Slider

कांटों का ताज: विरासत छोड़ गए

- प्राण चढ्ढा 
पूर्व संपादक दैनिक भास्कर 

"यूंही बिलासपुर को संस्कारधानी और न्यायधानी नहीं कहते। इस बार छतीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में यहां लक्ष्मीजी और माँ सरस्वती जी के उपासक में सीधा मुकाबला रहा और धन की कोई कमी नहीं रहने के बावजूद भाई अमर अग्रवाल रमन विवि में कुलसचिव रहे शैलेश पांडेय से सीधे मुकाबले में परास्त हो गए।" 
चुनाव की टिकट कांग्रेस में काफी देर बाद घोषित हुई जिसमें अटल श्रीवास्तव का नाम नहीं अपितु शैलेष पांडेय का नाम था। कोई एक साल पहले पद से इस्तीफ़ा देकर कांग्रेस की राजनीति में कूदे आम मतदाता के लिए शैलेश पांडेय नया चेहरा रहे।जबकि भाजपा के अमर अग्रवाल को राजनीतिक अनुभव विरासत में मिला था अरसे से मंत्री रहे। उन्होंने पंचायत,नगर निगम,वार्ड सबमें उनके मोहरे इस चुनावी रणनीति के तहत बिछा कर रखे थे। पर कोई उनके काम नहीं आया।


दरअसल अरपा नदी का पानी रेत के नीचे जिस तरह प्रवाहित होता है, उसी तरह इसके किनारे बसे बिलासपुरियन की नाराजगी और आक्रोश सामने दिखाई नहीं देती। यह आक्रोश तीन बरस पूर्व उस वक्त पनपना शुरू हुआ जब लिंक रोड के 74 हरे भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चली,और मंत्री के रूप में अमर भाई इसका जिम्मेदार माना गया। फिर शहर का तापमान बढ़ने लगा। सीवरेज की खुदाई जाने कितनों को पटका,समय से विलंबित चले इस प्रोजेक्ट में कार्यकाल बढ़ता गया और अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
अरपा भैंसाझार परियोजना करोड़ों रुपये की अभी अधूरी है। प्रोजेक्ट के इलाके में नदी के दोनों तरफ जमीन की खरीदी पर रोक लगा दी गई। जबकि नदी को कचरे की मालगाड़ी और रेत को कमाई बड़ा जरिया माफिया ने बनाये रखा। आज कोई 'अरपा वाक' कर देखें मंगला से सेंदरी तक नदी बीहड़ हो गयी है। लगातार मीडिया ने इसबपर लिखा लेकिन सर्वशक्तिमान मंत्री जी मौन रहे। सब अमर भाई की तुलना पूर्व मंत्री बीआर यादव से करते तो सोच में कमतर पाते,स्व यादवजी शहर में प्रतिमा लगाए जाने की घोषणा की गई, पर लगी नहीं। कांग्रेसजनों पर लाठी चार्ज की घटना भी भाई अमर को भारी पड़ी,वो कांग्रेस से संवाद कर मामला निपटा सकते थे। पर सत्ता का गुरुर कांग्रेस दफ्तर में एकत्रजनों पर कहर बन बेरहमी से टूटा।
बहरहाल जो बीत गया, वह आगत के लिए सबक है,पर आगत शैलेश पांडेय के सामने अभी कांटों का ताज है, भाई अमर अग्रवाल की स्वप्निल बेतुकी लाखों करोड़ की योजना का आगे क्या किया जाए। अरपा अब सदानीरा कैसे होगी? सीवरेज के कार्यो में लगा धन क्या परवान चढ़ सकेगा या क्या यह योजना दफन हो जाएगी? यह गुत्थी कैसे सुलझेगी इसके लिए भविष्य की खिड़की खुलना अभी शेष है।

© all rights reserved TODAY छत्तीसगढ़ 2018
todaychhattisgarhtcg@gmail.com