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[TODAY छत्तीसगढ़] / कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी मनाई जाती है, जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। प्रत्येक साल की तरह इस वर्ष भी इस दिन को बड़ी ही आस्था के साथ मनाया गया। बिलासपुर के विवेकानंद उद्यान के अलावा शहर और उसके आस-पास के उद्यानों में बड़ी संख्या में आंवला नवमी मनाने वालों की भीड़ देखी गई। महिलाओं ने आंवला पेड़ के नीचे बैठकर संतान प्राप्ति और उनकी सलामती के लिए पूजा की उसके बाद आंवला पेड़ के नीचे बैठकर भोजन-प्रसाद ग्रहण किया।  
अक्षय दान का महापर्व आंवला नवमी शनिवार को बिलासपुर समेत अंचल के अधिकाँश हिस्सों में बड़ी ही आस्था के साथ मनाया गया। महिलाओं ने आंवला वृक्ष की पूजा कर संतान की सुख-समृद्धि के साथ उसकी लम्बी उम्र की कामना की। कम्पनी गार्डन में सुबह से ही आस्थावानों का आना शुरू हो गया था। इसी प्रकार पेंडारी स्थित कानन जु में आज बड़ी संख्या में पूजा करने वाली महिलाओं के अलावा पर्यटक पहुंचें। आंवले के वृक्ष की पूजा के बाद वहीं भोजन किया गया, मान्यता के अनुसार आज आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।     
O  इस दिन का महत्व
आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन बनाने और भोजन करने का विशेष महत्व है। आंवला नवमी को ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक दैत्य को मारा था। इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वन की परिक्रमा की थी। आज भी लोग अक्षय नवमी पर मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। संतान प्राप्ति के लिए इस नवमी पर पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।
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