भारत के एक कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर कारोबारी, विप्रो कंपनी के मुखिया अजीम प्रेमजी ने अपनी कंपनी में खुद के शेयरों में से एक तिहाई शेयर दान कर दिए हैं। समाजसेवा के लिए ये पहले भी बड़ी रकम दान करते आए हैं, और अभी 52 हजार करोड़ रूपए से अधिक बाजार मूल्य के शेयर दान करने के बाद उनकी दान की कुल रकम करीब डेढ़ लाख करोड़ रूपए हो गई है जो कि विप्रो की कुल पूंजी का 67 फीसदी है। छत्तीसगढ़ में भी अजीम प्रेमजी फाऊंडेशन प्राथमिक शिक्षा की उत्कृष्टता के लिए काम कर रहा है। अजीम प्रेमजी ने अपनी ही कंपनी में अपना वेतन घटाना जारी रखा है, और भारत में सफर करते हुए उन्हें विमानों की इकॉनॉमी क्लास में बैठे देखा जाता है। उन्होंने अपनी बाकी संपत्ति में से भी और एक बड़ा हिस्सा दान करने की घोषणा कर दी है।
यह फैसला उस वक्त सामने आया है जब उनके मुकाबले बहुत बड़े खरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी के घर में उनकी बेटी की शादी का जश्न चल रहा है, और रोज उसकी तस्वीरें सामने आ रही हैं। अभी एक खबर आई थी कि उन्होंने मुंबई के सभी 50 हजार पुलिसवालों के लिए मिठाई के डिब्बे भेजे, और नई खबर यह आई है कि कल मुंबई में उन्होंने सेना के जवानों और सुरक्षाबलों के लोगों के लिए शादी के मौके पर संगीत का एक बड़ा कार्यक्रम करके जवानों से अपने बेटी-दामाद के लिए आशीर्वाद मांगा। इसके पहले वे वृद्धाश्रम के लोगों, और अनाथाश्रम के वंचित बच्चों के लिए ऐसे समारोह करके उनका आशीर्वाद पा रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ देश का यह सबसे रईस परिवार अपना खुद का आसमान छूता घर बनाने के लिए वक्फ बोर्ड की जमीन लेने की तोहमत भी झेल रहा है, और बाजार में एकाधिकारवादी कारोबार की भी। किसी ने मुकेश अंबानी के लिए यह नहीं सुना है कि वे समाज के लिए अपनी संपत्ति का कोई हिस्सा दान करने वाले हैं। इस परिवार को महंगी और खर्चीली शान-शौकत के लिए जाना जाता है, न कि समाजसेवा के किसी ठोस काम के लिए। खैर, यह उनकी अपनी पसंद हो सकती है, और किसी से चाकू की नोंक पर दान करवाया जा सकता है, लेकिन आज दुनिया के सबसे रईस कारोबारी अपने आपको तभी कामयाब मान रहे हैं जब वे धरती और समाज को कुछ लौटा पा रहे हैं, ऐसे माहौल में मंदिरों और मठों को दान देकर, या लोगों का मनोरंजन करके उन्हें मिठाई बांटकर जो प्रचार पाया जा रहा है, वह अजीम प्रेमजी जैसे सादगी से जीकर सब कुछ समाज को वापिस लौटा देने वाले लोगों से भला कैसे मुकाबला कर सकता है?
हिन्दुस्तान कहने के लिए धर्म और आध्यात्म पर दंभ करने वाला देश है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां लोगों की जेब से दान अमूमन धर्म और आध्यात्म के मकसद से ही निकलता है, समाज की असली सेवा के लिए लोग कम ही खर्च करते हैं। देश में अजीम प्रेमजी जैसे गिने-चुने लोग हैं जिन्होंने अमरीकी खरबपति कारोबारी वारेन बफे के एक आव्हान पर अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान में देना घोषित किया, देना शुरू किया, और देना जारी रखा। हिन्दुस्तान में खरबपतियों-अरबपतियों की मु_ी भर आबादी के पास देश की तकरीबन तमाम दौलत है। आंकड़ों को मोटे-मोटे समझें तो दस फीसदी आबादी के पास नब्बे फीसदी से अधिक दौलत है, और नब्बे फीसदी आबादी के पास दस फीसदी से भी कम। यह सबसे नीचे की आबादी भी सरकार द्वारा आंकड़ों में एक गौरव से सम्मानित की जाती है जब देश की प्रति व्यक्ति आय के आंकड़ों में सबसे गरीब की आय के साथ अंबानियों-अडानियों की आय को जोड़कर औसत निकाला जाता है। एक अंगूर और एक कुम्हड़े को मिलाकर बनाई गई सब्जी को मिक्स सब्जी कहा जाता है, और अपनी पूरी जिंदगी में गरीब महज इसी एक आंकड़े में सबसे रईस लोगों के साथ भागीदारी करते दिखते हैं जब देश की प्रति व्यक्ति औसत आय में दोनों को मिलाकर आंकड़ा निकाला जाता है।
