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[TODAY छत्तीसगढ़ ] / चुनाव की सरगर्मी के बीच नकली नोट छापने और उसे खपाने वालों का गिरोह सक्रीय हो गया है। छत्तीसगढ़ में नकली नोट का कारोबार करने वालों का गिरोह समय-समय पर पहले भी दस्तक देता रहा है। राज्य के जांजगीर-चांपा जिले में नकली नोट खपाने वाले गिरोह की भनक पुलिस को लगी। सुचना मिलने के बाद जिले की पुलिस कप्तान नीतू कमल ने महकमे के अधिकारियों को अलर्ट किया और नकली नोट खपाने वालों पर कड़ी नज़र रखने के निर्देश दिए। पुलिस महकमें की सक्रियता के चलते जिलें में नकली नोट खपाने की फिराक में घूम रहे दो लोगों समेत तीन आरोपी को आखिरकार दबोच लिया गया। पकडे गए आरोपियों से पूछताछ की जा रही है  ताकि इस कारोबार से जुडी अन्य कड़ियों तक भी पहुंचा जा सके।  

 जानकारी के मुताबिक़ जांजगीर चांपा पुलिस अधीक्षक श्रीमती नीतू कमल को कुछ दिनों से बाराद्वार, मंदिर हसौद, जैजैपुर क्षेत्र में कुछ लोगों के द्वारा नकली नोट छाप कर खपाने की सूचना मिली। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर विभागीय अमला सक्रीय हुआ। इस दौरान थाना प्रभारी बाराद्वार को मुखबिर से सूचना मिली की ग्राम डूमर पारा चौक में दो व्यक्ति मोटरसाइकिल में नकली नोट खपाने के लिए ग्राहक का इंतजार कर रहे हैं।
सुचना मिलते ही पुलिस की टीम मौके पर पहुँची,  डूमर पारा चौक पहुंचकर पुलिस ने संदेह पर  दो व्यक्तियों से पूछताछ शुरू की। पुलिस का शक जब यकीन में बदला तो दोनों व्यक्तियों को पकड़कर थाने लाया गया।  पकड़े गए व्यक्तियों में मयंक प्रताप साहू उर्फ गोलू पिता पंचराम साहू निवासी साउथ का होना बताया जा रहा है । वहीं दूसरा साथी लक्ष्मी नारायण साहू है। पुलिस की कड़ी पूछताछ में मयंक के कब्जे से 500 रूपये के 50,000  नकली नोट एवं लक्ष्मी नारायण साहू के कब्जे से  25000 रूपये के नकली नोट बरामद किये गए।  पकडे गए दोनों व्यक्तियों ने नकली नोट रखने के संबंध में बताया कि वह अपने साथी याद राम सिधार निवासी सेमरा पाली थाना सारंगढ़ के साथ मिलकर नकली नोट छापने का काम करता है। पकडे गए आरोपियों में मयंक पहले भी पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है। आरोपियों के बयान को आधार मानकर पुलिस ने ग्राम सेमरा पाली निवासी याद राम सिधार के घर भी दबिश दी। पुलिस ने यादराम के घर से कलर स्केनर, प्रिंटर समेत पंद्रह हजार रूपये के नकली नोट जब्त किये हैं।
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[TODAY छत्तीसगढ़ ] / [प्राण चढ्ढा] / दशहरा-दीपावली पर बोनस और 
S A V E _ W I L D L I F E 
उसे बोनस से वन्यजीवों को देखने की चाह,होटल लाबी के कारण बड़ी महंगी पड़ रही है। नेशनल पार्क में प्रवेश के लिए आन लाइन बुकिंग का प्रावधान है,पर जैसे बुकिंग शुरू होती है, दो मिनट में ही बन्द। आप के हाथ कोई टिकट नहीं आती। कुछ पार्क में दिसंबर और जनवरी तक कि सारी टिकटें बिक गयी है पर आप निराश नहीं हों जेब और ढीली करों, ब्लैक में टिकट हाज़िर है। सरकार पर्यटन विकास और पर्यटकों के लिए बढ़िया कदम उठाती है पर, बिचौलियों से पार पा नहीं सकती।
क्या एक- दो मिनट में माह भर की सारी टिकट बिक सकती हैं? पर ये होता है। मिलजुल कर सब कागज तैयार रखा जाता है और कॉपी पेस्ट की गति से सब टिकट खत्म। टिकट में नाम और आईडी आधारकार्ड का उल्लेख रहता है। बिचौलिया अपने एक आदमी की टिकट पर ये औपचरिकता निभाता टिकट में शेष 5 तक नाम फर्जी होते हैं। हो गई टिकट बुक। अवकाश दिन और सीजन में इस तरह की लगभग सारी टिकट वन विभाग की पहले से फर्जीवाड़ा में एडवांस बुक हो जाती है। सैलानियों को कुछ टिकट ही मिलती है,शेष सेलानियों के लिए टिकट उपलब्ध कराने वाली लाबी है। 
              वन विभाग का नियम है, यदि बाद में कोई नाम बदलना है तो टिकट में नाम हटाये और जोड़े जा सकते हैं। इसे 'एड-आन' कहते हैं। बस जो अधिक पैसे दे उनको इस टिकट में एड कर फर्जी का नाम हटा टिकट बन जाती है। इससे वन विभाग को क़रीब 15 सौ रुपया फिर मिलता है।ये सब सैलानी की जेब से जाता है। सभी नेशनल पार्क के करीब रहने वाले और विस्थापित,जिप्सी किराए में चलाते हैं।जँगल में यह उनकी जीविका का मुख्य आधार है। इनकी जिप्सी सैलानियों को पार्क में ले जाने के लिए मानदंड बाद रजिस्टर्ड रहती हैं। "एडआन' के इस फर्जीवाड़ा की वजह, टिकट कम होने से इस साल शुरुवात में सैलानी टिकट पा सके और इसलिए नहीं पार्क कम आये, जिससे जिप्सी वालों ने बेकारी काटी। ये एक ऐसा फर्जीवाड़ा है जिसमें बड़े- छोटे अधिकारी और होटल लाबी के कुछ तत्व मिलने की प्रबल आशंका है । जाहिर है जिसके पास टिकट उसके होटल में सैलानी। सारे पहलुओं की जांच थर्ड पार्टी के जानकारों से होगी तो दुरभि संधि सामने आएगी, और वन्य जीव प्रेमी सैलानियों को राहत मिलेगी। 

