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कार में ग्यारह करोड़ के नोट ! नोटबंदी का असर क्या हुआ ?

छत्तीसगढ़ में आज सुबह ओडिशा से यूपी जा रही एक कार की तलाशी ली गई तो उसमें सीट के भीतर बनाई गई तिजोरी से करीब ग्यारह करोड़ रुपये के दो हजार-पांच सौ के प्रचलित नोट बरामद हुए। आम तौर पर इस रास्ते में इसी अंदाज में गांजा पकड़ाता है लेकिन अभी मजदूरों की तरह के गरीब ड्राइवर और एक महिला सहित दूसरे लोग इस कार में पकड़ाए और पुलिस ने सारे नोट जब्त कर लिए हैं। जिस अंदाज में आज बिना किसी चुनावी माहौल के इतनी बड़ी नगदी जा रही थी, वह हक्का-बक्का करने वाली है, और यह बात जाहिर है कि हजार में से किसी एक गाड़ी की ही ऐसी बारीकी से जांच हो पाती होगी। ऐसे में इतने नोट लेकर जाने कितनी गाडिय़ां आती-जाती होंगी।
अब इससे एक सवाल यह उठता है कि देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने के दावे का आखिर क्या हुआ? मोदी सरकार ने जब नोटबंदी की थी तो यह दावा किया गया था कि इससे देश में कालाधन खत्म हो जाएगा, आतंकियों की फंडिंग रूक जाएगी, कालाधन बैंकों तक नहीं पहुंच पाएगा, और लोग टैक्स देने लगेंगे। ऐसे कई दावे किए गए थे, लेकिन हकीकत यह है कि रिजर्व बैंक दो बरस बाद भी यह नहीं बता पा रहा है कि उसके छापे गए नोट तकरीबन पूरे के पूरे कैसे बैंकों में लौट आए, और एक आशंका यह भी है कि हड़बड़ी और आपाधापी में नकली नोट भी बैंकों में जमा हो गए होंगे। आतंक की किसी घटना में कोई कमी नहीं आई, बल्कि कश्मीर से आए हुए आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के बाद से अभी तक कश्मीर में जितने आतंकी हमले हुए हैं, उतने बीते कई दशकों में कभी नहीं हुए थे।
नोटबंदी के साथ-साथ उसे कामयाब करने के लिए, या बताने के लिए बैंकों ने जितने किस्म के नियम लादे, लोगों का एटीएम से पैसा निकालना जितना मुश्किल और महंगा किया गया, उससे लोग आजतक उबर नहीं पाए हैं। इसके बाद जीएसटी से टैक्स चोरी रोकने और कालाधन घटाने, समानांतर अर्थव्यवस्था खत्म करने के जो दावे किए गए थे, वे तो अलग रहे, बाजार और मजदूर अब तक जीएसटी की मार से उबर नहीं पाए हैं। ऐसे माहौल में जब इतनी बड़ी-बड़ी नगद रकम मामूली पुलिस पकड़ रही है, तो सवाल यह उठता है कि केंद्र सरकार के सारे दावों का आखिर क्या हुआ? अगर चार मजदूर अनाज की बोरियों की तरह कार में ग्यारह करोड़ के नोट लेकर जा रहे हैं, तो देश में दो नंबर के पैसों और कारोबार का क्या हाल है!
छत्तीसगढ़ में अभी तीन दिन पहले ही जीएसटी अफसरों ने दो ऐसे कारोबारियों को पकड़ा है जो सैकड़ों-हजारों करोड़ के फर्जी सौदे फर्जी कंपनियों के नाम दिखाकर जीएसटी की चोरी कर रहे थे। अगर जीएसटी लागू होने के इतने समय बाद भी उसके जाल में ऐसे बड़े-बड़े छेद बने हुए हैं, तो उसकी कामयाबी पर सवाल उठना जायज है। फिलहाल केंद्र सरकार को मालूम हो, या न मालूम हो, नोटबंदी के बाद भी पूरे देश में हवाला कारोबार उसी धड़ल्ले से जारी है जिस तरह नोटबंदी के पहले चलता था, और आतंकी संगठन उसी तरह चल रहे हैं, जिस तरह नोटबंदी के पहले चलते थे। इसलिए नोटबंदी से दूसरे कोई फायदे हुए हों तो वह अलग हैं। लेकिन जिस घोषित मकसद से नोटबंदी लागू की गई थी, वह मकसद किसी किनारे नहीं पहुंच पाया।

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