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ऐसे गढ़े हुए ऑडियो के बाद तो पार्टियों, सरकारों को होश आए

फेसबुक पर अभी एक किसी आदमी ने एक ऐसी ऑडियोक्लिप सुनाई है जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह किसी एक महिला के साथ बात करते बताए जा रहे हैं, और इस बातचीत में ऐसा सुनाया जा रहा है कि देश की फौज पर कैसे आतंकी हमला करवाकर उसका चुनावी फायदा उठाया जाए, कैसे लोगों की राष्ट्रीयता की भावना को भड़काया जाए, कैसे कहीं पर धमाका करवाया जाए, और उसमें सैनिकों की शहादत से देश में कैसा माहौल बनेगा। ऐसी खासी लंबी बातचीत सुनाई गई है जिसकी जांच देश की एक ऐसी वेबसाईट ने की जो कि झूठी और गढ़ी हुई खबरों को परखकर उनका भांडाफोड़ करती है। इस वेबसाईट पर अक्सर ही बहुत से झूठ उजागर करके पोस्ट किए जाते हैं, और बहुत से जिम्मेदार लोग वहां से ऐसा भांडाफोड़ अपने फेसबुक या ट्विटर अकाऊंट पर डालते हैं, या वॉट्सऐप पर फैलाते हैं ताकि लोगों के बीच झूठ घर न कर सके। इस ताजा रिकॉर्डिंग का भांडाफोड़ इसलिए भी जरूरी था कि देश ऐसे नाजुक मोड़ पर खड़ा है कि जहां अफवाहें बहुत सी जिंदगियां खत्म कर सकती हैं, पड़ोसी देश से जंग छिड़वा सकती हैं, और अफवाहों का भांडाफोड़ लोगों को बचा भी सकता है।
एक मार्च को ही पोस्ट की गई इस रिकॉर्डिंग को चौबीस घंटों में ही दस लाख लोगों ने देख-सुन लिया था, और पाकिस्तान के बहुत से मीडिया ने उसे आगे भी बढ़ाया। इसकी जांच से पता लगता है कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध अमित शाह और राजनाथ सिंह के भाषणों और साक्षात्कार की रिकॉर्डिंग के टुकड़े निकालकर, उनमें शब्दों को काटकर या जोड़कर ऐसी एक बातचीत गढ़ी गई जो कि देश के भीतर हमला और दंगा करवाने, राष्ट्रवाद भड़काने की साजिश कर रही है। यह सिलसिला लंबे समय से चले आ रहा है, और बहुत से लोग रात-दिन मोदी के समर्थन में, भाजपा या हिन्दुत्व के समर्थन में पोस्ट करते हैं, और साथ-साथ मोदीविरोधियों के बारे में ऐसी बातें, ऐसे झूठ लगातार डालते हैं। यह ताजा गढ़ी हुई रिकॉर्डिंग ऐसी गिनी-चुनी साजिश में से एक है जिसमें हमले का निशाना भाजपा के नेता हैं, आमतौर पर भाजपा विरोधियों के खिलाफ ही ऐसी गढ़ी हुई पोस्ट देखने में आती है। 
हिन्दुस्तान में एक तरफ तो आईटी कानून को इतना कड़ा बनाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट को दखल देकर उसके कुछ प्रावधानों को खत्म करवाना पड़ा था। कई राज्यों ने अपने स्तर पर ऐसे सुधार किए हैं कि जनता की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ थाने के स्तर पर सीधे कोई कार्रवाई न हो सके, और पुलिस का कोई बड़ा अफसर पहले ऐसी शिकायत की जांच कर ले। ऐसी जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि लोगों की लिखी हुई साधारण बातों को भी भड़काऊ मानते हुए लोग पुलिस में शिकायत कर रहे थे, और एक थाने के स्तर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का फैसला होने लगा था, लोग गिरफ्तार होने लगे थे। लेकिन दूसरी तरफ आज देश भर में बड़े पैमाने पर आईटी एक्ट के खिलाफ काम करते हुए, लोगों को बलात्कार और हत्या की धमकी देते हुए लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट की जा रही है। और कई बरस से मीडिया मिसालों के साथ यह भी लिख रहा है कि जो लोग ट्विटर पर महिला पत्रकारों को, भाजपा विरोधी पार्टियों की महिलाओं को बलात्कार की धमकियां दे रहे हैं, उनके खिलाफ सबसे अश्लील जुबान में लिख रहे हैं, उन लोगों को प्रधानमंत्री फॉलो करते हैं, और ऐसे लोग अपने ट्विटर पेज पर इस बात का गर्व के साथ जिक्र करते हैं कि प्रधानमंत्री उन्हें फॉलो करते हैं। 
अब एक आदमी ने ऐसा एक झूठा ऑडियो अभी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया जो देश के दो बड़े नेताओं पर ऐसी बड़ी साजिश की तोहमत लगाता है, और झूठ के खतरे इस पोस्ट के साथ ही एक बार फिर यह याद दिलाते हैं कि अगर सरकार ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं करेगी, तो हर बार ऐसे लोगों के निशाने पर महज भाजपा-विरोधी लोग ही नहीं रहेंगे, भाजपा के नेता भी ऐसे झूठ का शिकार हो सकते हैं। आज भारत का सोशल मीडिया इतना जहरीला हो गया है कि महिला पत्रकारों को हजार-हजार लोग बलात्कार की खुली धमकी दे रहे हैं, और देश का कानून कुछ नहीं कर रहा है। देश-प्रदेश को अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेना होगा, और अब तक की बाकी बातों से यह गंभीरता पैदा नहीं हो पाई है, तो भी राजनाथ सिंह और अमित शाह  को बदनाम करने के लिए गढ़े गए इस ऑडियो के बाद तो सरकारों और पार्टियों को होश आना चाहिए। 
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