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          [TODAY छत्तीसगढ़ ] / बिलासपुर में कचरे को लेकर "सिर्फ बातें ही हो रहीं हैं, बातों का बातों से मुकाबला हो रहा है। वही सारी बातें जो पिछले बरस और उसके पहले के बरस हो चुकी हैं, इस बरस भी हो रहीं हैं। काश आपके फेफड़े की भी कोई पार्टी होती तो कम से कम दल के हिसाब से ही कुछ लोगों का फेफड़ा कचरे का कूड़ेदान होने से बच जाता।" 
 कचरे को लेकर आप सियासी बतौलेबाजों की बहस सुनते और देखते रहिये। जनता खामोशी से कचरे की दुर्गन्ध के बीच रह रही है, रहना भी चाहिए क्यूंकि उसके लिए वो स्वयं जिम्मेदार है। हाँ कचरे को लेकर अब जो कहा जाएगा वो अक्षम्य अपराध की श्रेणी में आएगा। हाँ कचरे की बात सत्ता में बैठे मंत्री जी कहीं कह दें तो सामने बैठे लोक और तंत्र दोनों की तालिया बज उठती हैं मगर उसी कचरे पर विपक्ष के मुंह से निकले शोर के जवाब में लाठियां बोलती है। कल कुछ ऐसा ही हुआ, जब कचरे का जवाब कचरे से दिया गया तो नौकरशाहों के नथुने फूल गए। कहीं से इशारा हुआ और विरोध कर रहे विपक्ष [कांग्रेस] की उनके कार्यालय में ही घुसकर पुलिस ने जमकर तोड़ाई की। लोकतंत्र में अपनी बात कहने, विरोध करने की आजादी को अब कुछ समय से कुचलने की कोशिशे की जाने लगी है। कल जो हुआ वो लोकतंत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं है, सत्ता आनी-जानी है। पुलिस की दमनात्मक कार्रवाही ने कल ये भी स्पस्ट कर दिया की छत्तीसगढ़ में नौकरशाहों की ताकत के आगे सत्ताधारी बौने हैं। ऐसा नहीं होता हो कोई अदना सा अफसर [एडिशनल एसपी या फिर कोतवाली थाने की महिला थानेदार] भीड़ के बीच इस बात को चिल्ला-चिल्ला कर नहीं कहता 'जिसे जो उखाड़ना है उखाड़ लो, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।' अब जरा सोचिये जो तंत्र आपकी हिफाजत के लिए है वो उखाड़ लेने की बात कर रहा है। 
दरअसल कचरे पर बवाल तब शुरू हुआ जब मंत्री अमर अग्रवाल ने एक सभा के दौरान कांग्रेस पर ये आरोप मढ़ दिया की उन्होंने ५० साल से अधिक के शासनकाल में देश को कचरा बना दिया है। बस क्या था, मंत्री का ये बयान विपक्ष के तेवर को गर्म करता रहा। कांग्रेस ने कचरे का जवाब कचरे से देने की योजना बनाई और मंगलवार को एक हाथ में कचरा दूसरे हाथ में पार्टी का झंडा लिए मंत्री अमर अग्रवाल के बंगले की तरफ कूच कर गए। चूँकि विपक्ष के इस प्रदर्शन की जानकारी प्रशासन को थी लिहाजा मंत्री के बंगले के दोनों तरफ मजबूत बैरिकेटिंग लगा कर सुरक्षा के लिए कुछ अफसर और सैकड़ों जवान तैनात कर दिए गए। इन तमाम सुरक्षा इंतजामों का घेरा भेदकर कांग्रेसी मंत्री के बंगले में कचरा फेंकने में कामयाब हो गए। मौके पर मौजूद पुलिस ने प्रदर्शनकारी विपक्ष को गिरफ्तार नहीं किया जबकि कांग्रेसी गिरफ्तारी देने के लिए तैयार थे। कांग्रेसी मंत्री के बंगले में कचरा फेंककर ख़ुशी-ख़ुशी पार्टी कार्यालय लौट गए, कुछ ही देर बाद एडिशनल एसपी के नेतृत्व में पुलिस फ़ोर्स कांग्रेस भवन पहुँच गई, देखते ही देखते एक राष्ट्रीय पार्टी का जिला कार्यालय पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। पुलिस का गुस्सा दो बातों को लेकर था, पहला उसके सुरक्षा तंत्र की पोल खुलना, दुसरा मंत्री के घर में कचरे का पहुँच जाना। 
उसके बाद जो हुआ उसे कल से पूरा पदेश यहां तक की सोशल मीडिया के माध्यम से देश देख रहा है। पुलिस ने किस तरीके से पार्टी कार्यालय के भीतर घुसकर कांग्रेसियों को पिटाई की, जिनका मन नहीं भरा वो कार्यालय के बाहर भी लाठियों से प्रहार करते रहे। इतना ही नहीं कई पुलिस वालों ने लात-घूंसों से भी विपक्ष की पीठ लाल कर दी । पुलिस की बर्बरता का शिकार महिला कार्यकर्ताएं भी हुईं। घायल विपक्ष अस्पताल में इलाज करवा रहा है, पार्टी के बड़े नेता पुलिस लाठीचार्ज को ह्त्या की साजिश करार दे रहें। इन सबके बीच वो जनता खामोश है जिसने कचरे पर सियासत करने वालों को कभी सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाया तो कभी विपक्ष में बैठकर शोर मचाते रहने की ताकत दी।
