[TODAY छत्तीसगढ़] / ब्लैक हेडेड आइबिस, बिलासपुर जिले के कोपरा जलाशय से लेकर घोंघा जलाशय कोटा तक दस्तक देते इन पक्षियों को पिछले पाँच-छः साल से लगातार देखा जा रहा है । शुरुआती दौर में इक्का-दुक्का दिखाई देते आइबिस अब अच्छी संख्या में दिखाई पड़ते हैं । कोपरा जलाशय में ही इनकी संख्या करीब 20 है । अपने अनुकूल वातावरण मिलने की वजह से आइबिस लगातार वंश वृद्धि कर रहें है जो अच्छा संकेत है ।
आइबिस की चोंच लम्बी और हंसिया आकार की होती है, कोपरा के आस-पास किसी सुरक्षित ठिकाने पर रात गुजारने वाले इन पक्षियों का झुंड सुबह होते ही जलाशय का रुख करता है, दोपहर का वक्त इनके आराम का होता है लिहाजा ये जलाशय के किनारे या फिर बीच में टापू पर बैठते हैं । जलीय कीड़े-मकोड़े, मेंढक इनके मुख्य आहार हैं ।
कोपरा में मौजूद मेहमान परिंदों के अलावा स्थाई पक्षियों को सुरक्षित करने की दिशा में अब तक कोई कदम न तो जिला प्रशासन ने उठाये ना ही वन विभाग की आँख से कीचड़ साफ़ हुआ। नतीजतन पक्षी भगवान भरोसे, जलाशय का पानी जनवरी अंत तक सूखने की कगार पर होता है। जलाशय का पानी सूखने की कई वजहें हैं जिन पर समय रहते प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है।
आइबिस की चोंच लम्बी और हंसिया आकार की होती है, कोपरा के आस-पास किसी सुरक्षित ठिकाने पर रात गुजारने वाले इन पक्षियों का झुंड सुबह होते ही जलाशय का रुख करता है, दोपहर का वक्त इनके आराम का होता है लिहाजा ये जलाशय के किनारे या फिर बीच में टापू पर बैठते हैं । जलीय कीड़े-मकोड़े, मेंढक इनके मुख्य आहार हैं ।
कोपरा में मौजूद मेहमान परिंदों के अलावा स्थाई पक्षियों को सुरक्षित करने की दिशा में अब तक कोई कदम न तो जिला प्रशासन ने उठाये ना ही वन विभाग की आँख से कीचड़ साफ़ हुआ। नतीजतन पक्षी भगवान भरोसे, जलाशय का पानी जनवरी अंत तक सूखने की कगार पर होता है। जलाशय का पानी सूखने की कई वजहें हैं जिन पर समय रहते प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है।