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मिटटी से सने हाथ



[TODAY छत्तीसगढ़ ]  / कोपरा गांव की चौपाल पर रोज बनती बिगड़ती इस कहानी में बच्चों ने किसान की पोटली, उसमें रखे सिक्के, झोपड़ी बनाने से शुरुआत की है। जिंदगी की हकीकतों से रु-ब-रु होते बचपन के हाथ मिटटी से सने हैं। इन्हे देखकर लगता है इन बच्चों की कृतियों में संवेदनाएं-कल्पना सजीव होने लगीं हैं । इन गरीब बच्चों ने शायद उस रामू के संघर्ष की कहानी नहीं सुनी जो अपनी मां के फटे कपड़ों को देखकर उसके लिए एक साड़ी जुटाने की आस में कड़ी मेहनत कर पैसे जमा करता है। इन्होने राजा-रानी, परियों की, शेर-चीतों की कहानियां भी शायद ना सुनी हों जिनमें कल्पनाएं, रोमांच और जीवन के कई सबक छिपे होते हैं। अपने घरौंदे को देख मिट्‌टी में उन किरदारों को रचते जाना इन बच्चों ने सीख लिया है। 

 जिंदगी की हकीकतों से रु-ब-रु होते बचपन के हाथ मिटटी से सने हैं
[तस्वीरें / बिलासपुर जिले के ग्राम कोपरा से, छत्तीसगढ़] 
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