अब कांग्रेस इस मामले को लेकर उग्र प्रदर्शन की तैयारी में है, कई राजनैतिक पार्टियों ने इस घटनाक्रम को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है वहीँ सत्ताधारी दल के लोग कांग्रेस के प्रर्दशन के तरीके पर सवाल उठाकर उसे गैरवाजिब करार दे रहें हैं। वैसे भी भाजपा के नेताओं की ये नैतिक जिम्मेदारी बनती है की वो मंत्री के बंगले में फेंके गए कचरे को कांग्रेस का अलोकतांत्रिक कदम बताएं और पुलिस की वकालत करके अपना राजधर्म निभाएं। यहां ये बताना लाजिमी होगा की छत्तीसगढ़ में सत्ता के इशारे पर पुलिस की बर्बरता का ये पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी कई आंदलनों को लाठियों के दम पर कुचलने की कोशिशे की गईं है फिर वो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हों या महिला स्वास्थ्य कर्मियों का प्रदर्शन। राज्य में पिछले कुछ वर्षों में किसान, छात्र सभी पुलिस की लाठियों से पीठ लाल करवा चुके हैं ऐसे में 'अटल' के सपनो का छत्तीसगढ़ खुद को घायल महसूस कर रहा है कि नहीं गर्भ में छिपा सवाल है। 
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         [TODAY छत्तीसगढ़ ] /  बिलासपुर में कल कांग्रेस भवन के भीतर और बाहर हुए लाठीचार्ज की गूंज दिल्ली तक पहुँच चुकी है। छत्तीसगढ़ के केबिनेट मंत्री अमर अग्रवाल के एक बयान के बाद गर्म हुई सियासत ने अचानक अपना तेवर दिखाना शुरू किया, मंत्री के बयान से आहात कांग्रेसियों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेसियों ने मंत्री के बंगले में कचरा भी फेंका। कांग्रेस के इस प्रदर्शन को विफल करने में नाकाम रहा बिलासपुर पुलिस प्रशासन बौखला उठा और उसने पार्टी कार्यालय में घुसकर एक-एक कार्यकर्ता की पिटाई की, इतना ही नहीं पार्टी कार्यालय के बाहर भी संगठन के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं के अलावा महिला कार्यकर्ताओं की जमकर लाठियों से पिटाई हुई। इस घटना की खबर प्रदेश की राजधानी से लेकर दिल्ली तक आग की तरह फैली।
 पार्टी आलाकमान राहुल गांधी ने ट्वीटर के माध्यम से लिखा है की 'नरेंद्र मोदी की हुकूमत में तानाशाही एक पेशा बन गया है| बिलासपुर में रमन सिंह की सरकार द्वारा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मौलिक अधिकारों पर बुज़दिली से किए गए इस प्रहार को वहाँ की जनता सियासी ज़ुल्म के रूप में याद रखेगी'
इस मामले में सूबे के मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह का भी बयान आ गया है। उन्होंने मंत्री अमर अग्रवाल के घर में कचरा फेंके जाने और कांग्रेस भवन के भीतर हुई पुलिस लाठीचार्ज की घटना की निंदा की है। उन्होंने इस घटना की मजिस्ट्रियल जाँच के आदेश दिए हैं।   इधर छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने घटना के लिए मुखयमंत्री रमन सिंह और अमर अग्रवाल को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कांग्रेस भवन में हुई घटना झीरम घाटी में हुई नक्सल घटना की याद दिलाती है। उन्होंने पुलिस प्रशासन पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की हत्या की साजिश का आरोप भी लगया है। कांग्रेस नेताओं का मानना है की तमाम घटनाक्रम को प्रदेश की जनता देख और समझ रही है। सरकार की दमनात्मक नीतियों का जवाब जनता देगी।
                  कल के घटनाक्रम के बाद से मंत्री अमर अग्रवाल के निवास की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मुख्य मार्ग के दोनों तरफ बैरिकेटिंग कर यातायात बंद कर दिया गया है, निवास के बाहर-भीतर सैकड़ों जवान सुरक्षा के मद्देनजर तैनात है।
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