ₕ मध्य प्रदेश और मिजोरम में गुरुवार को बंपर वोटिंग हुई. मध्य प्रदेश में 230 और मिजोरम में 40 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले गए. दोनों राज्यों में 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के सामने अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है. बीजेपीकी कोशिश है कि वह एक बार फिर सरकार बनाकर जीत का चौका लगाए. तो वहीं, कांग्रेस एंटी इनकंबेंसी पर जोर लगा 15 साल बाद सत्ता वापसी करना चाहती है. 11 दिसंबर को मतगणना के बाद तय होगा कि कहां किसकी सरकार बनेगी.
दोपहर 3 बजे तक मध्य प्रदेश में 50 फीसदी, 2 बजे तक 34.99 फीसदी, 11 बजे तक 21 फीसदी, 9 बजे तक 9.32 फीसदी वोटिंग हुई. 6 बजे तक कुल 74.61 फीसदी वोट पड़े. वहीं, मिजोरम में हुए विधानसभा चुनाव में पिछली बार की तुलना में मतदान में गिरावट दर्ज की गई. पिछले चुनाव में 83.4 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे लेकिन इस बार 75 फीसदी मतदाताओं ने ही वोट डाला. मिजोरम में 3 बजे तक 58 फीसदी, 1:30 बजे तक 50 फीसदी, 1 बजे तक 49फीसदी, 11 बजे तक 29 फीसदी , 9 बजे तक 15 फीसदी सीटों पर मतदान हुआ.
ₕ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बार फिर हजारों किसान आंदोलन करने जा रहे हैं. यह आंदोलन दो दिन 29 और 30 नवंबर को होगा. सिर्फ दो मांगों को लेकर किए जा रहे इस आंदोलन में देश भर के किसान शामिल हो रहे हैं. किसानों की मांग है कि उन्हें कर्ज से पूरी तरह मुक्ति दी जाए और फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजा दिया जाए.
दिल्ली में 29 और 30 नवंबर को होने जा रहे किसान मुक्ति मार्च के लिए स्वराज इंडिया से जुड़े हजारों किसान आंदोलनकारी दिल्ली के बिजवासन इलाके में में बुधवार से ही पहुंचने लगे हैं. देशभर से आए किसान 29 नवंबर की सुबह बिजवासन से 26 किलोमीटर पैदल मार्च करते हुए शाम पांच बजे तक रामलीला मैदान पहुंचेंगे और 30 नवंबर को सुबह संसद की ओर मार्च करेंगे. स्वराज इंडिया से जुड़े बंगाल, बिहार, ओडिसा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के किसान दिल्ली पहुंच चुके हैं. पंजाब, हरियाणा और आसपास के अन्य राज्यों के आंदोलनकारी भी इस आंदोलन में शामिल होंगे. रामलीला मैदान में गुरुवार की शाम को किसानों के लिए 'एक शाम किसानों के नाम' सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया है.
ₕ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बार फिर हजारों किसान आंदोलन करने जा रहे हैं. यह आंदोलन दो दिन 29 और 30 नवंबर को होगा. सिर्फ दो मांगों को लेकर किए जा रहे इस आंदोलन में देश भर के किसान शामिल हो रहे हैं. किसानों की मांग है कि उन्हें कर्ज से पूरी तरह मुक्ति दी जाए और फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजा दिया जाए.
दिल्ली में 29 और 30 नवंबर को होने जा रहे किसान मुक्ति मार्च के लिए स्वराज इंडिया से जुड़े हजारों किसान आंदोलनकारी दिल्ली के बिजवासन इलाके में में बुधवार से ही पहुंचने लगे हैं. देशभर से आए किसान 29 नवंबर की सुबह बिजवासन से 26 किलोमीटर पैदल मार्च करते हुए शाम पांच बजे तक रामलीला मैदान पहुंचेंगे और 30 नवंबर को सुबह संसद की ओर मार्च करेंगे. स्वराज इंडिया से जुड़े बंगाल, बिहार, ओडिसा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के किसान दिल्ली पहुंच चुके हैं. पंजाब, हरियाणा और आसपास के अन्य राज्यों के आंदोलनकारी भी इस आंदोलन में शामिल होंगे. रामलीला मैदान में गुरुवार की शाम को किसानों के लिए 'एक शाम किसानों के नाम' सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया है.