अजीम प्रेमजी की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है। वे किसी एक धर्म, या किसी एक जाति की भलाई पर खर्च नहीं कर रहे, किसी धार्मिक या आध्यात्मिक ठिकाने पर अपनी कमाई बर्बाद नहीं कर रहे, वे देश के गरीब लोगों की बुनियादी जरूरतों पर खर्च कर रहे हैं, और ईमानदारी के साथ अपनी दौलत का अधिकतर हिस्सा ऐसे फाऊंडेशन को दे रहे हैं जो कि पारदर्शी तरीके से उस रकम को खर्च कर रहा है। देश के और लोग जो कि अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दूसरों के लिए दे सकते हैं, उन्हें अजीम प्रेमजी से कुछ सीखना चाहिए। जिस समाज से कमाया, उसी के जरूरतमंद लोगों को लौटा दिया, इसी सोच के लिए भारत में बहुत पहले किसी ने यह लिखा था- तेरा तुझको अर्पण...।
यह फैसला उस वक्त सामने आया है जब उनके मुकाबले बहुत बड़े खरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी के घर में उनकी बेटी की शादी का जश्न चल रहा है, और रोज उसकी तस्वीरें सामने आ रही हैं। अभी एक खबर आई थी कि उन्होंने मुंबई के सभी 50 हजार पुलिसवालों के लिए मिठाई के डिब्बे भेजे, और नई खबर यह आई है कि कल मुंबई में उन्होंने सेना के जवानों और सुरक्षाबलों के लोगों के लिए शादी के मौके पर संगीत का एक बड़ा कार्यक्रम करके जवानों से अपने बेटी-दामाद के लिए आशीर्वाद मांगा। इसके पहले वे वृद्धाश्रम के लोगों, और अनाथाश्रम के वंचित बच्चों के लिए ऐसे समारोह करके उनका आशीर्वाद पा रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ देश का यह सबसे रईस परिवार अपना खुद का आसमान छूता घर बनाने के लिए वक्फ बोर्ड की जमीन लेने की तोहमत भी झेल रहा है, और बाजार में एकाधिकारवादी कारोबार की भी। किसी ने मुकेश अंबानी के लिए यह नहीं सुना है कि वे समाज के लिए अपनी संपत्ति का कोई हिस्सा दान करने वाले हैं। इस परिवार को महंगी और खर्चीली शान-शौकत के लिए जाना जाता है, न कि समाजसेवा के किसी ठोस काम के लिए। खैर, यह उनकी अपनी पसंद हो सकती है, और किसी से चाकू की नोंक पर दान करवाया जा सकता है, लेकिन आज दुनिया के सबसे रईस कारोबारी अपने आपको तभी कामयाब मान रहे हैं जब वे धरती और समाज को कुछ लौटा पा रहे हैं, ऐसे माहौल में मंदिरों और मठों को दान देकर, या लोगों का मनोरंजन करके उन्हें मिठाई बांटकर जो प्रचार पाया जा रहा है, वह अजीम प्रेमजी जैसे सादगी से जीकर सब कुछ समाज को वापिस लौटा देने वाले लोगों से भला कैसे मुकाबला कर सकता है?
हिन्दुस्तान कहने के लिए धर्म और आध्यात्म पर दंभ करने वाला देश है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां लोगों की जेब से दान अमूमन धर्म और आध्यात्म के मकसद से ही निकलता है, समाज की असली सेवा के लिए लोग कम ही खर्च करते हैं। देश में अजीम प्रेमजी जैसे गिने-चुने लोग हैं जिन्होंने अमरीकी खरबपति कारोबारी वारेन बफे के एक आव्हान पर अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान में देना घोषित किया, देना शुरू किया, और देना जारी रखा। हिन्दुस्तान में खरबपतियों-अरबपतियों की मु_ी भर आबादी के पास देश की तकरीबन तमाम दौलत है। आंकड़ों को मोटे-मोटे समझें तो दस फीसदी आबादी के पास नब्बे फीसदी से अधिक दौलत है, और नब्बे फीसदी आबादी के पास दस फीसदी से भी कम। यह सबसे नीचे की आबादी भी सरकार द्वारा आंकड़ों में एक गौरव से सम्मानित की जाती है जब देश की प्रति व्यक्ति आय के आंकड़ों में सबसे गरीब की आय के साथ अंबानियों-अडानियों की आय को जोड़कर औसत निकाला जाता है। एक अंगूर और एक कुम्हड़े को मिलाकर बनाई गई सब्जी को मिक्स सब्जी कहा जाता है, और अपनी पूरी जिंदगी में गरीब महज इसी एक आंकड़े में सबसे रईस लोगों के साथ भागीदारी करते दिखते हैं जब देश की प्रति व्यक्ति औसत आय में दोनों को मिलाकर आंकड़ा निकाला जाता है।
अजीम प्रेमजी की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है। वे किसी एक धर्म, या किसी एक जाति की भलाई पर खर्च नहीं कर रहे, किसी धार्मिक या आध्यात्मिक ठिकाने पर अपनी कमाई बर्बाद नहीं कर रहे, वे देश के गरीब लोगों की बुनियादी जरूरतों पर खर्च कर रहे हैं, और ईमानदारी के साथ अपनी दौलत का अधिकतर हिस्सा ऐसे फाऊंडेशन को दे रहे हैं जो कि पारदर्शी तरीके से उस रकम को खर्च कर रहा है। देश के और लोग जो कि अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दूसरों के लिए दे सकते हैं, उन्हें अजीम प्रेमजी से कुछ सीखना चाहिए। जिस समाज से कमाया, उसी के जरूरतमंद लोगों को लौटा दिया, इसी सोच के लिए भारत में बहुत पहले किसी ने यह लिखा था- तेरा तुझको अर्पण...।