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सारकेगुड़ा मुठभेड़ : सुरक्षाबलों ने 17 बेकसूर आदिवासियों को मार डाला, मंत्रिमंडल में रिपोर्ट पेश

TODAY छत्तीसगढ़  / बीजापुर के सारकेगुड़ा में नक्सल मुठभेड़ में 17 आदिवासियों की मौत के मामले में न्यायिक जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सीआरपीएफ और सुरक्षाबलों की एक संयुक्त टीम ने बैठक कर रहे ग्रामीणों पर एकतरफा हमला किया, जिसमें आदिवासी मारे गए। रिपोर्ट पर शनिवार को कैबिनेट की बैठक में चर्चा भी हुई और कहा जा रहा है कि सोमवार को विधानसभा में पेश भी किया जा सकता है। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें -
बताया गया कि बीजापुर के सारकेगुड़ा और सुकमा जिले के कोट्टागुड़ा और राजपेंटा गांव से लगे घने जंगलों में पुलिस ने 28-29 जून 2012 की रात कथित मुठभेड़ में 17 माओवादियों के मारे जाने का दावा किया था, इसके अलावा इस घटना में 10 ग्रामीण घायल हुये थे। मारे जाने वालों में सात नाबालिग भी शामिल थे। इस कथित मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के 6 जवान भी घायल हुए थे। मुठभेड़ को लेकर मानवाधिकार संगठनों की आलोचना के बाद तत्कालीन रमन सरकार ने हाईकोर्ट के जज वीके अग्रवाल की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। 78 पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस रिपोर्ट से यह भी प्रमाणित नहीं हुआ है कि मारे जाने वालों में से कोई मृतक या घायल ग्रामीण माओवादी था।
कैबिनेट में इस बात को लेकर गंभीर आपत्ति दर्ज की गई कि यह रिपोर्ट एक महीने से सरकार के पास थी लेकिन अधिकारियों ने इस रिपोर्ट में ‘कुछ भी नहीं होने’ का हवाला देते हुये गुमराह किया और समय पर रिपोर्ट पेश नहीं की गई। जस्टिस अग्रवाल आयोग ने 17 आदिवासियों के मारे जाने की इस घटना को लेकर अपने समक्ष उपस्थित गवाहों के बयानों को विसंगतियों से भरा बताते हुये कहा है कि इन गवाहियों में सच्चाई को झूठ से अलग करना असंभव है और इसलिये घटना की परिस्थितियों पर ही भरोसा करना होगा।
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस के बयान के विपरित ग्रामीण घने जंगल में नहीं, तीनों गांव से लगे खुले मैदान में बैठक कर रहे थे। आयोग ने आशंका जताई है कि सुरक्षाबलों के गाइड द्वारा कुछ संदिग्ध ध्वनि की रिपोर्ट करने पर अचानक घबराहट की प्रतिक्रिया और परिणामस्वरुप सुरक्षा बलों ने घबराहट में गोलीबारी की सहारा लिया। आयोग ने सुरक्षाबलों द्वारा ‘अंधाधुंध और दिशाहीन गोलीबारी’ को लेकर टिप्पणी की है कि आधुनिक संचार माध्यमों और सुरक्षा उपकरणों की कमी के कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई। आयोग ने कहा है कि फायरिंग एकतरफ़ा थी, जो केवल सीआरपीएफ और पुलिस द्वारा की गई थी।
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