TODAY छत्तीसगढ़ / नई दिल्ली / केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने अपनी 'किसान नहीं, मवाली हैं' वाली टिप्पणी पर माफी मांगी है. उन्होंने कहा कि जंतर-मंतर पर किसान संसद के दौरान एक मीडियाकर्मी पर कथित हमले पर उनके बयान की गलत व्याख्या की गई. एक मीडिया चैनल के वरिष्ठ वीडियो जर्नलिस्ट पर जंतर-मंतर पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा कथित तौर पर हमला किया गया था. लेखी ने कहा कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान 26 जनवरी को लाल किले पर हिंसा और एक मीडियाकर्मी पर किसान संसद में हमले पर मेरी टिप्पणी मांगी गई थी. मैंने ये कहा कि केवल मवाली ही ऐसी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, किसान नहीं.
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मेरे शब्दों को तोड़ा मरोड़ा गया है अगर इससे किसी को ठेस पहुँची है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूँ । pic.twitter.com/s98ezkskzl
मीनाक्षी लेखी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा- मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. अगर इससे किसानों या अन्य किसी को भी दुख पहुंचा है तो मैं माफी मांगती हूं और अपने शब्दों को वापस लेती हूं.
किसान स्थल पर जिस पर वीडियो पत्रकार पर कथित तौर पर हमला किया गया है उन्होंने बताया कि कुछ लोग वीडियो बना रहे थे और मीडिया को गाली दे रहे थे. लड़ाई हुई, जिसके बाद एक आदमी ने मेरे सिर पर लाइट स्टैंड से हमला किया. उसने लाइट स्टैंड मुझे तीन बार मारा. उसके पास आईडी थी,जिस पर किसान मीडिया लिखा था. मुझे यकीन नहीं है कि वह किसान था, लेकिन ऐसा लगता है वह किसानों के प्रति सहानुभूति रखता था.
#अन्नहराम_भाजपा_नेता
— Arjun Modhwadia (@arjunmodhwadia) July 22, 2021
जो किसानों का पैदा किया अनाज खाके,
हक मांग रहे किसानों को 'मवाली' कहने की जुर्रत करते है।#MinakshiLekhi pic.twitter.com/x9sy2PMZ2R
गौरतलब है कि मीनाक्षी लेखी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि वे किसान नहीं हैं. वे मवाली हैं. ये आपराधिक कृत्य है. 26 जनवरी को जो हुआ वह भी शर्मनाक और आपराधिक गतिविधि थी. विपक्ष ने ऐसी हरकतों को बढ़ावा दिया. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने इस बयान पर कहा था कि वे अन्नदाता हैं, मवाली नहीं. (ndtv.in)