उद्यान विस्तार अधिकारी संघ की ओर से याचिका में बताया गया कि तृतीय वर्ग के पद कृषि उद्यान अधिकारी से पदोन्नत कर उन्हें उद्यान एवं विस्तार अधिकारी तथा वरिष्ठ उद्यान अधिकारी पद मिलता है। दो चरणों की इन पदोन्नति प्रक्रिया के पश्चात उनकी पूर्व में दी गई सेवाओं की अवधि को नहीं जोड़ा जाता। इसके चलते सीधी भर्ती से वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति पाने वाले अधिकारियों की पदोन्नति उनसे पहले हो जाती है। पदोन्नत कर्मचारियों को वरिष्ठता का लाभ नहीं मिलता और नए अधिकारियों को प्राथमिकता मिलती है।
हाईकोर्ट के के समक्ष इस मामले की सुनवाई के दौरान यह प्रश्न विचार के लिए लाया गया कि क्या कोई कर्मचारी संगठन सीधे पदोन्नति या वरिष्ठता से संबंधित मामले को लेकर न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है? याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता राजेश केशरवानी ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए तर्क रखा कि कर्मचारी संगठन साझा हित के मामलों को लेकर न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं। किसी कर्मचारी की व्यक्तिगत पदोन्नति, स्थानांतरण, विभागीय कार्रवाई, निलंबन इत्यादि से संबंधित प्रकरण को संगठन के माध्यम से नहीं रखा जा सकता।
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यदि कर्मचारियों को संयुक्त हित वाले एक जैसे मामलों में अलग-अलग याचिका दायर करनी पड़ी तो यह बहुत खर्चीला हो जाएगा। बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के आधार पर यह व्यवस्था दी कि साझा हित से जुड़े मामलों को कर्मचारी संगठन की ओर से रखा जा सकता है। इसके अलावा बेंच ने राज्य शासन को निर्देश दिया है कि वरिष्ठता से संबंधित उद्यान विभाग के पदोन्नत कर्मचारियों की मांग पर निर्णय 4 माह के भीतर ले।