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         [TODAY छत्तीसगढ़ ] /  छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को आगामी दीपावली को ध्यान में रखते हुए निर्धारित मानकों से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाले पटाखों के उत्पादन और उनकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं, ताकि दीपावली पर्व के दौरान राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेश की अवमानना की स्थिति निर्मित न होने पाए।
 

पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि इस सिलसिले में मंडल की ओर से  जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को परिपत्र जारी किया गया है। परिपत्र में कहा गया है कि रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे पटाखे न फोड़े जाएं। पटाखों अथवा आतिशबाजी का समय सवेरे 6 बजे से रात 10 बजे निर्धारित किया गया है। अस्पताल, स्कूल, अदालत और धार्मिक स्थल जैसे अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में इन संस्थाओं से कम से कम 100 मीटर की दूरी तक पटाखे न फोड़े जाए। सभी शिक्षण संस्थाओं में विद्यार्थियों को ध्वनि और वायु प्रदूषण तथा पटाखों के दुष्प्रभावों की भी जानकारी दी जाए। इसके साथ ही स्कूली बच्चों को शामिल करते हुए जनजागरण का भी अभियान चलाया जाए। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखने और ध्वनि मानकों का भी ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं।
परिपत्र में यह भी बताया गया है कि यह कार्य पर्यावरण संरक्षण मंडल के अंतर्गत स्कूलों में गठित इकोक्लबों के माध्यम से भी किया जा सकता है। परिपत्र में कहा गया है कि दीपावली के पहले, दीपावली के दौरान और इस त्यौहार के बाद ध्वनि तथा वायु प्रदूषण का आंकलन करवाया जाए। परिपत्र में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की भोपाल स्थित मध्य क्षेत्रीय बेंच द्वारा 18 अप्रैल 2016 को इस आशय का निर्णय पारित किया गया है। इस सिलसिले में माननीय न्यायालय और ध्वनि प्रदूषण (विनियम और नियंत्रण) नियम 2000 के तहत जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक या ऐसा कोई अन्य अधिकारी, जो कम से कम डिप्टी कलेक्टर अथवा उप पुलिस अधीक्षक श्रेणी का हो, उसे ध्वनि के संबंध में परिवेशी वायु गुणवत्ता के मानकों की मॉनिटरिंग के लिए जिम्मेदार माना गया है। 
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[TODAY छत्तीसगढ़ ] / भारत वर्ष में मनाये जाने वाले त्यौहार किसी न किसी रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं लेकिन असल में जिस त्यौहार को इस संदेश के लिये जाना जाता है वह है दशहरा। दीवाली से ठीक बीस दिन पहले। पंचाग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयदशमी अथवा दशहरे के रुप में देशभर में मनाया जाता है। दशहरा हिंदूओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार भगवान श्री राम की कहानी तो कहता ही है जिन्होंनें लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिये भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है और मां दूर्गा की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी मां दूर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, भगवान श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिये रखे गये कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया। चूंकि श्री राम को राजीवनयन यानि कमल से नेत्रों वाला कहा जाता था इसलिये उन्होंनें अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया ज्यों ही वे अपना नेत्र निकालने लगे देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुई और विजयी होने का वरदान दिया। माना जाता है इसके पश्चात दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया। भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में मनाया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे मनाने के अलग अंदाज भी विकसित हुए हैं।



