सीजेआई ने कहा कि यदि आप उन दिनों सदनों में होने वाली बहसों को देखें, तो वे बहुत बुद्धिमानी भरा और रचनात्मक हुआ करते थे, साथ ही वे जो भी कानून बनाते थे उस पर बहस करते थे। लेकिन अब वह स्थिति नहीं रही। इसकी वजह से हम कानूनों में कई खामियां और अस्पष्टता देखते हैं।
उन्होंने कहा कि कानूनों में कोई स्पष्टता नहीं है। हम नहीं जानते कि कानून किस उद्देश्य से बनाए गए हैं। यह सरकार के लिए बहुत सारे मुकदमेबाजी, असुविधा और नुकसान के साथ-साथ जनता को असुविधा पैदा कर रहा है। अगर सदनों में बुद्धिजीवी और वकील जैसे पेशेवर न हों तो ऐसा ही होता है। - अमर उजाला