TODAY छत्तीसगढ़ / बिलासपुर जिले में इस साल अच्छी बारिश होने से रतनपुर स्थित खूंटाघाट जलाशय का वेस्टवियर एक बार फिर से छलकने लगा है। कुदरत के अनुपम सौंदर्य को देखने के लिए रोज सैकड़ों पर्यटक खूंटाघाट पहुँच रहें हैं जबकि वर्तमान समय में इंसान कोरोना वायरस के खतरे से लड़ रहा है और बिलासपुर जिले के अधिकाँश हिस्सों में सम्पूर्ण लॉकडाउन चल रहा है। लॉकडाउन के चलते खूंटाघाट के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने वाले पर्यटकों की संख्या पिछले सालों की तुलना में भले ही कम नज़र आती हो मगर पर्यटक पहुँचकर प्राकृतिक आभा का खुलकर दीदार कर रहें हैं ।
जलाशय के भीतर एक हिस्से में महाकाल [शंकर] का प्राचीन मंदिर है जो बाँध में पानी भरने से गुंबद तक डूब जाता है। इस साल भी मंदिर पूरा डूबा हुआ है।
खूटाघाट जलाशय बिलासपुर जिला मुख्यालय से करीब 42 किलोमीटर दूर है वहीँ रतनपुर से जलाशय की दुरी करीब 10 किमी है। चारो तरफ ऊंची-नीची पहाड़ियों के बीच स्थित यह एक सुंदर बांध और जलाशय है। बिलासपुर-अंबिकापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित होने के नाते पर्यटक यहां आसानी से पहुँच सकते हैं। बताया जाता है कि यह मूल रूप से एक झील थी, जिसका निर्माण अंग्रेजों द्वारा कराया गया था। जानकारी मुताबिक खारुन नदी पर बने इस बाँध का निर्माण वर्ष 1920-1930 के मध्य कराया गया था जो बिलासपुर जिले अलावा आस-पास के किसानों के लिए बेहद उपयोगी है। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें -
जलाशय का नाम खूंटाघाट पड़ने के पीछे भी एक कहानी जुडी हुई है। बताते हैं जब बांध का निर्माण कराया गया तो डुबान के जंगल को काटा नहीं गया । समय के साथ पेड़ों का अस्तित्व खत्म हो गया लेकिन पानी की निचली सतह में उसके ठूंठ बच गए जिसे आम बोलचाल में खूंटा कहा जाता है।