Slider

वृक्ष बचाइए, ज़िंदगी खुद-ब-खुद बच जायेगी।

TODAY छत्तीसगढ़  / ईश्वर के दर पर पहुँचने का ये प्रवेश द्वार कुदरत की अनमोल कृति है, दशकों पुराने वट वृक्ष की सैकड़ों शाख एक तरफ अपने अक्षय होने का प्रमाण दे रहीं हैं तो वहीं दूसरी तरफ इस वृक्ष की शाखों ने कइयों प्राकृतिक द्वार की शक्ल अख्तियार कर ली है। बिलासपुर से कोटा मार्ग पर ग्राम गनियारी में सड़क किनारे सैकड़ों साल पुराना ये बरगद का पेड़ अपनी महत्ता को बताता हुआ बड़ी ही दृढ़ता के साथ खड़ा है।
वृक्षों की पूजा हमारे देश की समृद्ध परंपरा और जीवनशैली का अंग रहा है । वैसे तो हर पेड़-पौधे को उपयोगी जानकर उसकी रक्षा करने की परंपरा है लेकिन वटवृक्ष या बरगद की पूजा का खास महत्व बताया गया है। जहां तक धार्मिक महत्व की बात है, इस वृक्ष की बड़ी महिमा बताई गई है। वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु व अग्रभाग में शिव का वास माना गया है। यह पेड़ लंबे समय तक अक्षय रहता है, इसलिए इसे 'अक्षयवट' भी कहते हैं. अखंड सौभाग्य और आरोग्य के लिए भी वटवृक्ष की पूजा की जाती है।
TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें  
© all rights reserved TODAY छत्तीसगढ़ 2018
todaychhattisgarhtcg@gmail.com