के सामान्य लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने अनेक योजनाएं लागू हुईं, हर घर तक शौचालय, हर गांव तक पानी पहुँचे, ये उद्देश्य रही है। हम शत-प्रतिशत लोगों तक हितकारी लाभ देने के उद्देश्य से काम किया जा रहा है। 2014 में ये कल्पना नहीं थी। 32 फीसदी लोगों तक पहले शौचालय की व्यवस्था थी। स्वच्छता जैसे विषय पर प्रधानमंत्री बात करेंगे, ये कल्पना लोगों को नहीं थी। भारत की छवि विश्वभर में पहुंची। जल की उपलब्धता लगातार घटती जा रही है। जनसंख्या बढऩे से चुनौती लगातार बढ़ी है, इसलिए समस्याएं बढ़ी हैं।