TODAY छत्तीसगढ़ / पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। पृथ्वी की सुन्दरता को बनाए रखने के लिए कुछ सकारात्मक गतिविधियों के लिए हमें पूरे सालभर कार्यक्रम के उद्देश्यों को अपने ध्यान में रखना चाहिए। खैर ये पूरी दुनिया की बात हुई।
असल मे मैं आप लोगो का ध्यान आपके अपने शहर की ओर आकर्षित करना चाहता हु। जी हां बिलासपुर। जब एक दोस्त ने खास तौर मुझे इस जगह के बारे में लिखने आग्रह किया। तो आम दिनों व आम ख़बरों की तरह ही सोच रहा था। कोरोना #Covid-19 के समय जाना नही चाहता था। फिर सोचा कि जब कोरोना संक्रमण काल मे संक्रमितों के शवों, उनके जलती चिताओं, संक्रमितों के साथ रहना कर सकता हु, तो फिर ये क्यों नही।
यह जगह है, तोरवा छठघाट के सामने की जहाँ #बिलासपुर #नगर #निगम द्वारा शहर का सारा कचरा फेका जा रहा है। इस जगह वृक्षा रोपड़ भी होना था, लेकिन बिलासपुर नगर निगम को यहाँ शहर का कचरा फेंकना ज्यादा सही समझा, अपने ही अधिकारियों की आदेश की अवहेलना करती नज़र आ रही है। जिस सरकारी विभाग का बोर्ड लगा है, वही विभाग वहाँ शहर का कचरा फेंक रही है।
ज्ञात हो कि ग्राम कछार में शहर के गली, मोहोलो, वार्डो का कचरा फेंकने की व्यवस्था व उस कचरे से खाद्य बनाने व बेचने की व्यवस्था किया गया है। फिर न जाने क्यों अपने ही स्मार्ट कहे जाने वाले शहर की #पर्यावरण की दशा बिगाड़ने में विभाग क्यों तुला है।
जब हम स्वास्थ, रेल, बस, हवाई न्यायालय के लिए लड़ सकते है। तो क्या हम अपने शहर की पर्यावरण के लिए नही लड़ सकते। क्या हमको अपने आने वाली पीढ़ी या बच्चों को स्वस्थ रखने बीड़ा उठा नही सकते। अगर इन सब के बारे में आप नहि सोचते तो एक बार इन तस्वीरों को देख कर सोचिये।