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विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि सीनियर और जूनियर रेसिडेंट्स डॉक्टरों को वर्ष 2013 के आदेशानुसार ही राज्य सरकार द्वारा वेतन दिया जा रहा है। मतलब तस्वीर साफ़ है कि पिछले 8 साल में सीनियर और जूनियर रेसिडेंट्स डॉक्टरों का न तो वेतन बढ़ा ना ही पिछले दो साल में कोरोना काल जैसी विषम परिस्थितियों से निपटने की एवज में कोई अलग से भत्ता दिया गया। राज्य सरकार चिकित्सा सेवा और सुविधा को लेकर कितनी संजीदा है इसका अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि रायपुर में पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सकों का बढ़ा हुआ वेतन सरकार के निर्देश पर घटा दिया गया। एक नज़र इस विसंगति पर जिसमें देखा जा सकता है कि किस तरह से सरकार ने वेतन / मानदेय का निर्धारण कर रखा है -
इस पुरे मामले में चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जितने भी बड़े दावे कर ले लेकिन उन सेवाओं को सुचारु ढंग से चलाने और अपने कर्तव्य को सेवा मानने वाले सीनियर और जूनियर रेसिडेंट्स डॉक्टरों के प्रति गंभीर नहीं है। नाम ना छापने की शर्त पर राज्य के एक सीनियर डॉक्टर ने बताया कि छत्तीसगढ़ के 6 मेडिकल कालेज ऐसे हैं जहां रेसिडेंट्स डॉक्टरों का हाल बेहतर नहीं है। राज्य के रायपुर, बिलासपुर, अंबिकापुर, रायगढ़, राजनांदगाँव और जगदलपुर मेडिकल कालेज में सीनियर और जूनियर रेसिडेंट्स डॉक्टरों के मानदेय अलग-अलग हैं। इतना ही नहीं इन सभी मेडिकल कॉलेजों में नॉन बॉण्डेड जूनियर रेसिडेंट्स का मानदेय बॉण्डेड सीनियर रेसिडेंट्स डॉक्टर्स से अधिक है। वेतन / मानदेय की भिन्नता और अन्य तरह की विविधता का यह मामला सिर्फ और सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य में ही देखने को मिल सकता है। प्रदेश सरकार रेसिडेंट्स डॉक्टर्स की वेतन विसंगति समेत कुछ बुनियादी सुविधाओं को लेकर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाती है तो सम्भव है मध्यप्रदेश की तरह ही छत्तीसगढ़ में भी डॉक्टर्स हड़ताल पर जा सकते हैं। विश्वसनीय सूत्र ये भी बताते हैं कि वेतन विसंगति को लेकर खासे नाराज़ करीब 800 से अधिक रेसीटेंड्स डॉक्टर्स इस्तीफा भी दे सकते हैं।
आपको बता दें कि पिछले दिनों पडोसी राज्य मध्यप्रदेश में सात दिन से चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल हाई कोर्ट के आदेश और मरीजों को रही दिक्कत के चलते डॉक्टरों ने लिया फैसला लिया था। छह मांगों को लेकर जूडा 31 मई से आंदोलन कर रहा था। मध्य प्रदेश में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपपुर , रीवा और सागर में जूनियर डॉक्टर हड़ताल के माध्यम से 24 फीसद तक तक मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे थे, हालाँकि सरकार ने उनकी यह माँग नहीं मानी लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने जूडा की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर 17 फीसद तक बढ़ोतरी की मांग मानी है।