TODAY छत्तीसगढ़ / गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल 2019 पेश किया. अमित शाह ने विपक्ष के ऐतराजों का जवाब देते हुए कहा कि इस बिल से किसी के भी अधिकार का हनन नहीं हो रहा है. किसी के साथ भी अन्याय नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि 1947 में जो भी रिफ्यूजी भारत आए उनको संविधान ने स्वीकार किया. गृह मंत्री ने कहा कि मनमोहन सिंह और लालकृष्ण आडवाणी उसी कैटेगरी में आते हैं जो बाहर से आए हैं. उनको नागरिकता दी गई. वे बड़े-बड़े पदों पर पहुंचे. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने. देश का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहां पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थी नहीं बसते.
- इस बिल को किसी राजनीतिक पार्टी के आधार पर ना देखें. बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान जिनसे हमारी जमीनी सीमा लगी है, जो धार्मिक अल्पसंख्यक वहां से आए हैं उनको नागरिकता देने का प्रावधान है. यह बिल लाखों लोगों की नारकीय जिंदगी से मुक्ति दिलाने वाला है.
HM Amit Shah: In 1947, all refugees which came in, all were accepted by the Indian constitution, there would hardly be any region of the country where refugees from West and East Pakistan didn't settle. From Manmohan Singh ji to LK Advani ji, all belong to this category. pic.twitter.com/PHOJ0oP2kJ— ANI (@ANI) December 9, 2019
- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है.
- किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए. किसी के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए. हम धर्मनिरपेक्षता को स्वीकार करते हैं. हम संविधान का सम्मान करते हैं.
- असम अकॉर्ड राजीव गांधी और असम के छात्रों के बीच में हुआ. 1971 से लोगों को नागरिकता दी गई और हमने समर्थन किया.
- बंगाल और नॉर्थ ईस्ट के भीतर जो शरणार्थी जिस तारीख से आए हैं, उन्हें उसी तारीख से नागरिकता दी जाएगी. राशन कार्ड तक की जरूरत नहीं होगी.
- अल्पसंख्यक प्रवासी के खिलाफ जो भी कार्यवाही चल रही होगी, वह भारत की नागरिकता मिलने के साथ ही खत्म हो जाएगी.
- मणिपुर को हम इनर लाइन परमिट सिस्टम में मिला रहे हैं. बिल में नॉर्थ-ईस्ट की चिंताओं का निराकरण समाहित है. लोगों को आंदोलन करने की जरूरत नहीं है. किसी के उकसावे में नहीं आना है. यह देश शांति की राह में आगे बढ़ना चाहता है.
- यह बिल हम अपने मन से नहीं लाए हैं. 119 घंटे हमने राजनीतिक दल, गैर सरकारी संगठन से चर्चा की है.
- नागरिकता बिल बीजेपी के 2014 और 2019 के घोषणापत्र में था. किसी भी देश की सरकार का ये कर्तव्य है कि सीमाओं की रक्षा करे, घुसपैठियों को रोके, शरणार्थियों और घुसपैठियों की पहचान करे. कौन सा ऐसा देश है जिसने बाहर के लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून न बनाया हो. हमने भी ऐसा कानून बनाया है. हमने एकल नागरिकता का प्रावधान किया है.
- क्या बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलनी चाहिए. पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों को स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलनी चाहिए. देश की सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है. मुझे बताइए दुनिया में कौन सा देश ऐसा है जो अपने सीमाओं और देश की सुरक्षा के लिए नागरिकता का कानून नहीं बनाता है. (साभार/ आजतक)