ₕ दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा और संयुक्त निदेशक एके शर्मा को सीवीसी के कार्यालय में एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआईआर से संबंधित मामले की फाइल का निरीक्षण करने की अनुमति दे दी है। साथ ही न्यायमूर्ति नजमी वाजिरी ने 7 दिसंबर तक अस्थाना के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में सीबीआई को यथास्थिति बनाए रखने का भी निर्देश दिया है।
अदालत अस्थाना, कुमार और बिचौलियों मनोज प्रसाद की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की है। उच्च न्यायालय ने 23 अक्तूबर को सीबीआई को अस्थाना के खिलाफ कार्यवाही पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था, जिसे बार-बार बढ़ाया गया है। मामला मीट व्यवसायी मुईन कुरैशी से जुड़ा है।
अदालत ने वर्मा को गुरुवार सायं 4:30 बजे केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के कार्यालय में जाकर मामले से संबंधित फाइल का निरीक्षण करने की इजाजत दी है। अदालत के निर्देशानुसार इस दौरान सीबीआई के पुलिस अधीक्षक सतीश डागर उपस्थित रहेंगे। अदालत ने शर्मा को शुक्रवार को फाइल का निरीक्षण करने की अनुमति दी है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद सभी दस्तावेज व फाइल सीवीसी के पास भेजी गई हैं, ताकि वर्मा के खिलाफ जांच की जा सके। हाईकोर्ट ने आलोक वर्मा व शर्मा को फाइल का निरीक्षण करने की अनुमति इस तर्क पर दी कि अस्थाना ने उनके खिलाफ बदनीयती से आरोप लगाए हैं। अदालत ने निर्देश दिया कि शर्मा द्वारा दिए गए दस्तावेज को अगले आदेश तक मुहरबंद कवर में रखा जाए।
ₕ 34 साल पहले 1984 में पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में हुए दंगों के सिलसिले में सभी 88 दोषियों की अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सजा बरकरार रखा है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने साल 1996 में दंगा भड़काने, घरों को जलाने और धारा 144 का उल्लंघन करने के आरोप में 107 लोगों को 5 साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद 88 लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर की थी.
इन पर 2 नवंबर 1984 को कर्फ्यू का उल्लंघन कर हिंसा करने का आरोप था. उस हिंसा में त्रिलोकपुरी में करीब 95 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था और करीब सौ घरों को जला दिया गया था. इस मामले में 95 शव बरामद होने के बाद भी किसी भी दोषी पर हत्या की धाराओं में आरोप तय नहीं हुए थे.1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी पाए गए करीब 80 से ज्यादा लोगों की अपील पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सितंबर में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. जस्टिस आरके गौड़ा ने इस मामले पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ इन लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. सभी 88 दोषियों पर निचली अदालत में ये आरोप साबित हो गए थे कि इन्होंने ही 2 नवंबर 1984 को कर्फ्यू का उल्लंघन कर हिंसा की थी. इस हिंसा के दौरान करीब 100 घरों को जलाया गया था, जिसमें 95 लोगों की मौत हो गई थी.
ₕ पाकिस्तान के न्योते को अस्वीकार करते हुए भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि भारत सार्क सम्मेलन में शामिल नहीं होगा.कल हैदराबाद में पत्रकारों के सवालों के जवाब में सुषमा स्वराज ने कहा कि जब तक पाकिस्तान भारत में आतंकी गतिविधियों पर रोक नहीं लगाएगा तब तक द्विपक्षीय बातचीत नहीं होगी.
उन्होंने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर शुरू होने का मतलब ये नहीं है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत बहाल हो जाएगी. वहीं, मंगलवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सार्क सम्मेलन के लिए न्योता दिया था. ये सम्मेलन इस्लामाबाद में होने वाला है लेकिन अभी इसका समय तय नहीं हुआ है.
ₕ राजस्थान विधानसभा चुनाव में जाति-धर्म को लेकर खूब राजनीति हो रही है. इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान बजरंगबली को दलित और वंचित करार दिया. उन्होंने अलवर जिले के मालाखेड़ा में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ''बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं.'' इस दौरान योगी आदित्यनाथ कांग्रेस पर जमकर बरसे.
योगी के बयान के बाद सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया देखी जा रही है. यही नहीं पीठाधीश्वर शारदा द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने पाप किया है. उन्होंने कहा, ''बजरंगबली कैसे दलित थे यह मुख्यमंत्री बताएं. योगी ने यह कहकर पाप किया है.'' शंकराचार्य ने कहा, ''भगवान को दलित कहना यह स्वयं अपराध और पाप है, क्योंकि हमारे यहां दलित नाम का कोई शब्द नहीं था. दलित का अर्थ होता है कि जिसके साथ अत्याचार हुआ हो, जो अत्याचार से पीड़ित हो.'' वहीं राजस्थान के एक संगठन सर्व ब्राह्मण समाज ने तो इस पर योगी को नोटिस भेजकर माफी मांगने को कहा है. समाज का कहना है कि बजरंग बली न तो दलित हैं, न वंचित और न ही लोकदेवता.