इसे इत्तेफाक कहूं या फिर कुछ और.. सच जो भी हो लेकिन इस बार बाज़ार में उपलब्ध रावण में अधिकाँश के चेहरे भगवा रंग में रंगे हैं। लगता है इस बार चुनावी गर्माहट के बीच बाज़ार में बिकने के लिए खड़े रावण सयासी रंग में रंग दिए गए हैं। अरे पहले ही क्या कम थे जो सड़क किनारे और खड़े कर दिए गए । एक वक्त था जब बिलासपुर शहर में इक्का-दुक्का जगह रावण दहन होता था, वक्त ने करवट ली और रावण हर घर, गली-मोहल्ले में पहुँच गया। अब हर बरस सैकड़ों रावण संस्कारधानी में जलते हैं। कभी रावण दहन के पहले रामलीला की परम्परा थी जो समय के साथ उत्सव में बदल गई। रामलीला की परम्परा को ज़िंदा रखने वाले कलाकार आज नेपथ्य में महंगाई के रावण से जूझ रहें हैं। सदियों से रावण जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता रहा है लेकिन वक्त के साथ रावण का कद और संख्या दोनों बढ़ती चली गई, अच्छाई का कहीं पता-ठिकाना नहीं रहा। बस एक रस्म है, जिसे वो लोग ही निभा रहे है जिन्हे अच्छाई से कम बुराई से ज्यादा सरोकार है। आज रावण दहन के लिए 'राम' के आत्मबल की नहीं, कुबेर के खजाने की जरुरत है। रावण दहन के लिए अब बोली लगती है, जिसने ज्यादा दिया वो रावण के सीने में तीर चलाने का हकदार हो गया। दो दिन बाद यानी 19 अक्टूबर को दशहरा है, रावण दहन होगा। मंच सजेगा, मर्याद पुरुषोत्तम राम के आदर्शों का जुमला दोहराया जायेगा मगर कोई राम के बताये रास्ते पर चलने को तैयार नहीं होगा । 
दो-तीन दशक पहले रावण इतनी आसानी से बाज़ार में उपलब्ध नहीं थे, अब रावण बाज़ार में हर कद-काठी का उपलब्ध है। जगह-जगह रावण का बाज़ार सज गया है। जितने दाम उतना बड़ा, तगड़ा रावण ! एक सवाल और... आखिर ये रावण खरीद कौन रहा है, वो कौन लोग हैं जो उसे जला रहें हैं ? 
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[TODAY छत्तीसगढ़ ] /  देवी की उपासना का पर्व नवरात्रि पुरे अंचल में आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। शारदीय नवरात्र में माँ के भक्त शक्ति की उपासना करते हैं, आज नवरात्रि का आठंवा दिन यानी अष्टमी है। आज मंदिरों में माता का विशेष श्रींगार कर भोग-प्रसाद अर्पित किया गया। शहर के देवी मंदिर के अलावा रतनपुर, चैतुरगढ़, बैमा-नगोई समेत कइयों देवी मंदिरों में भक्तो का हुजूम उमड़ा रहा। आज अधिकाँश देवी मंदिरों में कन्या भोज भी कराया गया। आस्था-शक्ति की उपासना के इस ख़ास मौके पर शहर से लेकर गाँव तक आकर्षक पंडालों के जरिये देवी प्रतिमाओं की स्थापना भी की गई है, अलग-अलग थीम पर स्थापित की गई माँ जगदम्बा की प्रतिमाओं को आकर्षक विधुत सज्जा से सुशोभित किया गया है। हजारों भक्त हर दिन शाम होते ही सड़क पर निकल पड़ते है माँ दुर्गा के दर्शनों के लिए, माता के जसगीत और भजनों से पूरा माहौल भक्ति के सागर में गोते लगा रहा है। शहर के दुर्गा पंडालों से ली गई इन तस्वीरों में आप माँ के दर्शन कर उनका आशीर्वाद ले सकते हैं  ... 

