आपको बता दें कि गत 1 जुलाई को ACB और EOW के छापे के बाद से जीपी सिंह की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। राजद्रोह जैसे संगीन आरोप में दर्ज मुकदमें में राहत की मांग लेकर जीपी सिंह पहले ही हाईकोर्ट की शरण में हैं। इधर उनके पुराने मामलों की फाइलों को खंगालने का काम बड़ी तेजी से चल रहा है।
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सूत्र बताते हैं कि साल 2016 में जीपी सिंह दुर्ग आईजी थे तो नक्सली लीडर पहाड़ सिंह ने सरेंडर किया था। ACB की छापेमारी में ये पता चला कि पहाड़ सिंह से करोड़ों रुपयों का हिसाब-किताब मिला था। चर्चा है कि पहाड़ सिंह के पास मिले रुपयों को कुछ कारोबारियों के पास रखा गया था। इस मामले में छानबीन मौजूदा दुर्ग आईजी विवेकानंद सिन्हा करेंगे, ताकि सच क्या है और झूट क्या है इसका खुलासा हो सके। इसके अलावा साल 2013 में रायपुर के देवेंद्र इलाके के एक युवक पर हमला और साल 2016 में सामाजिक कार्यकर्ता मनजीत कौर बल से जुड़े केस में भी फिर से जांच करने की तैयारी है। स्पेशल डीजी अशोक जुनेजा, दुर्ग आईजी विवेकानंद सिन्हा और रायपुर आईजी आनंद छाबड़ा को अब जांच अधिकारी बनाया गया है।