सरहद से काफी भीतर तक घुसकर भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी जमीन पर हमला किया, और यह दावा किया कि उसने कई आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए। भारतीय फौज का अंदाज है कि सैकड़ों आतंकी इस हमले में मारे गए हैं। रात के अंधेरे में दर्जन भर लड़ाकू विमानों ने जाकर तीन जगहों पर बमबारी की, और हिफाजत से अपनी जमीन पर लौट आए। पाकिस्तान ने अब तक किसी नुकसान को नहीं माना है, और उसका कहना है कि हिंदुस्तानी लड़ाकू विमान सरहद से कुछ किलोमीटर आगे तक आए थे, और पाकिस्तानी वायुसेना जैसे ही हवा में पहुंची, हिंदुस्तानी विमान लौटते-लौटते बम गिराकर चले गए।
सरहद के दोनों तरफ का मीडिया ऐसे मामलों में हकीकत के लिए अपनी-अपनी सरकारों पर निर्भर रहता है, और वहीं से खबर मिलती है। आगे चलकर जब जमीनी हकीकत पता लगेगी तो समझ आएगा कि भारतीय विमान कितने भीतर तक गए थे, और नुकसान कितना हुआ है। लोगों को याद होगा कि पिछले बरस भी भारत ने अपने एक फौजी कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी आतंकी कैंपों पर एक सर्जिकल स्ट्राइक करने का दावा किया था, और पाकिस्तान ने उस दावे को खारिज कर दिया था। खुद भारत के भीतर एक बात को लेकर बहस छिड़ी थी कि क्या मोदी सरकार का किया गया सर्जिकल स्ट्राइक देश का पाकिस्तान पर पहला सर्जिकल स्ट्राइक था, या मनमोहन सरकार बिना किसी प्रचार के अपने वक्त ऐसा कर चुकी थी। खैर उस वक्त की बात अलग थी, आज भारत के तमाम राजनीतिक दल इस बात के हिमायती हैं कि भारत पर बार-बार होते हुए आतंकी हमलों के मद्देनजर पाकिस्तान पर कोई कार्रवाई की जाए। और ऐसी ही राष्ट्रीय सहमति के चलते मोदी सरकार ने बीती रात जब यह बमबारी की है, तो राहुल गांधी से लेकर ममता और केजरीवाल तक तमाम लोगों ने भारतीय वायुसेना को उसकी क्षमता और उसकी कार्रवाई के लिए बधाई दी है। और जैसी कि उम्मीद थी, मोदी समर्थक इस कार्रवाई के लिए मोदी को बधाई दे रहे हैं, साथ-साथ वायुसेना को भी।
भारत में पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए बड़े आतंकी हमले के बाद दिल्ली में दर्जनों देशों के राजदूतों को विदेश मंत्रालय बुलाकर इस बात के सुबूत सामने रखे थे कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान की जमीन से कैसी साजिशें की गई थीं। इसके अलावा दुनिया के तमाम बड़े देशों में भारत के राजदूतों ने वहां सरकारों को बताया था, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपनी बात रखी थी और पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई मांगी थी। इन सबके बाद आज आतंकी हमले के दस दिन गुजर जाने पर भारत ने जो फौजी कार्रवाई की है, उसे औपचारिक रूप से गैरफौजी कार्रवाई कहा गया है। इसके पीछे तर्क यह है कि यह बमबारी न तो पाकिस्तानी जनता पर की गई, और न ही पाकिस्तानी फौजी ठिकानों पर। भारत सरकार का कहना है कि पुख्ता खुफिया जानकारी की बुनियाद पर यह हमला किया गया जो कि आतंकी ठिकानों तक सीमित था, और इसमें केवल आतंकी लोग मारे गए हैं। अब सरहद के दोनों तरफ सरकारों का बारीक सच आते-आते सामने आएगा क्योंकि सैकड़ों आतंकियों की मौत के दावे से लेकर किसी की भी मौत न होने के दावे के बीच का सच बताएगा कि यह हमला किस निशाने पर कितना सही बैठा, कितना कामयाब रहा। लेकिन इससे परे भी यह बात समझना जरूरी है कि जिस तरह पाकिस्तान की जमीन से भारत के खिलाफ खुलकर, सार्वजनिक रूप से आतंकी फतवे दिए जाते रहे हैं, और उन्हीं के मुताबिक हमले होते भी रहे हैं, तो ऐसे में भारत के पास अपनी आत्मरक्षा के लिए ऐसी किसी कार्रवाई के अलावा और कोई विकल्प बाकी नहीं था। भारत सरकार ने दुनिया को भरोसे में लेने के बाद यह कार्रवाई की है, जो कि बहुत सीमित है, और संतुलित दिखती है। यह अनुपातहीन कड़ी कार्रवाई नहीं है जैसी आशंका अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चार दिन पहले से जाहिर कर रहे थे। भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु ताकतें हैं, और दोनों ही गरीबी और कुपोषण के झेल भी रहे हैं। ऐसे में इस कार्रवाई से परे, इस कार्रवाई के बाद, दोनों देशों के बीच किसी बातचीत की एक कोशिश दोनों के दोस्त देशों को करनी चाहिए, और उसका वक्त भारत के आम चुनावों के बाद आएगा। फिलहाल यह मनाना चाहिए कि भारत सरकार ने अपने लोगों के सामने हमलों के जवाब में यह कार्रवाई कर ली है, और पाकिस्तान इसके जवाब में कोई ऐसी कार्रवाई नहीं करेगा जो कि सरहद पर एक जंग की शुरूआत करे।