बड़ा  गिरजा चौक, रेलवे स्टेशन रोड 

बंगाली एसोसिएशन, तोरवा

स्टेशन रोड रेलवे कॉलोनी, तारबाहर

एकता दुर्गोत्सव समिति, मुंगेली नाका

एकता दुर्गोत्सव समिति, मुंगेली नाका

खोवा मंडी, गोंड़पारा 

वन देवी के रूप में विराजित माँ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही है । ये आकर्षक प्रतिमा मध्यनगरी में विराजित है ।

तेलीपारा

शहीद चंद्रशेखर आज़ाद दुर्गोत्सव समिति, तेलीपारा

सिंह वाहिनी दुर्गोत्सव समिति, मामा-भांचा तालाब 

सीएमडी महाविद्यालय परिसर में विराजित दुर्गा प्रतिमा के पंडाल को रोमन पैलेस का रूप दिया गया है ।

सीएमडी महाविद्यालय परिसर में विराजित दुर्गा प्रतिमा 
माँ दुर्गा पार्वती के रूप में नौ कन्याओं को भोजन कराते हुए, महादेव देवी स्वरुप कन्याओं के लिए भोजन पका रहें है और गणेश जी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ इस पुण्य कार्य में सहयोग दे रहें हैं। कुछ इस तरह की झांकी सिम्स चौक में वक्रतुण्ड दुर्गोत्सव समिति द्वारा तैयार करवाई गई है। नौ कन्याओं को भगवान शंकर के परिवार द्वारा भोजन कराने की ये अप्रतिम झांकी भक्तों के आकर्षण का बड़ा केंद्र बनी हुई है।

गौरी गणेश उत्सव समिति, व्यापार विहार 
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[TODAY छत्तीसगढ़ ] /  ब्राह्मण युवा आयाम छत्तीसगढ़ द्वारा मुस्कान भवन सरकंडा में सात प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन रविवार 14 अक्टूबर को किया गया। ब्राह्मण युवा आयाम के प्रदेश संयोजक एवं अध्यक्ष ज्योतिन्द्र उपाध्याय ने बताया कि कार्यक्रम में रंगोली, मेहंदी, निबंध, चित्रकला,व्यंजन, फोटोग्राफी एवं डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें समग्र ब्राह्मण समाज के बच्चो, युवक युवती एवं महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में 5 साल के बच्चे से लेकर 70 वर्ष की महिलाओं ने भी गरबा नृत्य किया। इस कार्यक्रम में अंतराष्ट्रीय कत्थक नृत्यांगना आँचल पाण्डेय ने भी अपने नृत्य का प्रदर्शन किया । 
 इन सभी प्रतियोगिताओं के विजयी प्रतिभागियो को 21 अक्टूबर रविवार को ब्राह्मण युवा आयाम द्वारा मुस्कान भवन सरकंडा में आयोजित कार्यक्रम युवक युवती परिचय, परिवार मिलन एवं सम्मान समाहरोह में पुरस्कृत किया जायेगा। कार्यक्रम में उपस्थित जन को संबोधित ज्योतिन्द्र उपाध्याय ने किया एवं मंच संचालन उदयन शर्मा द्वारा किया गया । इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से ब्राह्मण युवा आयाम के पं. अनिल तिवारी,पं अरुण चौबे, पं रविन्द्र उपाध्याय, पं नागेंद्र धर शर्मा, पं अनिल शर्मा,पं रतिन्द्र उपाध्याय पं ओ पी दुबे, पं मनोज दुबे, पं ज्योतिन्द्र उपाध्याय, पं गौरव शुक्ला, पं उदयन शर्मा,पं मुकेश पाण्डेय पं विराज तिवारी ,पं रितिक पाण्डेय, पं राजा मिश्रा, पं अलोक जोशी,पं सूर्यप्रकाश मिश्रा,पं केशव शुक्ला, पं नितीश शुक्ला,पं आयुष तिवारी, पं अभिषेक चौबे, पं मयंक दुबे, पं गौरव शर्मा, पं अनुभव शुक्ला, पं अल्पेश द्विवेदी, पं गौरव शर्मा, पं शिवा पाण्डेय, पं कुनाल शर्मा,कंचन पाण्डेय, मुक्ता उपाध्याय, छाया तिवारी, पूर्णिमा दुबे, स्वाति उपाध्यय,पूर्णिमा तिवारी,पूनम शुक्ला, अंकिता पाण्डेय, मेघा तिवारी, अंशिका जोशी,आँचल पाण्डेय, वीणा तिवारी, अंजलि शर्मा, खिलेश्वरी शर्मा, अन्यया शर्मा, शिक्षा पाण्डेय उपस्थित थे।


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