[TODAY छत्तीसगढ़] / छत्तीसगढ़ राज्य के बेमेतरा जिला मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर दूर ग्राम बाबमोहतरा के तालाब में रहने वाले करीब डेढ़ सौ वर्षीय मगरमच्छ 'गंगाराम" की मंगलवार को मौत हो गई। इससे पूरा गांव शोक में डूब गया। ग्रामीण उसे देवता के रूप में पूजते थे। उनकी मांग पर वन विभाग ने गांव में ही उसका पोस्टमार्टम किया।
ट्रैक्टर पर जब अंतिम यात्रा निकाली गई, तो गंगाराम के चौड़े माथे पर गुलाल का टीका लगाने को पूरा गांव उमड़ पड़ा। इस दौरान सभी की आंखें छलक रही थीं। मंगलवार की सुबह कुछ ग्रामीण स्नान करने के लिए जब तालाब पहुंचे, तो गंगाराम पानी में उतराया हुआ था।
ग्रामीणों के लिए यह आम बात थी, लेकिन जब काफी देर के बाद भी उसके शरीर में कोई हरकत नहीं हुई, तो उन्हें किसी अपशकुन का संदेह हुआ। जल्द ही यह खबर पूरे गांव में फैल गई और तालाब के पास लोग उमड़ पड़े। काफी मशक्कत के बाद उसे पानी से बाहर निकाला गया। इस दौरान भी उसके शरीर में कोई हरकत नहीं होने से ग्रामीणों को भरोसा हो गया था कि उनका देवता अब नहीं रहा। ग्रामीणों ने इसकी सूचना कोतवाली बेमेतरा व वन विभाग को दी। वन विभाग की टीम ने उसके मौत की पुष्टि की।
निकली शव यात्रा -
गांव में ट्रैक्टर को सजा-धजा कर मगरमच्छ की शवयात्रा निकाली गई, जिसमें लोगों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। महिलाओं ने छूकर उनसे आशीर्वाद लिया। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में ही गंगाराम को दफन कर उसका स्मारक बनाकर उसकी याद को जिंदा रखेंगे।
कई डाक्यूमेंट्री फिल्में बनी है -
ग्रामीणों ने बताया कि गंगाराम को वे गांव के सदस्य की तरह ही मानते रहे हैं। गंगाराम लोगों से इतना घुला-मिला था कि गांव का बच्चा भी उससे नहीं डरता था। गाँव के कई लोगों ने बताया कि मगरमच्छ ने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। गंगाराम पर दिल्ली व रायपुर के कई कलाकारों ने डाक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाया है।
ट्रैक्टर पर जब अंतिम यात्रा निकाली गई, तो गंगाराम के चौड़े माथे पर गुलाल का टीका लगाने को पूरा गांव उमड़ पड़ा। इस दौरान सभी की आंखें छलक रही थीं। मंगलवार की सुबह कुछ ग्रामीण स्नान करने के लिए जब तालाब पहुंचे, तो गंगाराम पानी में उतराया हुआ था।
निकली शव यात्रा -
गांव में ट्रैक्टर को सजा-धजा कर मगरमच्छ की शवयात्रा निकाली गई, जिसमें लोगों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। महिलाओं ने छूकर उनसे आशीर्वाद लिया। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में ही गंगाराम को दफन कर उसका स्मारक बनाकर उसकी याद को जिंदा रखेंगे।
कई डाक्यूमेंट्री फिल्में बनी है -
ग्रामीणों ने बताया कि गंगाराम को वे गांव के सदस्य की तरह ही मानते रहे हैं। गंगाराम लोगों से इतना घुला-मिला था कि गांव का बच्चा भी उससे नहीं डरता था। गाँव के कई लोगों ने बताया कि मगरमच्छ ने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। गंगाराम पर दिल्ली व रायपुर के कई कलाकारों ने डाक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाया है।