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[TODAY छत्तीसगढ़ ] / महापर्व छठ का आज तीसरा दिन रहा, ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी मैया की आराधना की गई। बिलासपुर में छठ घाट पर हजारों व्रतियों ने भगवान सूर्य के साथ छठी मईया की उपासना कर पूरे माहौल को भक्ति और आस्थामय बना दिया। कल सुबह उगते सूर्य की उपासना के बाद छठ पूजा खत्म हो जाएगी।
  दीपावली के बाद मनाया जाने वाला छठ महापर्व पर आज बड़े ही धूमधाम और आस्था के साथ अस्त होते सूर्य को अर्ध्य देकर व्रतियों ने परिवार की सुख-समृद्धि और शान्ति की कामना छठी मईया से की। कार्तिक महीने में मनाए जाने वाले छठ पूजा त्योहार का बेहद महत्व है। छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्यदेव की उपासना का पर्व है। छठ को सूर्य देवता की बहन माना जाता है। छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माई प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख शांति व धन-धान्य से संपन्न करती हैं। छठ पूजा का त्यौहार भले ही कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के साथ होती है। पहले दिन नहाय-खाए के बाद दूसरे दिन खरना या लोहंडा मनाया जाता है। आज शाम ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया गया  और फिर अगली सुबह यानी कल उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व  की पूजा संपन्न हो जाएगी। इस पर्व को बिहार में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल में भी छठी मइया को पूजा जाता है।  छठ पूजा के दिन घर के लगभग सभी सदस्य व्रत रखते हैं। मान्यता है कि छठ का व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है और बच्चों से जुड़े कष्टों का निवारण होता है। माना जाता है कि छठी मइया का व्रत रखने से सूर्य भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। आस्था और विश्वास के इस महापर्व का महत्व घाट पर जुटने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखकर जगाया जा सकता है। बिलासपुर के छट घाट पर इस बरस आस्थावानों का सैलाब दिखा जिसने बड़ी ही श्रद्धा के साथ विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद सूर्य अस्त होते सूर्य को अर्ध्य दिया।
O छठी मइया की कथा- 
पौराणिक कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम का एक राजा था. उनकी पत्नी का नाम था मालिनी. दोनों की कोई संतान नहीं थी. इस बात से राजा और रानी दोनों की दुखी रहते थे. संतान प्राप्ति के लिए राजा ने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. यह यज्ञ सफल हुआ और रानी गर्भवती हुईं लेकिन रानी की मरा हुआ बेटा पैदा हुआ. इस बात से राजा और रानी दोनों बहुत दुखी हुए और उन्होंने संतान प्राप्ति की आशा छोड़ दी. राजा प्रियव्रत इतने दुखी हुए कि उन्होंने आत्म हत्या का मन बना लिया, जैसे ही वो खुद को मारने के लिए आगे बड़े षष्ठी देवी प्रकट हुईं. षष्ठी देवी ने राजा से कहा कि जो भी व्यक्ति मेरी सच्चे मन से पूजा करता है मैं उन्हें पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं. यदि तुम भी मेरी पूजा करोगे तो तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. राजा प्रियव्रत ने देवी की बात मानी और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि के दिन देवी षष्ठी की पूजा की. इस पूजा से देवी खुश हुईं और तब से हर साल इस तिथि को छठ पर्व मनाया जाने लगा.
[TODAY छत्तीसगढ़ ] /  आस्था के महापर्व में श्रद्धावानों का उमड़ा जनसैलाब, ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी मैया की आराधना की गई। बिलासपुर में छठ घाट पर हजारों व्रतियों ने भगवान सूर्य के साथ छठी मईया की उपासना कर पूरे माहौल को भक्ति और आस्थामय बना दिया। देखिये छठ घाट में उमड़े व्रतियों की तस्वीरें  --- 

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