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नेहरू के निधन के बाद संसद में अटल बिहारी वाजपेयी ने कुछ यूँ श्रद्धांजलि दी - देखिये VIDEO


                                           
TODAY छत्तीसगढ़  / देश के पहले प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर आज एक मैसेज सोशल साइट्स पर खूब वायरल हुआ, मेसेज में बताया गया है कि देश के जननायक स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने पंडित जी की मृत्यु के बाद सदन में किन शब्दों के साथ श्रद्धांजलि दी, ऊपर तस्वीर पर क्लिक करके इस भाषण को सुना भी जा सकता है। अटल जी ने अपनी श्रद्धांजलि में पंडितजी के लिए कहा था - 
अध्यक्ष महोदय,  - एक सपना था जो अधूरा रह गया, एक गीत था जो गूँगा हो गया, एक लौ थी जो अनन्त में विलीन हो गई। सपना था एक ऐसे संसार का जो भय और भूख से रहित होगा, गीत था एक ऐसे महाकाव्य का जिसमें गीता की गूँज और गुलाब की गंध थी। लौ थी एक ऐसे दीपक की जो रात भर जलता रहा, हर अँधेरे से लड़ता रहा और हमें रास्ता दिखाकर, एक प्रभात में निर्वाण को प्राप्त हो गया।

मृत्यु ध्रुव है, शरीर नश्वर है। कल कंचन माता आज शोकमग्ना है – उसका सबसे लाड़ला राजकुमार खो गया। मानवता आज खिन्नमना है – उसका पुजारी सो गया। शांकी जिस काया को हम चंदन की चिता पर चढ़ा कर आए, उसका नाश निश्चित था। लेकिन क्या यह ज़रूरी था कि मौत इतनी चोरी छिपे आती? जब संगी-साथी सोए पड़े थे, जब पहरेदार बेखबर थे, हमारे जीवन की एक अमूल्य निधि लुट गई। भारत ति आज अशांत है – उसका रक्षक चला गया। दलितों का सहारा छूट गया। जन जन की आँख का तारा टूट गया। यवनिका पात हो गया। विश्व के रंगमंच का प्रमुख अभिनेता अपना अंतिम अभिनय दिखाकर अन्तर्ध्यान हो गया। 


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